गुरुग्राम । अरावली पहाड़ी
क्षेत्र में बने अवैध फार्महाउसों के ध्वस्तीकरण का काम जल्द शुरू होने
वाला है। ध्वस्तीकरण ड्यूटी मजिस्ट्रेट के नियुक्त होते ही जनवरी में किया
जाएगा। यह जानकारी एक अधिकारी ने दी।
इस सिलसिले में वन विभाग ने जिला प्रशासन से ड्यूटी मजिस्ट्रेट नियुक्त
करने की मांग की है।
नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने अगले साल
31 जनवरी तक अरावली पहाड़ी क्षेत्र में वन भूमि पर बने सभी अवैध
फार्महाउसों को ध्वस्त करने का आदेश जारी किया है।
एनजीटी के आदेश के अनुसार, वन विभाग ने सर्वेक्षण किया है।
अरावली पहाड़ियों पर लगभग 100 फार्महाउस बनाए गए हैं, जबकि 10 फार्महाउस मालिकों के मामले अभी भी अदालत में लंबित हैं।
अन्य 90 फार्महाउस को ध्वस्त करने के लिए, वन विभाग ने मांग की है कि जिला प्रशासन को एक ड्यूटी मजिस्ट्रेट नियुक्त करना चाहिए।
वन
अधिकारी कर्मवीर मलिक ने कहा, "ड्यूटी मजिस्ट्रेट नियुक्त करना अनिवार्य
है। जहां तक वन विभाग की बात है, हर स्तर पर तैयारी शुरू हो गई है। सभी
फार्महाउस को निर्धारित समय से पहले ध्वस्त कर दिया जाएगा।"
फार्महाउस
को अरावली हिल्स के रायसीना जोन के तहत 1990 से पहले एक निजी बिल्डर
द्वारा विकसित और बेचा गया था। कुछ रजिस्ट्रियां 1992 के पूर्व के समय की
थीं। कुछ फार्म हाउस कई बार अलग-अलग लोगों को बेचे गए हैं।
अधिकारी ने कहा कि ध्वस्तीकरण अभियान जनवरी में सभी अवैध रूप से निर्मित फार्महाउस (अदालत में लंबित लोगों को छोड़कर) पर होगा।
समिति के गठन के बारे में एक बैठक आयोजित की जाएगी कि विध्वंस अभियान कहां से शुरू होगा।
वन विभाग की तैयारी के मद्देनजर, तीन फार्महाउस मालिकों ने घाटा गांव में अपनी सीमा की दीवार तोड़ दी।
वन
विभाग ने कहा है कि फार्महाउस के मालिकों को इसे स्वयं तोड़ देना चाहिए।
अगर विभाग इसे तोड़ेगा तो उन्हें इसकी पूरी लागत का भुगतान करना पड़ेगा।
वन
विभाग के सर्वेक्षण के अनुसार, लगभग 100 फार्महाउस वन भूमि पर बनाए गए थे।
इन फार्म हाउसों के दस ऐसे मामले अदालत में लंबित हैं, जिनकी सुनवाई 9
जनवरी को होगी।
--आईएएनएस
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