बेंगलुरू । कर्नाटक उच्च न्यायालय ने
इंडिया अवेक फॉर ट्रांसपेरेंसी लिमिटेड के दो प्रतिनिधियों को आईटी प्रमुख
विप्रो लिमिटेड और इसके संस्थापक और अध्यक्ष अजीम प्रेमजी के खिलाफ
बार-बार मामले दर्ज करने के लिए दोषी ठहराया है।
विप्रो के चेयरमैन अजीम प्रेमजी, विप्रो लिमिटेड और हाशम
इन्वेस्टमेंट एंड ट्रेडिंग कंपनी लिमिटेड ने चेन्नई स्थित 'शेल' कंपनी और
उसके प्रतिनिधियों के खिलाफ आपराधिक अवमानना के तहत कार्रवाई की मांग करते
हुए एक याचिका दायर की थी।
कोर्ट ने अवमानना कानून के तहत आर.
सुब्रमण्यम और पी. सदानंद को दोषी ठहराया है। सुब्रमण्यम वकील के रूप में
पेश हुए और सदानंद ने एक एक्टिविस्ट होने का दावा किया। अदालत ने दोनों को
दो-दो महीने के साधारण कारावास और दो-दो हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई।
पीठ
ने कहा कि याचिकाकर्ताओं ने कंपनी के नाम पर बार-बार मामले दायर किए जो
अस्तित्व में नहीं हैं। उन्होंने 'इंडिया अवेक फॉर ट्रांसपेरेंसी' नाम दिया
था और 'प्राइवेट लिमिटेड' शब्दों को छिपाकर पूरा नाम नहीं दिया था।
अदालत ने कहा कि यह तथ्य को छिपाने और अदालत को गुमराह करने का प्रयास है।
अदालत
ने रजिस्ट्रार (न्यायिक) को दोनों की गिरफ्तारी के लिए वारंट तैयार करने
का निर्देश दिया। अदालत ने आगे उन्हें शिकायतकर्ता और उनके समूह के खिलाफ
किसी भी अदालत, न्यायाधिकरण और मंचों सहित किसी भी प्राधिकरण के समक्ष कोई
कानूनी कार्यवाही दर्ज करने से रोकने के आदेश दिए।
कोर्ट ने इससे
पहले 12 फरवरी, 2021 को इंडिया अवेक फॉर ट्रांसपेरेंसी की याचिका खारिज कर
दी थी और 10 लाख रुपये का जुमार्ना लगाया था। उन्होंने याचिकाकर्ता के आचरण
की भी निंदा की।
इसे डिवीजनल बेंच में चुनौती दी गई थी। 25 मार्च
को डिवीजनल बेंच ने पिछले आदेश को बरकरार रखा और कहा कि कंपनी का आचरण
आपराधिक अवमानना है।
प्रेमजी दंपत्ति ने कहा कि हालांकि मामला
कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय द्वारा सुलझा लिया गया था, उसके बाद भी
याचिकाकर्ताओं ने जांच की मांग करते हुए कई मामले दायर किए।
--आईएएनएस
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