कोविड-19 के आने के बाद से हर व्यक्ति अपना जीवन स्वस्थ रहते हुए गुजारना पसन्द कर रहा है। इसके लिए वह अपने आहार और जीवन शैली को परिवर्तित करते हुए उसे सन्तुलित करने का प्रयास कर रहा है। दौड़-भाग और तनाव वाली जिन्दगी में वह कुछ ऐसे पलों को संजोने का काम कर रहा है जो उसे खुशी के साथ-साथ उसे स्वस्थ भी रख सके। इसके बावजूद व्यक्ति कई बीमारियों के शिकार हो रहे हैं। इसका एक कारण आपके घर में वास्तुदोष का होना हो सकता है। घर में यदि कोई वास्तुदोष है तो उससे नकारात्मकता का प्रभाव पैदा होता है और ऐसे में व्यक्ति शारीरिक व मानसिक तौर पर बीमार हो जाता है।
आज खास खबर डॉट कॉम आपको कुछ ऐसे ही वास्तुदोष और उनसे जुड़ी बीमारियों के बारे में बताने जा रहा है। हो सकता है इस जानकारी के बाद आपकी कुछ समस्याएँ दूर हो जाएं।
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गृहणी के अस्वस्थ रहने का कारण
गृहणी का मुख रसोई घर में भोजन
बनाते समय दक्षिण दिशा की ओर है तो त्वचा एवं हड्डी के रोग हो सकते हैं।
दक्षिण दिशा की ओर मुख करके भोजन पकाने से पैरों में दर्द की संभावना भी
बनती है। इसी तरह पश्चिम की ओर मुख करके खाना बनाने से आँख, नाक, कान एवं
गले की समस्याएँ हो सकती हैं। पूर्व दिशा की ओर चेहरा करके रसोई में भोजन
बनाना स्वास्थ्य के लिए श्रेष्ठ माना गया है।
अनिद्रा
वास्तुशास्त्र
में पूर्व तथा उत्तर दिशा का हल्का और नीचा होना तथा दक्षिण व पश्चिम दिशा
का भारी व ऊंचा होना अच्छा माना गया है। यदि पूर्व दिशा में भारी निर्माण
हो तथा पश्चिम दिशा एकदम खाली व निर्माण रहित हो तो अनिद्रा का शिकार होना
पड़ सकता है। उत्तर दिशा में भारी निर्माण हो परन्तु दक्षिण और पश्चिम दिशा
निर्माण रहित हो तो भी ऐसी स्थिति पैदा होती है।
सिरदर्द, बेचैनी और चक्कर आना
गृहस्वामी
अग्निकोण या वायव्य कोण में शयन करें या उत्तर में सिर व दक्षिण में पैर
करके सोए तब भी अनिद्रा या बेचैनी, सिरदर्द और चक्कर जैसी परेशानी हो सकती
है, जिसके कारण दिन भर थकान की समस्या हो सकती है। धन आगमन और स्वास्थ्य की
दृष्टि से दक्षिण या पूर्व की ओर पैर करना अच्छा माना गया है।
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हार्ट अटैक, लकवा, हड्डी और स्नायु रोग कारण
दक्षिण-पश्चिम
दिशा में प्रवेश द्वार या हल्की चाहरदीवारी अथवा खाली जगह होना शुभ नहीं
है। ऐसा होने से हार्ट अटैक, लकवा, हड्डी एवं स्नायु रोग सम्भव हैं। अत:
यहां प्रवेश द्वार या खाली जगह छोडऩे से बचना चाहिए।
जोड़ों का दर्द और गठिया
यदि
आपके घर की दीवारों में कहीं कोई दरार हो या वह कहीं से भी हल्की सी टूटी
हुई हो या घर कर रंग रोगन उड़ा हुआ या फिर दाग-धब्बे वाला है तो
वास्तुशास्त्र के अनुसार वहाँ रहने वालों में जोड़ों का दर्द, गठिया, कमर
दर्द, सायटिका जैसे समस्याएँ हो सकती हैं।
रक्त विकार व वायु रोग
दीवारों
पर रंग-रोगन भी ध्यान से करवाना चाहिए। काला या गहरा नीला रंग वायु रोग,
पेट में गैस, हाथ-पैरों में दर्द, नारंगी या पीला रंग ब्लड प्रेशर, गहरा
लाल रंग रक्त विकार या दुर्घटना का कारण बन सकता है। अच्छे स्वास्थ्य के
लिए दीवारों पर दिशा के अनुरूप हल्के एवं सात्विक रंगों का प्रयोग करना
चाहिए।
नोट—यह आलेख वास्तुशास्त्र की जानकारियों पर आधारित है। खास
खबर डॉट कॉम यह दावा नहीं करता कि यह पूर्णतया सत्य एवं सटीक हैं। इन्हें
अपनाने से पहले संबंधित क्षेत्र के विशेषज्ञ की सलाह जरूर लें।
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