मरीज स्वस्थ होकर जब आभार व्यक्त करते हैं, वहीं हमारे लिए सबसे बड़ी प्रेरणा है- डॉ. शिवानी स्वामी

www.khaskhabar.com | Published : रविवार, 16 मई 2021, 9:07 PM (IST)

जयपुर। जब बीमार मरीज स्वस्थ होकर अपने घर जाते हैं और उनका परिवार आभार व्यक्त करता है, वहीं से हमें निरंतर कार्य करते रहने की प्रेरणा मिलती है। हम हर दिन जागते हैं, कपड़े पहनते हैं और अपने कार्य में जुट जाते हैं। यह कहना था जयपुर के नारायण मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल, कंसल्टेंट पल्मोनोलॉजिस्ट, डॉ. शिवानी स्वामी का। उन्होंने कोविड-19 के दूसरे स्ट्रेन को समझाने, दवाओं के उपयोग और उपचार के लिए दवाएं, वैक्सीन का महत्व और पोस्ट-कोविड रिकवरी पर अपना ज्ञान साझा किया। उन्होंने यह भी कहा कि इस मुश्किल समय में नर्सिंग स्टाफ के योगदान को नहीं भूलना चाहिए जो कि कम वेतन में, कार्य का अत्यधिक बोझ उठाकर और कम पहचाने जाने वाले महामारी के वास्तविक हीरोज हैं।

डॉ. स्वामी ने कहा कि जो व्यक्ति अभी वायरस से पीड़ित हुए हैं, उन्हें अपने डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए और सलाह लेकर जांच करवानी चाहिए। इस दौरान, निर्धारित बल्ड टेस्ट करा लेने चाहिए। सीटी स्कैन कराने में जल्दबाजी नहीं करनी चाहिए, अपने शरीर को अनावश्यक रेडिएशन से बचाना चाहिए। बीमारी के दूसरे सप्ताह में, ऑक्सीजन के स्तर और तापमान की बारीकी से निगरानी करें। अच्छा खाएं और दिन में कई बार 45 मिनट से 1 घंटे तक पेट के बल लेटें। यदि ऑक्सीजन का स्तर 92 से नीचे चला जाता है, तो डॉक्टर से परामर्श लें। रिकवरी के बाद, अपने आहार पर विशेष ध्यान देना चाहिए, गहरी सांस लेने का अभ्यास करना चाहिए, और अपने आप को स्वस्थ बनाने पर ध्यान देना चाहिए। डायबिटीज के मरीजों को अपने शुगर लेवल को नियंत्रित रखना चाहिए। इस मौजूदा महामारी का एकमात्र जवाब है- टीकाकरण। जिन लोगों ने टीके के दोनों शॉट लिए हैं उनको बीमारी से खतरा कम है और वे जल्दी रिकवर कर सकते हैं।

कोविड-19 के दूसरे स्ट्रेन के बारे में बात करते हुए, उन्होंने कहा कि दूसरा स्ट्रेन पहले की तुलना में अधिक संक्रामक है। इससे कई युवा ज्यादा बीमार हो रहे हैं और यह बीमारी फेफड़ों को भी खराब कर रही है। मरीजों को कभी-कभी पांच वें या छठे दिन ही ऑक्सीजन की आवश्यकता पड़ रही है, जबकि पहली वेव में ऐसा नहीं था। नए दिशा-निर्देशों के अनुसार एज़िथ्रोमाइसिन और हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन जैसे ड्रग्स का उपयोग कम किया जा रहा है। हालांकि, अधिकांश दिशा-निर्देश विदेशों में किए गए अध्ययनों पर आधारित हैं, भारतीय स्ट्रेन या भारतीय मरीजों पर आधारित नहीं हैं। यहां इसलिए हर डॉक्टर अपने-अपने अनुभवों के अनुसार निर्णय ले रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि, जैसी वर्तमान स्थिति है, कोई भी देश एक ही समय में अपने सभी नागरिकों को स्वास्थ्य सेवा नहीं दे सकता। हालांकि, हम इससे बेहतर तैयारी कर सकते थे।

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