नई दिल्ली। गणतंत्र दिवस पर किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान हुई हिंसा के मुद्दे पर एक वकील ने सुप्रीम कोर्ट का रूख किया है। वकील ने इस दौरान हुई हिंसा की जांच के लिए पूर्व न्यायाधीशों के एक तीन सदस्यीय आयोग का गठन करने का आग्रह किया। अधिवक्ता विशाल तिवारी ने शीर्ष अदालत से 'राष्ट्रीय ध्वज का अपमान करने' के लिए जिम्मेदार व्यक्तियों/संगठनों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए निर्देश जारी करने का आग्रह किया।
याचिका के अनुसार, "दुर्भाग्य से, ट्रैक्टर रैली ने एक हिंसक मोड़ ले लिया, जिससे लोगों को चोटें आईं और सार्वजनिक संपत्ति को नष्ट कर दिया गया। इस घटना ने दिल्ली में जनता के दैनिक जीवन को भी प्रभावित किया। इंटरनेट सेवाएं बाधित हुईं, क्योंकि सरकार ने सेवा प्रदाताओं को इसे निलंबित करने का आदेश दिया।"
वकील ने कहा कि यह निर्धारित करना आवश्यक है कि हिंसा के लिए कौन जिम्मेदार है- पुलिस या प्रदर्शनकारी।
उन्होंने जोर देकर कहा कि मामले के सभी पहलुओं की एक स्वतंत्र एजेंसी के माध्यम से गहन जांच की आवश्यकता है, जो कि एक सेवानिवृत्त सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश की अध्यक्षता में एक जांच आयोग की स्थापना करके किया जा सकता है।
याचिका में कहा गया है कि'तिरंगे के स्थान पर' एक विशेष धर्म के झंडे को फहराना बहुत दुखद है और हमारी राष्ट्रीय गरिमा का अपमान है।
मुंबई के कानून के एक छात्र ने भी लाल किले की घटना के बारे में संज्ञान लेने के लिए भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे को पत्र लिखा है।
--आईएएनएस
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