जयपुर । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
द्वारा बुधवार को राज्य सरकारों से 'सहकारी संघवाद की भावना' में पेट्रोल
और डीजल पर मूल्य वर्धित कर (वैट) कम करने का आग्रह करने के बाद राजस्थान
के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने केंद्र पर पेट्रोल और डीजल पर टैक्स लगाकर
देश के इतिहास में सबसे ज्यादा राजस्व कमाने का आरोप लगाया।
राजस्थान पेट्रोल पर 30 फीसदी और डीजल पर 22 फीसदी वैट लगाता है, जो देश
में सबसे ज्यादा है।
उन्होंने कहा, "केंद्र ने पिछले आठ वर्षो में
उत्पाद शुल्क से लगभग 26 लाख करोड़ रुपये कमाए, जो कि पेट्रोल और डीजल पर
कर लगाकर देश के इतिहास में किसी भी सरकार द्वारा अर्जित सबसे अधिक राशि
है। यूपीए युग की तुलना में कच्चे तेल की कम कीमतों के बावजूद, मौजूदा शासन
में पेट्रोल 110 रुपये प्रति लीटर से अधिक और डीजल 100 रुपये प्रति लीटर
से अधिक पर बेचा जा रहा है।"
यूपीए सरकार के कार्यकाल में कच्चे तेल
की कीमत 100 डॉलर प्रति बैरल तक पहुंच गई थी, लेकिन आम आदमी के हित को
देखते हुए पेट्रोल की कीमत 70 रुपये प्रति लीटर और डीजल 50 रुपये प्रति
लीटर से अधिक नहीं थी।
प्रधानमंत्री द्वारा जयपुर का नाम लेने पर
गहलोत ने कहा, "शायद प्रधानमंत्री ने भाजपा शासित भोपाल को संदेश देने के
लिए जयपुर का नाम लिया, जहां पेट्रोल-डीजल के दाम जयपुर से ज्यादा हैं।
शायद उन्होंने गलती से भोपाल को जयपुर कह दिया।"
गहलोत ने कहा,
"राजस्थान सरकार ने 29 जनवरी, 2021 को पेट्रोल और डीजल पर वैट में 2
प्रतिशत की कमी की, भले ही केंद्र ने उस समय उत्पाद शुल्क में कमी नहीं की
थी। दो दिन बाद 2021-22 के केंद्रीय बजट में, कृषि अधोसंरचना और विकास के
नाम पर डीजल पर 4 रुपये और पेट्रोल पर 2.5 रुपये का नया उपकर लगाया गया।
इससे राजस्थान के लोगों को वैट में 2 प्रतिशत की कमी का लाभ नहीं मिल सका।"
"4
नवंबर, 2021 को केंद्र ने पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में 5 रुपये और डीजल पर
10 रुपये प्रति लीटर की कमी की, जबकि मई 2020 में कोविड लॉकडाउन के दौरान,
केंद्र सरकार ने पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क में 10 रुपये और डीजल पर उत्पाद
शुल्क में 13 रुपये प्रति लीटर की वृद्धि की।"
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री ने राज्यों के वैट की बात तो की, लेकिन केंद्र सरकार के उत्पाद शुल्क की जानकारी नहीं दी।
--आईएएनएस
ये भी पढ़ें - अपने राज्य / शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे