फिल्म समीक्षा : केजीएफ-2: अरसे बाद सुनने को मिली तालियाँ और सीटियाँ

www.khaskhabar.com | Published : गुरुवार, 14 अप्रैल 2022, 3:48 PM (IST)

—राजेश कुमार भगताणी
पिछले 3 साल से चर्चाओं में रह रही केजीएफ-2 ने आज बॉक्स ऑफिस पर जबरदस्त धमाका किया। इस फिल्म को लेकर दर्शकों में कितना उत्साह है इसका नजारा सिनेमाघरों की टिकट खिडक़ी पर लगी दर्शकों की लम्बी कतारों को देखकर मिला। दर्शक सिनेमाघर के बाहर ही रॉकी-रॉकी की हूटिंग कर रहे थे।
केजीएफ 2 की कथा-पटकथा और निर्देशन प्रशांत नील का है। उनकी मेहनत रंग लेकर आई है। प्रशांत नील ने यश और संजय दत्त के किरदारों को एक-दूसरे से बखूबी पिरोया है। जहां एक तरफ यश अपने किरदार में खूब जचे हैं तो वहीं संजय दत्त ने भी अधीरा के रूप में लोगों का दिल जीतने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। हालांकि उन्हें बहुत कम सीन दिए गए हैं लेकिन जब-जब वो परदे पर आते हैं दर्शक उनका स्वागत तालियाँ की गडग़ड़ाहट के साथ करते हैं। जिन दिनों इस फिल्म को शूट किया जा रहा था संजय दत्त कैंसर का इलाज करवा रहे हैं। एक नेरेटर के तौर पर प्रकाश राज वो प्रभाव नहीं छोड़ पाते हैं जितना पहले भाग में इस किरदार को निभाते हुए अभिनेता ने छोड़ा था। वहीं रवीना टंडन ने भी अपनी भूमिका को बखूबी अदा करने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। फिल्म के कई सीन्स ऐसे हैं, जिन्हें लंबे समय तक भुला पाना भी मुश्किल होगा। खास बात तो यह है कि फिल्म की शूटिंग जेएसडब्ल्यु साइट पर हुई है, जिसने केजीएफ 2 के सीन में जान डाल दी है। प्रशांत नील ने रॉकी के रूप में लार्जन दैन लाइफ किरदार लिखा है जिसे दर्शक उसी तरह से याद रखेंगे जिस तरह से गब्बर सिंह, मोगैम्बो और एंग्रीमैन विजय को याद रखा जाता है। स्टार कास्ट से इतर केजीएफ 2 के सिनेमेटोग्राफर भुवन गौड़ा ने भी अपने काम से धूम मचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है। उन्होंने पूरी फिल्म को धूसर रंगों में बड़ी खूबसूरती से फिल्माया है। हालांकि कहीं-कहीं उन्होंने रंगों को कुछ ज्यादा डार्क कर दिया है।
फिल्म का सबसे खूबसूरत पहलू इसके संवाद हैं। किरदारों द्वारा बोले गए एक लाइन संवादों पर दर्शकों ने जमकर तालियाँ और सीटियाँ बजाई हैं। यश की फिल्म केजीएफ 2 को लेकर यह कहा जा सकता है कि फिल्म मनोरंजन, एक्शन और थ्रिलर से भरपूर है।
किये जा सकते थे ये सुधार

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किये जा सकते थे ये सुधार
यश और संजय दत्त स्टारर केजीएफ 2 यूं तो बहुत अच्छी है, लेकिन फिल्म में कुछ खामियां भी मौजूद हैं, जिन्हें ठीक किया जा सकता था। केजीएफ 2 को 10 मिनट शॉर्ट किया जा सकता था, क्योंकि कई जगह सुल्तान के तौर पर दिखाए गए रॉकी के सीन बार-बार दोहराए गए। इसके अलावा इस फिल्म में लव स्टोरी का ट्रैक भी गैर जरूरी लगा। केजीएफ चैप्टर 2 के मुकाबले केजीएफ 1 में श्रीनिधि शेट्टी बतौर रीना ज्यादा अच्छी लगी थीं।