अपनी स्थिति के अनुसार साधना चाहिए—पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य

www.khaskhabar.com | Published : शुक्रवार, 27 जनवरी 2023, 12:08 PM (IST)

साधु, संत और ऋषियों ने लोगों को अपने-अपने ध्येय पर पहुँचने के अनगिनत साधन बतलाये हैं। हर एक साधन एक दूसरे से बढक़र मालूम होता है, और यदि वह सत्य है, तो उससे यह मालूम होता है कि ये सब साधन इतनी तरह से समझाने का अर्थ यह है कि ज्यादातर एक कोई भी साधन उपयोग में आ सकता है। और यह है भी स्वाभाविक ही कि वह किसी एक के लिए उपयोगी हो।

परन्तु बहुधा ऐसा होता है कि बहुत से साधन अपने अनुकूल नहीं होते। कठिनाई यह है कि हम लोगों में वह शक्ति नहीं है कि उस साधन को खोज निकालें जिसके कि हम सचमुच योग्य हैं। इसके विपरीत हम दूसरे ऐसे साधन अनिश्चित समय के लिए अपनाते हैं जो हमारी शारीरिक और मानसिक स्थिति के अनुकूल नहीं होते। आज ऐसे अनुभवी पथ-प्रदर्शकों की भी भारी कमी है जो अपनी सूक्ष्म दृष्टि से यह जान लें कि किस व्यक्ति के अनुकूल क्या साधन ठीक होगा।

जो व्यक्ति जिस साधना का अधिकारी है, उसी के अनुकूल कार्यक्रम उसके सामने रखा जाना चाहिए। बालकों का शिक्षण और अध्ययन भी इसी आधार पर होना चाहिए। रुचि के अनुकूल दिशा में शिक्षा मिलने पर बालक थोड़े ही समय में आश्चर्यजनक उन्नति कर लेता है। इसके विपरीत जो कार्यक्रम उसकी रुचि न होते हुए भी लादा जाता है वह बड़ी कठिनाई से जैसे-तैसे पार पड़ता है।

हमें चाहिए कि अपना एक ध्येय निर्धारित करें और उस लक्ष्य को पूरा करने के लिए ऐसे साधन चुनें जो निर्धारित उद्देश्य की ओर तेजी से हमें बढ़ा ले चलें, साथ ही उन साधनों का अपनी रुचि, प्रकृति और स्थिति के अनुकूल होना भी आवश्यक है। यदि ऐसा न हुआ तो उत्साह थोड़े ही समय में शिथिल हो जाता है और दुर्गम मार्ग पर चलने का अभ्यास न होने से बीच में ही यात्रा तोडऩे को विवश होना पड़ता है।

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