चंडीगढ़ । पंजाब जीएसटी की जांच शाखा
ने शनिवार को पंजाब, दिल्ली और हरियाणा में कॉपर स्क्रैप और होजरी वस्तुओं
के लिए 700 करोड़ रुपये के फर्जी बिल बनाने और इन्हें संचालित करने के लिए
पांच लोगों को गिरफ्तार किया।
उन पर सरकार को कर का भुगतान किए बिना विभिन्न कंपनियों को 122 करोड़ रुपये
से अधिक की धोखाधड़ी के साथ इनपुट टैक्स क्रेडिट के जरिए उठाने का आरोप
लगाया गया है।
आधिकारिक बयान में कहा गया कि आयुक्त (राज्य कर) नीलकंठ एस. अवहद ने सात लोगों की गिरफ्तारी के लिए एक प्राधिकरण जारी किया।
विभाग
की टीमों द्वारा खन्ना कस्बे में कई स्थानों पर खोज और जब्ती अभियान चलाए
गए, जिसमें मोडस ऑपरेंडी की स्थापना के लिए साक्ष्य जुटाए गए, जिसमें पंजाब
के बाहर और भीतर राज्यों में कॉपर स्क्रैप (तांबे से जुड़े आइटम) और होजरी
के सामानों का निर्माण करने वाली कंपनियां शामिल थीं।
फर्जी फर्मों
के माध्यम से बनाए गए इनपुट टैक्स क्रेडिट का इस्तेमाल व्यापारियों के माल
को स्थानीय तौर पर इधर-से-उधर करने के लिए किया गया था।
पिछले साल
तांबे के स्क्रैप को लेकर जा रहे एक वाहन के पकड़े जाने के बाद विभाग को
नेटवर्क के बारे में अलर्ट मिला था और जांच में पता चला था कि सामान
स्थानीय स्तर पर खरीदे गए हैं, जबकि ई-वे और चालान किसी अन्य फर्म से बनाए
गए थे।
विस्तृत जांच से पता चला है कि विभिन्न राज्यों में फैली 44
कंपनियों का एक नेटवर्क है, जो स्थानीय अपंजीकृत डीलरों की मदद से फर्जी
इनपुट टैक्स क्रेडिट बनाने के काम में लिप्त हैं।
सबूतों को एकत्र
करने के बाद इस गोरखधंधे के मुख्य साजिशकर्ता (किंगपिन) ने स्वीकार किया कि
वह कुछ अन्य सहयोगियों की मदद से नेटवर्क का संचालन कर रहा था, जिनमें से
कुछ को गिरफ्तार भी किया गया है।
आधिकारिक बयान में कहा गया है कि
नेटवर्क द्वारा कुल फर्जी बिलिंग 700 करोड़ रुपये से अधिक होने की संभावना
है, जबकि इनपुट टैक्स क्रेडिट के जरिए कर चोरी 122 करोड़ रुपये से अधिक
होने की उम्मीद है।
मामले में गिरफ्तार किए गए आरोपी - विनोद कुमार,
मनिंदर शर्मा, संदीप सिंह, अमरिंदर सिंह और सनी मेहता को ड्यूटी
मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया गया, जहां से उन्हें 14 दिनों के लिए न्यायिक
हिरासत में भेज दिया गया है।
--आईएएनएस
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