कर्नाटक विधानसभा में विपक्ष के हंगामे के बीच धर्मातरण-रोधी विधेयक पारित

www.khaskhabar.com | Published : शुक्रवार, 24 दिसम्बर 2021, 06:40 AM (IST)

बेलगावी । कर्नाटक विधानसभा ने गुरुवार को विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान विपक्ष के हंगामे के बीच धर्मातरण विरोधी विधेयक पारित किया। विधेयक पर चर्चा के लिए दिन आरक्षित किया गया था। मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने यहां सुवर्ण सौध में मीडियाकर्मियों से बात करते हुए कहा, "धर्मातरण विरोधी विधेयक संवैधानिक और जनहितैषी है।"

उन्होंने कहा, "विधेयक पर अपने विचार प्रस्तुत करने के बजाय विपक्षी नेताओं ने राजनीतिक भाषण देने का विकल्प चुना। वास्तव में, विधेयक लाने की तैयारी पहले के कांग्रेस शासन के दौरान ही की गई थी। पूर्व मुख्यमंत्री सिद्धारमैया स्वयं विधेयक प्रस्तुत किए जाने के लिए सहमत हुए थे।"

बोम्मई ने कहा, "बिल विशेष रूप से एससी, एसटी और समाज के गरीब तबके के लिए है। यह सभी समुदायों की सुरक्षा में मदद करेगा और उनकी गरिमा को बनाए रखेगा। राज्य सरकार बिल को लागू करने में बहुत स्पष्ट है। सरकार द्वारा धर्मातरण का विरोध किया जाता है। गरीबी का फायदा उठा रहे हैं और रोजगार और शिक्षा जैसे प्रलोभन दे रहे हैं।"

बोम्मई ने कहा कि कांग्रेस नेता अब विधानसभा में उसी विधेयक का विरोध कर रहे हैं, जो पार्टी की दोहरी नीति को दर्शाता है।

उन्होंने कहा, "प्रारूप विधेयक पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस. येदियुरप्पा द्वारा तैयार नहीं किया गया था। उन्होंने इस संबंध में विधि आयोग को सिर्फ एक अनुरोध भेजा था। यह कांग्रेस सरकार थी, जिसने विधि आयोग से एक रिपोर्ट प्राप्त करने के बाद मसौदा विधेयक तैयार किया था। कांग्रेस नेताओं ने मसौदा विधेयक का समर्थन किया तो अब केवल वोट बैंक की राजनीति के कारण इसका विरोध कर रहे हैं।"

हालांकि, कांग्रेस पार्टी ने कहा कि वह सत्ता में आने पर विधेयक को वापस ले लेगी।

धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार का संरक्षण विधेयक, 2021, जिसे लोकप्रिय रूप से धर्मातरण-रोधी विधेयक के रूप में जाना जाता है, धर्म की स्वतंत्रता के अधिकार के संरक्षण का प्रस्ताव करता है और गलत बयानी, बल, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, प्रलोभन या एक धर्म से दूसरे धर्म में गैरकानूनी रूपांतरण पर रोक लगाता है।

बिल कहता है, "कोई भी व्यक्ति बल प्रयोग या अभ्यास, अनुचित प्रभाव, जबरदस्ती, प्रलोभन या किसी कपटपूर्ण तरीके से या किसी अन्य माध्यम से या शादी के वादे से किसी अन्य व्यक्ति को सीधे या अन्यथा, एक धर्म से दूसरे धर्म में परिवर्तित या परिवर्तित करने का प्रयास नहीं करेगा। न ही कोई व्यक्ति इस तरह के धर्मातरण के लिए उकसाएगा या साजिश करेगा।"

--आईएएनएस

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