कोलकाता । पश्चिम बंगाल के राज्यपाल
जगदीप धनखड़ ने बुधवार को कहा कि मुख्य सचिव एच. के. द्विवेदी और पुलिस
महानिदेशक (डीजीपी) मनोज मालवीय ने तीन दिनों में उनके साथ दो निर्धारित
बैठकों में शामिल नहीं होकर न केवल शीर्ष सेवाओं की प्रतिष्ठा को नुकसान
पहुंचाया है, बल्कि एक बैठक के लिए उनके बार-बार कहने के बावजूद लोकतंत्र
के सार का भी उल्लंघन किया है।
धनखड़ का बयान ऐसे समय पर आया, जब राज्य के दो शीर्ष अधिकारी उनके द्वारा
बुलाई गई बैठक में शामिल नहीं हुए।
बुधवार को एक ट्विटर पोस्ट में
राज्यपाल ने कहा, तीन दिनों में दूसरी बार शीर्ष अधिकारियों द्वारा
कार्रवाई योग्य असंगत संवैधानिक चूक.. दोनों अधिकारियों ने न केवल शीर्ष
सेवाओं की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाया, बल्कि एक बैठक के लिए उनके
बार-बार कहने के बावजूद लोकतंत्र के सार का भी उल्लंघन किया।
उन्होंने
कहा, मुख्य सचिव, डीजीपी का आचरण प्रतिक्रिया की कमी और गवर्नर के
निर्देशों की आदतन अवहेलना से बढ़ा है। संविधान और लोकतांत्रिक मूल्यों की
सर्वोच्चता को बनाए रखने के बजाय इन अधिकारियों ने लोकतंत्र के सार का
उल्लंघन किया है।
धनखड़ ने यह भी कहा कि वह यह सुनिश्चित करेंगे कि
मुख्य सचिव और डीजीपी संवैधानिक खांचे में आ जाएं। राज्यपाल ने कहा कि
उन्होंने अपनी सेवाओं की प्रतिष्ठा, अपने पद की प्रतिष्ठा को नुकसान
पहुंचाया है और पश्चिम बंगाल राज्य में लोकतंत्र से समझौता किया है।
इससे
पहले राज्यपाल धनखड़ ने सोमवार शाम पांच बजे उनके साथ होने वाली बैठक में
शामिल नहीं होने पर मंगलवार को अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए मुख्य सचिव
हरि कृष्ण द्विवेदी और डीजीपी मनोज मालवीय से स्पष्टीकरण मांगा था।
धनखड़
ने राज्य सरकार के दो शीर्ष अधिकारियों को उन्हें भाजपा नेता प्रतिपक्ष
सुवेंदु अधिकारी से जुड़ी एक घटना के बारे में जानकारी देने के लिए तलब
किया था, जिन्हें शुक्रवार को झाड़ग्राम जिले के बिनपुर ब्लॉक के नेताई
गांव में प्रवेश करने से कथित तौर पर रोक दिया गया था।
राज्यपाल जगदीप धनखड़ द्वारा बुलाए जाने के बावजूद राज्य के मुख्य सचिव और पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) सोमवार को राजभवन नहीं पहुंचे।
दोनों
अधिकारियों ने राज्यपाल जगदीप धनखड़ को लिखे पत्र में कहा है कि एक
निर्देशानुसार कोरोना की स्थिति को देखते हुए यह कदम उठाया गया है। ऐसे में
राज्यपाल ने इस बार मुख्य सचिव हरिकृष्ण द्विवेदी और डीजीपी मनोज मालवीय
से पूछा कि उन्हें आखिर ऐसा निर्देश किससे मिला है? झाड़ग्राम के नेताई में
पूर्व घोषित कार्यक्रम में शामिल होने जा रहे विपक्षी नेता सुवेंदु
अधिकारी को पिछले शुक्रवार को पुलिस ने कथित तौर पर रोक दिया था और वहां
नहीं जाने दिया था।
इससे पहले ट्वीट्स की एक सीरीज में, धनखड़ ने
कहा था कि मुख्य सचिव और बंगाल पुलिस के डीजीपी द्वारा राज्यपाल के साथ
बैठक के बहिष्कार को लेकर भेजे गए समान संदेशों को देखकर दंग रह गया हूं।
आखिर मुख्य सचिव/डीजीपी ने किसके दिशानिर्देश के तहत संदेश भेजे गए हैं।
राज्यपाल की प्रतिक्रिया दो शीर्ष अधिकारियों द्वारा धनखड़ को एक जैसे संदेश भेजे जाने के बाद आई है।
राज्यपाल
ने मुख्य सचिव और डीजीपी को राजभवन में तलब किया था और जानना चाहा था कि
अदालत की अनुमति के बावजूद विपक्षी नेता रास्ते में क्यों हिरासत में लिया
गया? लेकिन दोनों ही अधिकारी उनसे मिलने नहीं गए, बल्कि राज्यपाल को एक
पत्र भेज दिया, जिसमें कहा गया कि कई नौकरशाह संक्रमित होने की वजह से वे
लोग अलग रह रहे हैं।
इसके अलावा दूसरा कारण बताया गया कि स्थिति को
नियंत्रित करने और गंगासागर मेला आयोजित करने की भी उन पर जिम्मेदारी है।
इसलिए वे निर्देश के अनुसार, राजभवन में नहीं गए। उन्होंने कहा कि स्थिति
कुछ सामान्य हो जाएगी तो नेताई को लेकर राज्यपाल को रिपोर्ट भेजी जाएगी।
हालांकि राज्यापल उनके जवाब से असंतुष्ट हैं।
राज्य प्रशासन को
राज्यपाल का निर्देश तब सामने आया था, जब अधिकारी ने धनखड़ को पत्र लिखकर
आरोप लगाया था कि उन्हें नेताई जाने की अनुमति नहीं दी जा रही है। अधिकारी
वहां 2011 में वाममोर्चा शासन के दौरान मारे गए नौ लोगों को श्रद्धांजलि
देने जा रहे थे।
अधिकारी ने शिकायत की थी कि नेताई के रास्ते में,
पश्चिम बंगाल पुलिस की एक बड़ी टुकड़ी ने पूरी सड़क पर बैरिकेडिंग करते हुए
उनका रास्ता रोक दिया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि एजी द्वारा उच्च
न्यायालय को आश्वासन दिए जाने के बावजूद कि विपक्ष के नेता राज्य में कहीं
भी जाने के लिए स्वतंत्र हैं, उन्हें रोका गया।
--आईएएनएस
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