नई दिल्ली । सुप्रीम कोर्ट
ने बुधवार को पश्चिम बंगाल के भाजपा नेता कबीर शंकर बोस के खिलाफ दर्ज
एफआईआर पर रोक लगा दी है। अदालत ने बोस के खिलाफ दायर उस एफआईआर की
कार्रवाई पर रोक लगा दी, जो तृणमूल कांग्रेस नेता कल्याण बनर्जी की ओर से
दर्ज कराई गई थी।
बोस की ओर से अदालत में दलील दी गई कि उनके खिलाफ दायर आपराधिक
कार्रवाई को समाप्त कर दिया जाना चाहिए, क्योंकि यह कार्रवाई उनके खिलाफ
निजी स्वार्थ के लिए प्रतिशोध के तौर पर की गई है।
न्यायाधीश संजय
किशन कौल, दिनेश माहेश्वरी और हृषिकेश रॉय की एक पीठ ने केंद्रीय औद्योगिक
सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) द्वारा दायर रिपोर्ट की जांच के बाद पश्चिम बंगाल
सरकार को नोटिस भी जारी किया।
इससे पहले शीर्ष अदालत ने केंद्र से
बोस और तृणमूल कांग्रेस कार्यकर्ताओं के सुरक्षा कर्मचारियों के बीच कथित
हाथापाई पर सीआईएसएफ की ओर से दर्ज रिपोर्ट को रिकॉर्ड पर लाने के लिए कहा
था।
शीर्ष अदालत ने केंद्र को घटना के दिन की जानकारी एक सीलबंद लिफाफे में दाखिल करने के लिए भी कहा था।
बोस
ने दावा किया है कि राजनीतिक और व्यक्तिगत प्रतिद्वंद्विता के कारण उन्हें
विशेष रूप से पश्चिम बंगाल सरकार और बनर्जी ने निशाना बनाया है।
उन्होंने
शीर्ष अदालत से आग्रह किया कि वह राज्य में उसे उसके जीवन और स्वतंत्रता
के लिए उत्पन्न खतरों से बचाए। प्रदेश में आगामी चुनावों की पृष्ठभूमि में
बोस ने दावा किया कि राज्य सरकार उनके चुनाव प्रचार में बाधा डालने के लिए
हर संभव प्रयास कर रही है।
बोस ने कहा कि उनके खिलाफ टीएमसी के
गुंडों से जान बचाने के लिए सीआईएसएफ सुरक्षा की कथित कार्रवाई के लिए
आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत संतोष कुमार सिंह की शिकायत पर पिछले साल
दिसंबर में एक प्राथमिकी दर्ज की गई थी।
बोस ने अपनी याचिका में
दावा किया है कि पश्चिम बंगाल के सेरामपुर में वह और उनके साथ चल रही
सीआईएसएफ की टुकड़ी पर उनके घर के बाहर ही रात करीब आठ बजे संतोष कुमार
सिंह उर्फ पप्पू सिंह के नेतृत्व में जबर्दस्त पथराव किया गया था।
यह
हमला होते ही सीआईएसएफ याचिकाकर्ता को तुरंत ही सुरक्षित स्थान पर ले गई
और इसके बाद क्षेत्र के सांसद कल्याण बनर्जी के नेतृत्व में राज्य पुलिस के
सक्रिय समर्थन से कथित तौर पर टीएमसी के 200 से ज्यादा गुंडों ने पूरी
इमारत की घेराबंदी कर रखी थी। बोस ने कहा कि सात दिसंबर को पश्चिम बंगाल
पुलिस ने पूरी इमारत की घेराबंदी कर ली थी और उन्हें कानून व्यवस्था की
समस्या का हवाला देते हुए इमारत से बाहर निकलने से रोका गया।
बाद
में जब वह थाने गए, तो पुलिस अधिकारियों ने कहा कि उन्हें गिरफ्तार करने के
लिए बहुत दबाव है। बोस को पुलिस स्टेशन में गिरफ्तार किया गया था।
इस
मामले में न्याय के लिए बोस और पांच अन्य भाजपा नेताओं ने शीर्ष अदालत का
रुख किया था, जिसमें सत्तारूढ़ दल के इशारे पर पश्चिम बंगाल पुलिस द्वारा
उनके खिलाफ निजी स्वार्थ के तहत कार्रवाई का आरोप लगाया गया। भाजपा नेताओं
ने शीर्ष अदालत से सभी मामलों को एक स्वतंत्र जांच एजेंसी को स्थानांतरित
करने का आग्रह किया है।
--आईएएनएस
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