ऑपरेशन खुशी-5 - पहले 3 सप्ताह में पुलिस ने ढूंढे 161 गुमशुदा बच्चे

www.khaskhabar.com | Published : गुरुवार, 24 नवम्बर 2022, 1:20 PM (IST)

जयपुर । राजस्थान पुलिस द्वारा राज्य स्तर पर 16 वर्ष से कम उम्र के गुमशुदा नाबालिक बच्चों की तलाश में प्रारम्भ किये गए अभियान ऑपरेशन खुशी-5 के तहत पहले 3 सप्ताह में पुलिस ने गुमशुदा 161 बच्चों को तलाश कर लिया है। अन्य लापता बच्चों की तलाश में पुलिस की टीम अनवरत कार्यवाही कर रही है।

अतिरिक्त महानिदेशक पुलिस सिविल राइट्स एवं एएचटी श्रीमती स्मिता श्रीवास्तव ने बताया कि इस अभियान के लिए राज्य में थानावार टीमों का गठन कर रेस्क्यू टीमों के साथ महिला एवं बाल विकास विभाग, महिला अधिकारिता विभाग समाज कल्याण बाल कल्याण समिति के सदस्यों एवं एनजीओ के प्रतिनिधियों से समन्वय स्थापित कर इन बच्चों की तलाश के लिए व्यापक कदम उठाए गए हैं।

एडीजी श्रीवास्तव ने बताया कि पहले सप्ताह कुल 58 बच्चों को तलाशा गया। इनमे इस साल लापता हुए बच्चों में से 51 बच्चे तथा 31 अक्टूबर 2021 तक गुमशुदा बच्चों में से 7 बच्चों को तलाशा गया। दूसरे सप्ताह 54 बच्चों को पुलिस ने ढूंढ निकाला। इनमे इस साल लापता हुए बच्चों में से 49 बच्चे तथा 31 अक्टूबर 2021 तक गुमशुदा बच्चों में से 5 बच्चे शामिल है। तीसरे सप्ताह 49 बच्चों को तलाशा गया इनमें 7 बच्चे 31 अक्टूबर 2021 से पहले एवं 42 बच्चे इस साल गुम हुए बच्चों में से है।

उल्लेखनीय है कि ऑपरेशन खुशी के पहले से चौथे चरण में गुमशुदा सभी नाबालिक बच्चों की तलाश, बाल श्रम की रोकथाम तथा बाल श्रमिकों की समाज में पुनर्स्थापना के लिए कार्रवाईयां की गई थी।

एडीजी सिविल राइटस ने बताया कि राज्य के सभी जिलों की पुलिस 16 वर्ष से कम आयु के गुमशुदा बच्चों की सूचना वेब पोर्टल पर अंकित करती हैं। इन बच्चों की एक डायरेक्टरी तैयार कर अभियान से जुड़ी प्रत्येक टीम को दी जाती है। समस्त जिला एसपी इसकी मोनिटरिंग कर अभियान से जुड़े अन्य विभागों के साथ समन्वय बनाए रखते हैं।

अभियान के दौरान भीख मांगने वाले बच्चों, जिला शेल्टर होम, चाइल्ड केयर इंस्टीट्यूट, अनाथालय एवं अन्य संस्थाओं में रहने वाले बच्चों के बारे में पता लगा वेब पोर्टल पर इंद्राज गुमशुदा बच्चों से मिलान किया जाता हैं।

अभियान में पुलिस की टेक्निकल टीम के साथ जेजे एक्ट, पोक्सो एक्ट, बाल अधिकारियों के संबंध में प्रशिक्षित पुलिसकर्मियों को शामिल किया जाता है। सर्वप्रथम मानव तस्करी के दृष्टिकोण से अनुसंधान कर संगठित गिरोह के बारे में जानकारी होने से तुरंत जिला मानव तस्करी यूनिट को सूचना दी जाती है। अभियान में महिला एवं बाल विकास एनजीओ इत्यादि की टीम को भी शामिल किया जाता है।

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