गायत्री परिवार में वसंत पर्व का महत्त्व

www.khaskhabar.com | Published : बुधवार, 25 जनवरी 2023, 08:08 AM (IST)

वसंत पर्व वसंत के आगमन का प्रतीक है - प्रकृति में जीवंत जीवन का उदय; जो कड़ाके की ठंड, कड़ाके की सर्दी में सुप्त पड़ी थी। इस वर्ष वसंत पंचमई पर्व 26 जनवरी, 2023 को है। यह ज्ञान, साक्षरता और कला की देवी मां सरस्वती को समर्पित त्योहार भी है।

गायत्री परिवार के लिए वसंत पर्व का कई मायनों में विशेष महत्व है। गायत्री परिवार पिछले 96 वर्षों से इसे मिशन के स्थापना दिवस के रूप में मनाता आ रहा है। 18 जनवरी, 1926 को वसंत पंचमी के दिन पूज्य गुरु देव पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य को मार्गदर्शक सत्ता ने 24 वर्षों की कठोर तप का निर्देश दिया। पिछले 96 वर्षों से प्रज्ज्वलित अखण्ड दीपक जिसके सान्निध्य में पूज्य गुरुदेव ने अपनी कठोर साधना की इसी वसंत पंचमी को ही प्रकाशित हुआ। यह आत्म-साक्षात्कार का पवित्र दिन है।

अखंड दीपक (लाखों लोगों के प्रेरणा स्रोत) को 96 वर्ष पूर्व 1926 में इसी शुभ दिन पर जलाया गया था। हमारे मिशन की सभी योजनाएँ और निर्णय इस प्रबोधन के प्रतीकात्मक दीप के प्रकाश में बने हैं। युग ऋषि ने इसी दिन अपने महान गुरु के निर्देश पर गायत्री महापुरुषचरण के 24 वर्ष पूरे करने की शपथ ली थी। मिशन की सभी बड़ी पहल इसी दिन से शुरू होती है।

जिसने भी वसंत के सार को अपने जीवन में आत्मसात कर लिया, वह वास्तव में महान हो गया है। कुछ नाम हैं— समर्थ गुरु रामदास, विवेकानंद, भगत सिंह, बंदा वैरागी ऐसे महान व्यक्तित्व रहे हैं। वसंत पर्व (26 जनवरी, 2023) के इस शुभ अवसर पर आइए हम स्वयं को और अधिक परिष्कृत करने के लिए कठिन प्रयास करने में सक्षम होने का संकल्प लें ताकि हमारे आराध्य सत्ता की सुपर चैतन्य-शक्ति स्वतंत्र रूप से और निर्बाध रूप से हमारे माध्यम से स्वर्ण की स्थापना के लिए स्पष्ट चैनल के रूप में प्रवाहित हो।

युग निर्माण योजना हेतु अखिल विश्व गायत्री परिवार द्वारा नये संकल्पों की घोषणा प्राय: इसी वसंत पर्व को किया जाता है।

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