लखनऊ । किंग जॉर्ज मेडिकल
यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) ने प्रिवेंटिव हेमेटोलॉजी के लिए अपनी तरह का पहला
क्लिनिक शुरू किया है।
क्लिनिक हर शनिवार को विभाग के आउट पेशेंट डोर (ओपीडी) कक्ष में संचालित
होगा और जिन लोगों को रक्त संबंधी विकार होने की संभावना है, वे निवारक
उपचार और परामर्श के लिए अपनी जांच करवा सकते हैं।
रक्त विकार वाले
रोगियों और ऐसे विकारों के विकास की संभावना वाले रोगियों को उपचार और
परामर्श देने के अलावा, क्लिनिक इस मुद्दे पर जागरूकता फैलाने के लिए
विश्वविद्यालय के अस्पताल के अन्य रोगियों तक भी पहुंचेगा।
प्रो
ए.के. हेमेटोलॉजी विभाग के प्रमुख त्रिपाठी ने कहा, "कुछ उपाय करके रक्त
संबंधी विकारों को रोका जा सकता है। जैसे, एनीमिया आयरन, विटामिन बी12 या
फोलेट की कमी के कारण होता है और आहार और दवा के माध्यम से दवा शामिल होने
से रोका जा सकता है।"
उन्होंने आगे कहा कि थैलेसीमिया और हीमोफिलिया
जैसे आनुवंशिक रक्त विकारों का प्रारंभिक चरण में निदान किया जा सकता है
और इसे बढ़ने से रोका जा सकता है।
"ऐसी भी संभावना है कि थैलेसीमिया
या हीमोफिलिया से पीड़ित माता-पिता इसे अपने बच्चों को दे सकते हैं। हम यह
पता लगा सकते हैं कि गर्भावस्था के दौरान भ्रूण पर हेमोग्राम परीक्षण के
माध्यम से अजन्मा बच्चा दो विकारों में से किसी से पीड़ित है या नहीं।"
उन्होंने
कहा, "अगर विकार की गंभीरता कम है, तो जन्म के बाद इसे नियंत्रण में रखने
के लिए निवारक उपाय किए जा सकते हैं। हालांकि, अगर गंभीरता का स्तर अधिक
है, तो माता-पिता को गर्भावस्था को समाप्त करने के लिए परामर्श दिया जा
सकता है क्योंकि या तो बच्चा जीवित नहीं रहेगा या उसका/उसकी जीवन दयनीय
होगा।"
केएमजीयू के कुलपति लेफ्टिनेंट जनरल डॉ बिपिन पुरी ने कहा कि यह पहल एनीमिया मुक्त भारत के राष्ट्रीय लक्ष्य का समर्थन करेगी।
उन्होंने
कहा, "जागरूकता रक्त विकारों से पीड़ित लोगों को जल्दी रिपोर्ट करने में
मदद करेगी, इस प्रकार बीमारी को बढ़ने से रोकेगी और मनोवैज्ञानिक, शारीरिक
और वित्तीय स्वास्थ्य अच्छा होगा।"
--आईएएनएस
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