फिल्म समीक्षा: गुडलक जैरी— सहायक अदाकारों के बल पर फिल्म खींचती हैं जाह्ववी कपूर

www.khaskhabar.com | Published : शनिवार, 30 जुलाई 2022, 11:59 AM (IST)

—राजेश कुमार भगताणी
2018 की नयनतारा स्टारर कोलमावु कोकिला की आधिकारिक रीमेक एक ब्लैक कॉमेडी है, जिसमें एक स्मार्ट कुकी (जान्हवी कपूर), उनकी प्यारी छोटी बहन (समता सुदीक्षा), और उनकी मां (मीता वशिष्ठ), उनके दिमाग का फव्वारा है। ये महिलाएं पंजाब के एक शहर में एक छोटी बिहारी परिवार इकाई बनाती हैं, जो हर तरह के पुरुषों से घिरी होती है। एक दयालु चाचा जी टाइप (नीरज सूद) जो मां पर नरम होते हैं। एक लेअबाउट (दीपक डोबरियाल), अलग-अलग रंगों में ढँके बाल, जो जैरी पर चौकस नजर रखता है। अजीबोगरीब ड्रग डीलर, हमेशा कोरियर की तलाश में, अपनी बंदूकों का इस्तेमाल करने के लिए तत्पर रहते हैं। और पुलिस का एक पोज, हर किसी की पूंछ पर गर्म, जिस पर उन्हें संदेह है।

फिल्म के बारे में आनंददायक बात यह है कि यह इस तथ्य को कभी नहीं खोती है कि इसे एक शरारत की जरूरत है। जैरी दुनिया के तौर-तरीकों को जल्दी से सीख लेती है, चाहे वह अपने डोडी मसाज पार्लर की नौकरी में हो, खौफनाक ग्राहकों को चकमा दे रही हो, या जब वह बसों और टेंपो में पीछे की सडक़ों को पार कर रही हो, करोड़ों का कंट्राबेंड ले जा रही हो, मल्टी- रंगे हुए डकैत। जॉकी-मेनिंग टोन की सही डिग्री बनाने का एक स्पष्ट प्रयास भी है।
जहाँ कहीं कथानक थोड़ा ढीला पडऩे लगता है निर्देशक ने उसे संभालने के लिए पुलिस और गैंगस्टरोंं के दृश्यों के जरिये उसे संभालने का प्रयास किया है। इसमें उनकी मदद करता है बदमाश टिम्मी।

अभिनय की बात करें तो सबसे पहले प्रभावित करती हैं मीता वशिष्ठ, जिन्हें कुछ हटके की भूमिका में देखकर अच्छा लगा, सोबर किरदारों से इतना अलग कि वह आमतौर पर दुखी रहती हैं। यही बात सुशांत सिंह के लिए कही जा सकती है, जो आंखों में चमक बनाए रखता है, यहां तक कि वह सफेद पाउडर के अपने पैकेट गिनता है और उन्हें गायब पाता है। वह उड़ता पंजाब के इस हल्के-फुल्के संस्करण में बिल्कुल फिट बैठता है।

हां जाह्नवी कपूर के बारे में ऐसा कुछ नहीं कह सकते। निर्देशक से सबसे बड़ी कमी उनके किरदार को उभारने में यह हुई है कि वह उनसे सही तरह से बिहारी लहजा नहीं पकड़वा पाए हैं। लेकिन इसमें कोई संदेह नहीं है कि वह अभिनय के मामले में सभी का नेतृत्व करती है। वह अपने अभिनय से दर्शकों के चेहरे पर छोटी सी मुस्कान लाने में कामयाब हुई है। फिल्म में कुछेक ऐसे दृश्य हैं जो दर्शकों को मुस्कराने का मौका देते हैं।

फिल्म में एक-दो गीत हैं जो किसी चरित्र पर नहीं फिल्माये गये हैं अपितु यह दृश्यों के साथ-साथ सुनाई देते हैं। कुल मिलाकर यह एक ऐसी फिल्म है जिसे आराम से घर बैठे देखा जा सकता है। हल्के फुल्के क्षणों वाली इस फिल्म को एक बार जरूर देखा जा सकता है।

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