उत्तराखंड में जनता और कार्यकर्ताओं की नाराजगी भांप चुका है दिल्ली दरबार तय करेगा सीएम का नाम !

www.khaskhabar.com | Published : रविवार, 07 मार्च 2021, 3:05 PM (IST)

लखनऊ। उत्तराखंड भारतीय जनता पार्टी में शनिवार का दिन काफी हलचल भरा रहा। राज्य में बीजेपी संगठन और सरकार के बीच सबकुछ ठीक चल रहा है। माना जा रहा है कि राज्य में जनता के बीच सीएम त्रिवेन्द्र को लेकर नाराजगी है और इसका खुलासा राज्य के विधायकों और नेताओं ने केन्द्रीय पर्यवेक्षकों के सामने किया। असल में राज्य में सीएम त्रिवेन्द्र सिंह रावत अपनी मर्जी से सरकार चला रहे थे और किसी को तवज्जो किसी को नहीं दे रहे थे। इसका सीधा असर विधायकों की नाराजगी के जरिए देखा जा रहा है। फिलहाल माना जा रहा है कि बीजेपी आलाकमान ने इसको लेकर इतनी जल्दी फैसला नहीं लिया बल्कि इसके लिए स्क्रिप्ट पहले ही लिख दी गई थी।
राज्य के जानकारों का कहना है कि राज्य में जिस तरह से त्रिवेन्द्र सिंह रावत की सरकार चल रही थी, उसको लेकर बीजेपी आलाकमान खुश नहीं है। लिहाजा पिछले चार साल की गलतियों को देखते हुए राज्य में बदलाव की योजना बना रहा है। फिलहाल राज्य आए पर्यवेक्षक दल दिल्ली में जाकर आलाकमान को अपनी रिपोर्ट देगें और आज के बाद कभी बीजेपी आलाकमान इस रिपोर्ट पर कार्यवाही कर सकती है। केन्द्रीय पर्यवेक्षकों ने राज्य के विधायकों और नेताओं से बातचीत के आधार पर रिपोर्ट तैयार की है। इसी आधार पर राज्य में सीएम का फैसला होगा। राज्य में सत्ता परिवर्तन को लेकर राजनीतिक गलियारों में हलचल मची हुई है।

आखिर क्यों केन्द्र ने भेज पर्यवेक्षक
बताया जा रहा है कि काफी अरसे से राज्य में सीएम के खिलाफ शिकायतें दिल्ली पहुंच रही थी। जबकि त्रिवेन्द्र संगठन से लेकर वरिष्ठ नेताओं की अनदेखी कर रहे थे। लिहाजा दिल्ली पहुंची शिकायतों के बाद पर्यवेक्षकों को भेजा गया। बताया जा रहा है कि राज्य में पिछले चार साल में त्रिवेन्द्र ने सरकार अपने हिसाब से चलाई है और राज्य में पार्टी की स्थिति खराब है। केवल मीडिया में ही विकास दिख रहा है, जबकि जमीन हकीकत इससे अलग है।


त्रिवेन्द्र के खिलाफ विधायकों ने उगली आग

राज्य में जो जानकारी झनकर आ रही हैं, उसके मुताबिक राज्य में शनिवार को हुई पार्टी की कोर ग्रुप की बैठक में सांसद, विधायक और मंत्रियों ने त्रिवेंद्र सिंह रावत के खिलाफ मोर्चा खोला। जिसको लेकर सीएम नाराज भी हो गए और बैठक से उठकर चले गए। हालांकि बीजेपी की तरफ से इस बात को खारिज किया जा रहा है। लेकिन चर्चा है कि त्रिवेन्द्र का ये रवैया केन्द्रीय पर्यवेक्षकों को भी अच्छा नहीं लगा है। बताया जा रहा है कि विधायकों और नेताओं ने राज्य में त्रिवेन्द्र की कार्यप्रणाली के खिलाफ सभी अपना फीडबैक दिया।

दिल्ली दरबार में तय होगा सीएम का नाम

राज्य में इस बात को लेकर चर्चा है कि अगर पार्टी त्रिवेन्द्र सिंह रावत को सीएम के पद से हटाती है तो सीएम किसे नियुक्त किया जाएगा। लिहाजा इस मामले में अनिल बलूनी का नाम सबसे ज्यादा मजबूती से आ रहा है। वहीं राज्य के पूर्व सीएम रमेश पोखरियाल, सतपाल महाराज की दावेदारी भी जोरों पर चल रही है। बताया जा रहा है कि बलूनी संघ की भी पसंद हैं और युवा होने के नाते वह राज्य की सियासत में सक्रिय हैं। वहीं निशंक राज्य में पहले सीएम भी रह चुके हैं।

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