लखनऊ । कर्फ्यू प्रतिबंध हटने के बाद
जनजीवन पटरी पर लौटने के साथ ही ओपीडी सेवाएं शुरू करने वाले प्रमुख
अस्पतालों में यहां भारी बैकलॉग देखा जा रहा है।
किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी (केजीएमयू) ने ओपीडी के लिए मरीजों के दैनिक
कोटे में 25 प्रतिशत से 50 प्रतिशत की वृद्धि की है।
एक संकाय
सदस्य ने कहा, "सभी विभागों में लगभग 40 से 45 दिनों की प्रतीक्षा अवधि है।
हमने सुपर-विशेष विभाग के लिए रोजाना 75 (25 नए और 50 अनुवर्ती मामले)
रोगियों की सीमा बढ़ाकर 100 (40 नए और 60 अनुवर्ती मामले) कर दी है और अन्य
विभागों के लिए 150 (50 नए और 100 फॉलो-अप) से 200 (60 नए और 140 फॉलो-अप)
कर दिया गया है।"
सूत्रों के अनुसार, चिकित्सा, कार्डियोलॉजी,
सर्जरी, सर्जिकल ऑन्कोलॉजी, बाल चिकित्सा, स्त्री रोग और पारिवारिक
चिकित्सा में नियुक्तियों की प्रतीक्षा अवधि लगभग 45 दिन है, जबकि
गैस्ट्रोएंटरोलॉजी, न्यूरोलॉजी और न्यूरोलॉजी सर्जरी जैसे सुपर स्पेशियलिटी
विभागों में यह कम से कम 30 दिन है।
केजीएमयू के प्रवक्ता डॉ
सुधीर सिंह ने कहा, "जो मरीज दूर-दूर से आते हैं या जिन्हें तत्काल परामर्श
की आवश्यकता होती है, उन्हें वापस नहीं भेजा जाता है। हमने एक स्टाफ तैनात
किया है जो ऐसे रोगियों के मामलों को देखता है और संबंधित विभागों में
भारी भीड़ के साथ समन्वय करता है ताकि उनकी जांच हो सके।"
राम मनोहर लोहिया अस्पताल और बलरामपुर सहित अन्य अस्पतालों में भी यही स्थिति है जहां काउंटरों पर भारी भीड़ देखी जा सकती है।
आजमगढ़
के कल्लू यादव ने कहा, "मेरी मां हृदय रोगी है और उन्हें मधुमेह की बिमारी
भी है। मैं उनकी जांच कराने की कोशिश कर रहा हूं लेकिन कोई फायदा नहीं
हुआ। मैं पिछले छह दिनों से नियमित रूप से आ रहा हूं। हम अस्पताल परिसर में
रह रहे हैं लेकिन बारिश होने पर समस्याओं का सामना करना पड़ता है।"
--आईएएनएस
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