गुरुकुल यूनिवर्सिटी से पहले 4 निजी विश्वविद्यालयों के खिलाफ जांच रिपोर्ट दबाकर बैठी है राजस्थान सरकार, यहां पढ़ें

www.khaskhabar.com | Published : शुक्रवार, 25 मार्च 2022, 1:36 PM (IST)

सत्येंद्र शुक्ला
जयपुर । राजस्थान विधानसभा में भले ही गुरुकुल यूनिवर्सिटी के फर्जीवाड़े का भंडाफोड़ हुआ हो, लेकिन इस निजी यूनिवर्सिटी का बिल मामला खुलने के बाद अटक गया है। लेकिन राजस्थान सरकार वर्ष 2018 से चार निजी विश्वविद्यालयों के फर्जीवाड़े की रिपोर्ट दबाकर बैठी है और अभी तक गहलोत सरकार ने कोई कार्रवाई नहीं की है। भले ही इन चार निजी विश्वविद्यालयों के खिलाफ जांच रिपोर्ट पूर्ववर्ती वसुंधरा सरकार के वक्त आ गई थी । इस दौरान उच्च शिक्षा विभाग ने पूर्व मुख्यमंत्री को निजी विश्वविद्यालयों में व्याप्त अनियमितताओं के संदर्भ में एक पत्र भी भेजा था।
खास खबर डॉट कॉम के पास इस पत्र की कॉपी है और यह पत्र वर्ष 2018 का है। इस पत्र में बताया गया है कि 9 निजी विश्वविद्यालयों की उनके अधिनियम की धारा 41 के तहत जांच करवाई गई है। इनमें से 6 की जांच रिपोर्टों में से 2 में सामान्य कमियां पाई गई है। जिन्हें दूर करने के लिए निर्देशित किया गया है। जबकि चार विश्वविद्यालयों में गंभीर अनियमितताएं पाई गई है।
1. भगवंत विश्वविद्यालय ,अजमेर - इस विश्वविद्यालय में अकादमिक प्रकृति की गंभीर अनियमितताएं पाई गई है। जैसे प्रवेश में अनियमितता, योग्य एवं पर्याप्त फैकल्टी की कमी, संसाधनों का अभाव आदि है, जो कुप्रबंधन एवं कुप्रशासन की स्थिति है।

2. ओपीजेएस विश्वविद्यालय, चूरू - इस विश्वविद्यालय में अकादमिक प्रकृति की गंभीर अनियमितताएं पाई गई है। जैसे प्रवेश में अनियमितता, योग्य एवं पर्याप्त फैकल्टी की कमी, संसाधनों का अभाव, विश्वविद्यालय के कर्मचारी फर्जी डिग्री जारी करते हुए पकड़े जाना, आदि है, जो कुप्रबंधन एवं कुप्रशासन की श्रेणी में आता है।
3. श्री जगदीश प्रसाद झाबरमल टिबरेवाल विश्वविद्यालय, चुडेला, झुंझुनूं - इस विश्वविद्यालय में शोध कार्य मं गंभीर अनियमितताएं पाई गई है, जो पीएचडी संबंधी यूजीसी रेगुलेशन्स का खुला उल्लंघन है।
4. श्रीधर विश्वविद्यालय, बिगोदना झुंझुनूं - इस विश्वविद्यालय की फर्जी डिग्रियां बाजार में होना पाया गया है। जो विश्वविद्यालय द्वारा स्वीकार भी किया गया है। विश्वविद्यालय द्वारा वर्ष 2014 में एकआईआर दर्ज करवाने हेतु पुलिस को पत्र लिखने बाबत सूचित किया गया है, लेकिन कोई प्रभावी कार्यवाही विश्वविद्यालय द्वारा नहीं की गई है, न ही तत्समय राज्य सरकार को सूचित किया गया, जो मिलीभगत का द्योतक है।
इस तरह का पत्र पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के दफ्तर भेजा गया था। लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। वहीं वर्तमान गहलोत सरकार निजी विश्वविद्यालयों की मनमानी पर अकुंश लगाने को लेकर अभी तक कोई प्राधिकरण या नियामक आयोग नहीं बना सकी है ।


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