आज बन रहा है सूर्य पूजा और विनायक चतुर्थी का योग, इस तरह करें गणेश पूजा

www.khaskhabar.com | Published : शुक्रवार, 25 नवम्बर 2022, 11:17 AM (IST)

27 नवंबर (रविवार) को अगहन मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी है। हिंदू धर्म में हर माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी का व्रत रखा जाता है। यह रिद्धि-सिद्धि के दाता भगवान गणेश की आराधना का दिन है। मान्यता है विनायक चतुर्थी पर श्रद्धापूर्वक जो गौरी नंदन विघ्नहर्ता श्री गणेश की उपासना करता है उसकी सभी समस्याओं का समाधान होने लगता है। साथ ही धन, वैभव और बुद्धि में वृद्धि होती है।

रविवार को सूर्य पूजा और चतुर्थी व्रत का शुभ योग बन रहा है। इस दिन की शुरुआत सूर्य को जल चढ़ाकर करें और दिन में गणेश जी के लिए व्रत करें। ये व्रत घर की सुख-समृद्धि की कामना से किया जाता है।

ज्योतिषाचार्यों के अनुसार चतुर्थी तिथि के स्वामी गणेश जी हैं। इस वजह से चतुर्थी पर गणेश जी के लिए व्रत-उपवास करने की परंपरा है। गणेश पूजा और व्रत करने से भक्त की बुद्धि तेज होती है। घर में रिद्धि-सिद्धि यानी सुख-समृद्धि का आगमन होता है। ज्योतिष में सूर्य को रविवार का कारक ग्रह माना गया है। सूर्य देव नौ ग्रहों के राजा हैं। जो लोग हर रोज सूर्य को अघ्र्य अर्पित करते हैं, उनकी कुंडली के कई दोष शांत हो जाते हैं।

विनायक चतुर्थी व्रत के दिन चंद्रमा को देखना निषेध है। मार्गशीर्ष माह की विनायक चतुर्थी का व्रत 27 नवंबर 2022 को रखा जाएगा। हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष शुक्ल विनायक चतुर्थी तिथि 26 नवंबर 2022 को रात 07 बजकर 28 मिनट पर आरंभ होगी और अगले दिन 27 नवंबर 2022 को 04 बजकर 25 मिनट पर इसका समापन होगा।

विनायक चतुर्थी पूजा मुहूर्त - सुबह 11.11 - दोपहर 01.18 (27 नवंबर 2022)
अवधि - 02 घंटे 08 मिनट
चंद्रोदय समय - सुबह 10.29
चंद्रास्त समय - रात 09.00

चतुर्थी पर ऐसे कर सकते हैं पूजा
सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद घर के मंदिर में गणेश पूजा करें। गणेश जी के सामने व्रत और पूजा करने का संकल्प लें। श्री गणेशाय नम: मंत्र का जप करें। फल और मिठाई का भोग लगाएं। दूर्वा चढ़ाएं। हार-फूल से श्रृंगार करें। धूप-दीप जलाएं। आरती करें।

गणेश पूजा भगवान के 12 नाम मंत्रों का जप भी जरूर करें। गणेश जी के 12 नाम वाले मंत्र- ऊँ सुमुखाय नम:, ऊँ एकदंताय नम:, ऊँ कपिलाय नम:, ऊँ गजकर्णाय नम:, ऊँ लंबोदराय नम:, ऊँ विकटाय नम:, ऊँ विघ्ननाशाय नम:, ऊँ विनायकाय नम:, ऊँ धूम्रकेतवे नम:, ऊँ गणाध्यक्षाय नम:, ऊँ भालचंद्राय नम:, ऊँ गजाननाय नम:।

ऐसे करें चतुर्थी व्रत
सुबह गणेश पूजा के बाद दिनभर निराहार रहें यानी पूरे दिन अन्न का भोजन न करें। अगर भूखे रहना मुश्किल हो तो फलाहार किया जा सकता है। दूध और फलों के रस का सेवन कर सकते हैं। दिन में गणेश जी की कथाएं पढ़ें या सुनें, मंत्र जप करें। शाम को चंद्र उदय के बाद चंद्रदेव को अघ्र्य चढ़ाएं, पूजा करें। गणेश जी की पूजा करें। इसके बाद भोजन करें। ये चतुर्थी व्रत की सामान्य विधि है।

आलेख में दी गई जानकारियों को लेकर हम यह दावा नहीं करते कि यह पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।

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