फिल्म समीक्षा : अक्षय कुमार की साख को धक्का पहुँचाती है सम्राट पृथ्वीराज

www.khaskhabar.com | Published : शनिवार, 04 जून 2022, 5:42 PM (IST)

—राजेश कुमार भगताणी

आदित्य चोपड़ा निर्मित और डॉ. चन्द्रप्रकाश द्विवेदी लिखित निर्देशित सम्राट पृथ्वीराज की वीरता की कहानी है। इतिहास में सम्राट पृथ्वीराज का जिक्र वीर योद्धा के रूप में किया जाता है जिसने अफगानिस्तान के बादशाह मोहम्मद गौरी को हराने में सफलता प्राप्त की थी और जिसने अपने शब्दभेदी बाण से उसका अन्त किया था। फिल्म में इस घटनाचक्र के साथ-साथ पृथ्वीराज और संयोगिता की प्रेम कहानी को भी दिखाया गया है। चन्द्रप्रकाश द्विवेदी का निर्देशन अच्छा है लेकिन पटकथा धीमी है। हालांकि फिल्म में कुछ दृश्य ऐसे हैं जिन पर दर्शक दिल खोलकर तालियाँ बजाता है। जैसे—जब सम्राट मोहम्मद गौरी के भाई को पनाह देता है, जब सम्राट संयोगिता को भगाकर ले जाता है, जब सम्राट जानवरों से भिड जाता है और अन्त में जब सम्राट मोहम्मद गौरी को मार देता है। फिल्म का क्लाइमैक्स मजेदार है। इस दौरान बोले गए संवाद अच्छे हैं लेकिन उनमें तीखापन नहीं है।

अभिनय की दृष्टि से अक्षय कुमार ने पृथ्वीराज के चरित्र को पूरी तरह जिया है लेकिन उनकी सबसे बड़ी कमजोरी उनकी संवाद अदायगी है। इस चरित्र के लिए उनकी आवाज में जिस बुलंदी की जरूरत थी उसकी कमी खलती है। इस मामले में आशुतोष राणा ने बाजी मारी है। उन्हें जो संवाद मिले हैं उसे उन्होंने धीर-गम्भीर आवाज में बोला है, अक्षय कुमार यहीं मात खा गए हैं। विश्व सुंदरी का खिताब अपने नाम कर चुकी मानुषी छिल्लर औसत रही हैं। हाँ वे खूबसूरत बहुत लगी हैं। सोनू सूद और संजय दत्त ने अपने-अपने चरित्र को सही अंजाम दिया है। संजय दत्त से कॉमेडी करवाने का प्रयास भी किया गया है लेकिन दर्शकों पर इसका असर नहीं होता है। तारीफ करेंगे साक्षी तंवर की जिन्होंने छोटे से दृश्य में अपनी गहरी छाप दर्शकों पर छोड़ी है।

द्विवेदी का निर्देशन अच्छा है। उन्होंने फिल्म को भव्य स्तर पर दिखाया है। यदि यही प्रयास वे पटकथा पर भी करते तो यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर बेहतरीन कारोबार करने में सफल होती। फिल्म की सबसे बड़ी कमजोरी इसका संगीत पक्ष है। संगीतकार शंकर एहसान लॉय फिल्म की आवश्यकता के अनुसार संगीत नहीं दे पाए हैं। यही हाल गीतकार वरुण ग्रोवर का रहा है। बैकग्राउण्ड में चलने वाले गीत में उनके बोल अच्छे हैं बाकी में नहीं। कोरियाग्राफर के तौर पर वैभवी मर्चेन्ट असफल रही हैं। अदाकारों को उनके द्वारा दिए गए स्टेप्स दर्शकों को प्रभावित नहीं करते हैं। ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर आधारित फिल्मों में बैकग्राउण्ड म्यूजिक बहुत अहमियत रखता है। इसकी बदौलत दृश्यों का प्रभाव बढ़ जाता है, यदि यह कमजोर रहता है तो दृश्य का प्रभाव कम हो जाता है। सम्राट पृथ्वीराज में यह भी एक सबसे बड़ी कमी रही है। संचित बल्हारा और अंकित बल्हारा दृश्यों की आवश्यकता के अनुसार संगीत देने में असफल रहे हैं।
कुल मिलाकर सम्राट पृथ्वीराज अक्षय कुमार की साख को धक्का पहुँचाती है और दर्शकों की अपेक्षाओं को पूरा करने में असफल रहती है। 300 करोड़ की लागत में बनी इस फिल्म को अपनी लागत निकालने के लिए बॉक्स ऑफिस पर 400 करोड़ का कारोबार करने की आवश्यकता है जो इसकी शुरूआत देखते हुए मुश्किल लगता है।

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