खेती किसानी के लिए वर्ष 2023 में नैनो डीएपी सहकारी समितियों को मिलेगा

www.khaskhabar.com | Published : शुक्रवार, 24 जून 2022, 6:26 PM (IST)

जयपुर । प्रमुख शासन सचिव, सहकारिता श्रीमती श्रेया गुहा ने कहा कि किसान कृषि कार्यों में यूरिया के स्थान पर नैनो यूरिया का इस्तेमाल करें। नैनो यूरिया उत्पादन बढ़ाने के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण में भी बहुत उपयोगी है। सहकारी समितियां सहकार जन के माध्यम से नैनो यूरिया के इस्तेमाल एवं इससे होने वाले फायदों के बारे में किसानों को जागरूक करें। उन्होंने कहा कि कृषि एवं सहकारिता विभाग को नैनो यूरिया की जानकारी पहुंचाने के लिए जिला एवं ब्लॉक लेवल पर सम्मेलन करने चाहिए।
श्रीमती गुहा सहकार भवन में आयोजित राज्य स्तरीय सहकार सम्मेलन को संबोधित कर रही थी। उन्होंने कहा कि नैनो यूरिया किसानों के हित का नया उत्पाद है। जिसका फायदा किसानों के साथ-साथ सहकारी समितियों को भी होगा। उन्होंने कहा कि सहकारिता का आंदोलन समुदाय को सशक्त करने के लिए हुआ है और केन्द्र में भी नया सहकारिता मंत्रालय बनने और राज्य के भी सहयोग से आने वाले दिनों में सहकारिता को और बल मिलेगा।
कार्यक्रम के अध्यक्ष इफको के प्रबंध निदेशक डॉ. उदय शंकर अवस्थी ने कहा कि अगले वर्ष नैनो डीएपी को भी किसानों के हित में उपयोग के लिए लाया जाएगा। भारत सरकार ने इफको के नैनो यूरिया को स्वीकृति दे दी है। उन्होंने कहा कि यूरिया का उपयोग कृषि के साथ वातावरण को भी नुकसान पहुंचाता है। राजस्थान में पानी की कमी को देखते हुए नैनो यूरिया का उपयोग अच्छे परिणाम दे रहा है। आज विज्ञान के क्षेत्र में नैनो तकनीक का उपयेाग तेजी से बढ़ रहा है। ऐसे में कृषि क्षेत्र में भी नैनो तकनीक के माध्यम से कृषि उत्पादन को बढ़ावा देने के साथ-साथ पर्यावरण के अनुकूल एवं उतम स्वास्थ्य के लिए कृषि तकनीक का उपयोग शुरू हुआ है।
डॉ अवस्थी ने कहा कि यूरिया के उपयोग से उत्पादन मे कमी के साथ जमीन को भी नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा कि सहकार जन किसानों को नैनो यूरिया के उपयोग के बारे में बताए क्योंकि नैनो यूरिया का पत्तियों पर छिड़काव करने से नाइट्रोजन की आपूर्ति हो जाती है। जिससे उत्पादन में वृद्धि के साथ पर्यावरण भी सुरक्षित रहता है। उन्होंने कहा कि सहकारिता के द्वारा कृषि क्षेत्र में नैनो तकनीक, जैविक उर्वरकों को बढ़ावा देने की सख्त जरूरत है।
रजिस्ट्रार सहकारिता मुक्तानंद अग्रवाल ने कहा कि किसानों को रासायनिक उर्वरकों के स्थान पर जैव उर्वरक का उपयोग करना चाहिए। नैनो यूरिया सुगम तरीके से खेती के कार्यो में अपनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि सहकारिता ने कृषि के क्षेत्र में कई परिवर्तन किए है। इसमें नैनो यूरिया के साथ आने वाले समय में नैनो तकनीक का कृषि कार्य में उपयोग बढ़ेगा। इसमें सहकारिता अपनी भूमिका से किसानों की आमदनी बढ़ाने में महत्चपूर्ण साबित हो सकता है।
अग्रवाल ने कहा कि सहकारिता 7 हजार से अधिक ग्राम सेवा सहकारी समितियों एवं 250 केवीएसएस के माध्यम से उर्वरकों, खाद, बीज एवं विपणन का कार्य करती है। आम किसान तक पहुंच बढ़ाने के लिए प्रत्येक ग्राम पंचायत पर नई जीएसएस बनाई जा रही है। अल्पकालीन फसली ऋण का लक्ष्य दो वर्षों में 16 हजार करोड़ से बढ़ाकर 20 हजार करोड़ रूपये किया गया है। एग्रो प्रोसेसिंग यूनिट पर ऋण एवं अनुदान देकर सहकारी समितियों के व्यवसाय को बढ़ाया जा रहा है। 400 से अधिक जीएसएस एवं केवीएसएस पर कस्टम हायरिंग सेन्टर की स्थापना की गई है। अतः किसान भी जागरूक होकर सरकारी योजनाओं का लाभ ले।

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