हिमालय की गोद में बसा पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र है मनाली

www.khaskhabar.com | Published : शनिवार, 28 मई 2022, 12:27 PM (IST)

—राजेश कुमार भगताणी
एशिया में चीन के बाद भारत एक मात्र ऐसा देश है जो आबादी और क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे बड़ा है। कहा तो यह जाने लगा है कि वर्तमान में भारत की जनसंख्या चीन से ज्यादा है। हालांकि 2011 के बाद से भारत की जनसंख्या गणना नहीं हो पाई है। पर्यटन की दृष्टि भारत का विश्व में अपना एक अलग स्थान है। भारत में यूं तो पर्यटन के लिहाज से कई ऐसे क्षेत्र हैं जिन्हें एक बार देखने के बाद बार-बार देखने का मन करता है। इन्हीं क्षेत्रों में शामिल है हिमाचल प्रदेश का सबसे लोकप्रिय हिल स्टेशन, मनाली, जो वर्ष के अधिकांश समय पीर पंजाल और धौलाधार पर्वतमाला के सबसे शानदार दृश्य प्रस्तुत करता है। हिमाचल प्रदेश उत्तर भारत का सबसे खूबसूरत पहाड़ी इलाका है जो पर्यटकों को अपनी ओर खींचता है। पश्चिमी हिमालय की गोद में बसा यह राज्य पहाड़ों व नदियों से घिरा है। ये राज्य रावी, चेनाब, ब्यास, यमुना व सत्लुज जैसी बड़ी नदियों का मूल क्षेत्र है। प्राकृतिक सुंदरता से परिपूर्ण यह क्षेत्र छुट्टियाँ मनाने के लिए एक बहुत ही उम्दा पसंद है। हिमाचल प्रदेश का एक खूबसूरत पर्यटन स्थल है मनाली, जो शिमला से लगभग 275 किलोमीटर दूर है। चारों ओर से पहाड़ों से घिरे मनाली को देखकर रोमांच और रोमांस का अनुभव होता है। एडवेंचरस के शौकीन लोगों के लिए यह बेहतरीन स्पॉट है। यह बेस्ट हनीमून स्पॉट भी है।

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प्राकृतिक स्थिति
मनाली भारत के हिमाचल प्रदेश राज्य के कुल्लू जिले में स्थित एक नगर है। यह 1,950 मीटर (6,398 फीट) की ऊँचाई पर ब्यास नदी के किनारे कुल्लू घाटी के उत्तरी छोर पर बसा हुआ है। मनाली राज्य की राजधानी, शिमला, से 270 किमी उत्तर में, चंडीगढ़ से 309 किमी पूर्वोत्तर में और दिल्ली से 544 किमी पूर्वोत्तर में स्थित है। यह भारत के लद्दाख क्षेत्र और फिर काराकोरम दर्रे के पार तारिम द्रोणी में यारकन्द और खोतान जाने के प्राचीन व्यापारिक मार्ग का आरम्भ-बिन्दु है। मनाली एक लोकप्रिय पर्वतीय स्थल (हिल स्टेशन) है और पर्यटकों के लिए लाहौल और स्पीति जिले तथा लेह का प्रवेश द्वार भी है।
मनु के नाम पर है शहर
मनाली शहर का नाम मनु के नाम पर पड़ा है। मनाली शब्द का शाब्दिक अर्थ मनु का निवास-स्थान होता है। पौराणिक कथा के मुताबिक जल-प्रलय से दुनिया की तबाही के बाद मनुष्य जीवन को दुबारा निर्मित करने के लिए साधु मनु अपने जहाज से यहीं पर उतरे थे। मनाली को देवताओं की घाटी के रूप में जाना जाता है। पुराने मनाली गांव में ऋषि मनु को समर्पित एक अति प्राचीन मंदिर हैं।
इतिहास
मनाली और उसके आस-पास के क्षेत्र भारतीय संस्कृति और विरासत के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इसे सप्तर्षि या सात ऋषियों का घर बताया गया है। अस्सी के दशक में कश्मीर में बढ़ते आतंकवाद के बाद मनाली के पर्यटन को जबरदस्त बढ़ावा मिला। जो गाँव कभी सुनसान रहा करता था वो अब कई होटलों और रेस्तरों वाले एक भीड़-भाड़ वाले शहर में परिवर्तित हो गया। मनाली 32.16एहृ 77.10एश्व पर अवस्थित है। यह शहर 1,800 मीटर (5,900 फीट) से ऊपरी (प्राचीन मनाली) भाग, 2,000 मीटर (6,600 फीट) की ऊंचाई तक फैला हुआ है। मनाली का मौसम जाड़े में प्रबल रूप से ठंडा और गर्मी के दिनों में हल्का ठंडा रहता है। इस क्षेत्र में हिमपात जो आमतौर पर दिसंबर के महीने में होता था, पिछले पन्द्रह वर्षों से विलंबित होकर जनवरी या शुरूआती फरवरी में होने लगा है।

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पर्यटकों के आकर्षण का केन्द्र है मनाली
मनाली, लोकप्रिय हिमालय सम्बन्धी पर्यटक स्थल है और यह हिमाचल प्रदेश आने वाले कुल यात्रियों का लगभग एक चौथाई हिस्सा दर्शाता है। मनाली का ठंडा वातावरण भारत की चिलचिलाती गर्मी के मौसम में भी राहत प्रदान करता है। यहाँ साहसी खेलों जैसे स्कीइंग, हाइकिंग (लंबी पैदल यात्रा), पर्वतारोहण, पैराग्लाइडिंग, राफ्टिंग, ट्रैकिंग, कायाकिंग और माउन्टेन बाइकिंग का भी पर्यटक आनन्द लेते हैं। यॉक स्कीइंग इस क्षेत्र का एक अनोखा खेल है। अपने एक्सट्रीम याक स्पोट्र्स के कारण मनाली को एशिया में सर्वश्रेष्ठ के रूप में टाईम्स मैगजीन में चित्रित किया गया है। इसके अतिरिक्त मनाली अपने गर्म बसंत, धार्मिक तीर्थ स्थल और तिब्बती बौद्ध मंदिरों के चलते दर्शकों के आकर्षण का केन्द्र है।

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जलप्रपात, जिसे देखना नहीं भूलते पर्यटक
हिमाचल प्रदेश की कुल्लू घाटी के उत्तरी छोर में स्थित मनाली न केवल भारत के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है, बल्कि एक महत्वपूर्ण हनीमून स्थल भी है। मनाली हनीमून मनाने वालों के लिए शानदार और आरामदायक कॉटेज और सर्दियों के दौरान बर्फबारी के लिए एक आदर्श स्थान है। हरी-भरी हरियाली, विरासत स्थलों, कैफे और साहसिक गतिविधियों के लिए भरपूर जगह के साथ, होलीडिफाई के मनाली यात्रा पैकेजों की विविध रेंज के साथ इसका अनुभव करें।
मनाली में जो चीज अक्सर बड़ी भीड़ को आकर्षित करती है, वह है इसका प्राकृतिक लाभ; झरने वाले झरने, हरी-भरी घाटियाँ, नए गाँव, बर्फ से ढके इलाके और बहुत कुछ जो इसे अविश्वसनीय दर्शनीय स्थल बनाते हैं। सुरम्य जोगिनी जलप्रपात की यात्रा करना पर्यटक नहीं भूलते हैं। इसका रास्ता बागों, देवदार के पेड़ों और बहती धाराओं से गुजरता है और रोहतांग के शानदार दृश्यों के साथ समाप्त होता है। रोहला फॉल्स एक और झरना है जिसे देखने का लालच पर्यटक छोड़ नहीं पाते हैं, यह एक उत्कृष्ट पिकनिक स्थल है और रोहतांग दर्रे के रास्ते में पड़ता है।

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नवदम्पतियों का पसंदीदा हनीमून सेंटर
पिछले वर्षों में मनाली नवदम्पतियों का एक पसंदीदा स्थान बन गया है। आंकड़े दर्शाते हैं कि मौसम (मई, जून, दिसंबर, जनवरी) में रोजाना लगभग 550 जोड़े हनीमून के लिए मनाली पहुंचते हैं और शेष समय में रोजाना लगभग 350 जोड़े प्रतिदिन मनाली पहुंचते हैं। यह स्थान अपने बौद्ध मठों के लिए जाना जाता है। पूरे कुल्लू घाटी में तिब्बती शरणार्थियों की सबसे ज्यादा उपस्थिति के साथ-साथ यह अपने 1969 में निर्मित गदन थेकोकलिंग गोम्पा के लिए भी प्रसिद्ध है। मठों का रख-रखाव स्थानीय चंदों और मंदिर कार्यशाला में हस्त निर्मित कालीनों को बेचकर किया जाता है। सबसे छोटा और अत्याधुनिक हिमालयन न्यिन्गामापा गोम्पा बाजार के निकट सूर्यमुखी के लहलहाते बगीचे में स्थित है।
नाग्गर किला
नाग्गर किला, जो मनाली के दक्षिण में स्थित है, पाल साम्राज्य का स्मारक है। चट्टानों, पत्थरों और लकडिय़ों के विस्तृत कढ़ाईयों से बना यह हिमाचल के समृद्ध और सुरुचिपूर्ण कलाकृतियों का सम्मिश्रण है। इस किले को बाद में एक होटल में परिवर्तित कर दिया गया।

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हिडिम्बा देवी मंदिर
हिडिम्बा देवी मंदिर, यह एक प्राचीन गुफा-मन्दिर है जो हिडिम्बा देवी या हिरमा देवी को समर्पित है। जिसका वर्णन महाभारत में भीम की पत्नी के रूप में मिलता है । यह मंदिर अपने चार मंजिला शिवालय एवं विलक्षण काठ की कढ़ाई के लिए जाना जाता है। मन्दिर में उत्कीर्ण एक अभिलेख के अनुसार इस मंदिर का निर्माण राजा बहादुर सिंह ने 1553 ईस्वी में करवाया था। पैगोडा की शैली में निर्मित यह मंदिर अत्यंत सुंदर है । यह मंदिर मनाली शहर के पास के एक पहाड़ पर स्थित है । मनाली आने वाले सैलानी यहाँ जरूर आते हैं। देवदार वृक्षों से घिरे इस मंदिर की खूबसूरती बर्फबारी के बाद देखते ही बनती है ।

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सोलंग घाटी
सोलंग घाटी जिसे लोकप्रिय रूप से बर्फ बिंदु (स्नो पॉइंट) के रूप में जाना जाता है, मनाली के 13 किमी उत्तर पश्चिम में है।

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मानिकरण
मानिकरण कुल्लू से करीब 45 किमी दूर मनाली जाने वाले रास्ते में स्थित है और पार्वती नदी के नजदीक अपने गर्म स्रोतों के लिए जाना जाता है।

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एडवेंचरस
एडवेंचरस के शौकीन लोगों के लिए यह बेहतरीन स्पॉट है। यहां आने वाले पर्यटक कस्बे में स्थित गांव में ठहरते हैं। यहां आप ट्रैकिंग, स्कीइंग और राफ्टिंग का मजा लेते हैं। मनाली से 13 किलोमीटर की दूरी पर स्थित सोलन या सोलांग वैली सैलानियों को अपनी और आकर्षित करती है। यहां ट्रैकिंग, स्कीइंग और माउंटेनियरिंग के कैंप आयोजित किए जाते हैं। आप यहां पैराग्लाइडिंग, पैराशूटिंग, स्कीइंग और हॉर्स राइडिंग भी कर सकते हैं।

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प्रकृति का खजाना
चारों ओर से पहाड़ों से घिरे मनाली को देखकर रोमांच और रोमांस का अनुभव होता है। मनाली न केवल अपने अद्भुत प्राकृतिक सौंदर्य के कारण पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है, बल्कि कुल्लू घाटी का असली सौंदर्य मनाली में ही देखने को मिलता है। यहां देखने और घूमने के लिहाज से बहुत से मशहूर स्थल हैं। यहां की सुरमई शाम अलसाती भोर का मजा ही कुछ और है। मनाली में व्यास नदी, जोगिनी झरना, सोलांग घाटी, रोहतांग पास और हिमवैली देखने लायक है।

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कोठी राहला फॉल्स
मनाली से करीब 12 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है कोठी। यहां से पहाड़ों का मनोरम दृश्य दिखाई देता है। यहां बीस नदी का तेजी से बहता ठंडा पानी अदभुत नजारा पेश करता है। कोठी से दो किमी की दूरी पर बीस नदी पर राहला फॉल्स स्थित है। यहां 50 मीटर की ऊंचाई से गिरता झरने का पानी सैलानियों को खूब लुभाता है।

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गर्म कुंड में डुबकी लगायें
मनाली से कुछ दूर पर ही स्थित वशिष्ठ मंदिर है। यह जगह खासतौर पर गर्म पानी के स्रोत के लिए जानी जाती है। इस पानी का तापमान बहुत अधिक है। इस जगह आने वाले पर्यटक को इस कुंड में एकबार तो डुबकी लगानी ही चाहिए। इस पानी से शरीर के सारे रोग दूर हो जाते हैं।

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जंगल
मनाली सैंचुरी में पर्यटक कैपिंग के लिए पहुंचते हैं। यह अभयारण्य 31.8 वर्ग किमी. के क्षेत्र में फैला हुआ है जो मनाली का मुख्य आकर्षण केंद्र है। इस सेंचुरी का उद्घाटन 26 फरवरी 1954 में किया गया था। इस अभयारण्य को पंजाब बर्ड और वाइल्ड एनीमलस प्रोटेक्शन एक्ट, 1933 के तहत खोला गया है। इस अभयारण्य में कई प्रकार की चिडिय़ां और जानवर हैं जो देश में काफी दुर्लभ है और सामान्यत: देखने को नहीं मिलते हैं। पर्यटक यहां आकर कश्मीरी उडन गिलहरी, हिमालय काला भालू, उडऩे वाली लोमड़ी, हिमालय का येलो थ्रोटेड मार्टन और हिमालय पाम सिवेट आदि कई प्रकार के जानवर देख सकते हैं जिनका कभी नाम भी नहीं सुना होगा।

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फलों से बनी हुई वाइन
मनाली की जलवायु बेहद अच्छी है। जिस कारण मनाली को भारत की फलों की टोकरी भी कहा जाता है। यहां से आप सेब संतरे के अलावा घर की बनी फलों की वाइन खरीद सकते है।
किराये की गाड़ी से करे रोड ट्रिप
अगर आप बाइक चलाने के शौक़ीन है तो आप मनाली में बाइक किराए पर लेकर रोहतांग पास की सैर कर सकते हैं। यह पास जून से लेकर अक्टूबर तक खुला रहता है। पास बंद होने के बाद भी आप गुलाबा तक की सैर कर सकते हैं जोकि मनाली से 50 किमी की दूरी पर स्थित है।

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रोहतांग पास
मनाली से करीब 53 कि.मी. दूर स्थित प्रसिद्ध रोहतांग पास में पर्यटकों को ग्लेशियर, चोटियां और घाटियों के एडवेंचरस और सांसें रोक देने वाले दृश्य दिखाई देते हैं।

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रिवर राफ्टिंग
रिवर राफ्टिंग के शौकीनों के लिए मनाली स्थित ब्यास नदी किसी जन्नत से कम नहीं है।।यहां नाने वाले पर्यटक इस नदी पर राफ्टिंग का लुत्फ उठा सकते हैं।।इस राफ्टिंग को डेढ़ घंटे की अवधि में खत्म किया जाता है।

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हवा का झरोखा
मनाली के बाहरी भाग में हवा का एक अनोखा प्राकृतिक स्थान है- झरोखा। यह स्थान तीनों तरफ से पहाडिय़ों से घिरा है। उन पहाडिय़ों के बीच से लगातार ठंडी हवाएं बहती रहती हैं। यहां एक शिव मंदिर भी है, जो पूर्णतया: लकड़ी से बना है। यह प्राचीन कला कौशल का श्रेष्ठ प्रमाण है।

सावधानियां
मनाली जा रहे हैं तो अपनी सुरक्षा, ट्रेकिंग के सभी सामान ले जाएं। बर्फबारी और ठंड से बचने के लिए भी इंतजाम कर लें। यहां भूस्खलन भी होते रहते हैं। जनवरी और फरवरी में यहाँ स्नोफॉल होता है।


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परिवहन
सडक मार्ग

मनाली, राष्ट्रीय राजमार्ग 3 द्वारा दिल्ली से बहुत अच्छी तरह जुड़ा हुआ है, जो लेह तक जाता है और जो दुनिया की सबसे ऊंची वाहनीय सडक़ होने का दावा पेश करता है। नई दिल्ली से मनाली तक सडक़ मार्ग से जाने पर इसके बीच में हरियाणा के पानीपत और अम्बाला, चंडीगढ़ (केंद्र शासित क्षेत्र), पंजाब के रोपर और हिमाचल के बिलासपुर, सुंदरनगर व मंडी शहर आते हैं।

रेल मार्ग
रेल से मनाली पहुंचना इतना आसान नहीं है। सबसे नजदीकी बड़ी लाइनों के मुख्य रेलवे स्टेशन उना (250 किमी (820,000 फीट) चंडीगढ़ (315 किमी (1,033,000 फीट), पठानकोट (325 किमी (1,066,000 फीट) और कालका (310 किमी (1,020,000 फीट) पर स्थित हैं। नजदीकी छोटी लाइन का मुख्य रेलवे स्टेशन जोगिंदर नगर (135 किलोमीटर (443,000 फीट) में हैं।

वायु मार्ग
सबसे नजदीकी वायु सेवाएं, कुल्लू-मनाली विमानक्षेत्र, भुंतर में उपलब्ध हैं, जो मनाली से करीब 50 किमी (160,000 फीट) दूर है।
सर्वोत्तम समय — अक्टूबर से जून
यदि आप मनाली घूमने का मानस बना रहे हैं जो इसके लिए सर्वाधिक सर्वोत्तम समय तपती गर्मियो से लेकर हल्की सर्दियों के मध्य का है अर्थात् आपको मनाली जाने के लिए जून से लेकर अक्टूबर तक में प्रोग्राम बनाना चाहिए। वर्ष के यह 5 माह ऐसे बेहतरीन माह हैं जिनमें मनाली अपनी सर्वाधिक खूबसूरती को दर्शाता है।

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