नहीं करना चाहिए नवरात्रि की प्रतिपदा को कोई भी शुभ व मांगलिक कार्य

www.khaskhabar.com | Published : रविवार, 25 सितम्बर 2022, 3:36 PM (IST)

सोमवार 26 सितम्बर से शारदीय नवरात्र शुरू होने जा रहे हैं। 25 सितम्बर को समाप्त हुए पितृ पक्ष के तुरन्त बाद नवरात्र आते हैं। हिंदू धर्म में नवरात्रि का विशेष महत्व है। धर्म ग्रंथों के मुताबिक, नवरात्रि का समय बेहद शुभ होता है। एक वर्ष में यूं तो 4 नवरात्र आते हैं लेकिन जनसाधारण की धार्मिक श्रद्धा और विश्वास की दृष्टि से चैत्र और शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व होता है।

शारदीय नवरात्र हर साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से प्रारम्भ होते हैं और दशमी तिथि को समाप्त होते हैं। इस बार शारदीय नवरात्र कल यानी 26 सितंबर से शुरू होने जा रहे हैं। शारदीय नवरात्र का समापन दशमी तिथि 5 अक्टूबर को होगा। नवरात्र के पहले दिन प्रात: काल से उपवास शुरू किया जाता है और शुभ मुहूर्त में घटस्थापना की जाती है। उसके बाद माँ शैलपुत्री की विधि-विधान से पूजा की जाती है। इससे माँ अति प्रसन्न होकर भक्तों की हर कामना पूरी होने का आशीर्वाद प्रदान करती है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार नवरात्र के दिनों में विवाह को छोडक़र सभी शुभ और मांगलिक कार्य किये जा सकते हैं, क्योंकि नवरात्र में मां दुर्गा धरती पर वास करती हैं। इसलिए नवरात्रि का समय बेहद शुभ और अति महत्वपूर्ण माना जाता है। इस दौरान भूमि पूजन, गृह प्रवेश, मुंडन, कन्या या वर देखना, विवाह की तिथियाँ पक्की करना जैसे सभी शुभ और मांगलिक कार्य किये जाते हैं।

धर्म गुरूओं का कहना और यह मानना है कि प्रतिपदा तिथि में कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य नहीं किया जाना चाहिए, यहाँ तक कि किसी शुभ कार्य के लिए घर से प्रस्थान भी नहीं करना चाहिए क्योंकि इस तिथि को किया गया कार्य अशुभ फल देता है। इसलिए नवरात्रि की प्रतिपदा तिथि को (जिसे परुवा भी कहते हैं) कोई भी शुभ और मांगलिक कार्य नहीं करना चाहिए। यदि आप नवरात्रि में कोई शुभ या मांगलिक कार्य करने जा रहें हैं तो प्रतिपदा तिथि और भद्रा काल पर विचार जरूर कर लें।

आलेख में दी गई जानकारियों को लेकर हम यह दावा नहीं करते कि यह पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।


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