सिंघु, टिकरी सीमाएं अभी भी बंद, बुराड़ी जाने के लिए अनिच्छुक हैं किसान, दिल्ली बॉर्डर पर नारेबाजी जारी, देखें तस्वीरें

www.khaskhabar.com | Published : शनिवार, 28 नवम्बर 2020, 12:09 PM (IST)

नई दिल्ली। सिंघु और टिकरी में दोनों ओर से यातायात शनिवार को दूसरे दिन भी बाधित रहा, क्योंकि दिल्ली में विरोध प्रदर्शन करने की योजना बना रहे किसान इन अंतरराज्यीय सीमाओं पर हैं और वे बुराड़ी नहीं जाना चाहते हैं। दिल्ली ट्रैफिक पुलिस ने बसों, ट्रकों और ट्रैक्टर-ट्रॉलियों से दिल्ली जा रहे किसानों के कारण यात्रियों को असुविधा से बचाने के लिए मुकरबा चौक और जीटीके रोड से ट्रैफिक डायवर्ट कर दिया है। दिल्ली सीमा पर इकट्ठे हुए किसानों को केवल बुराड़ी मैदान की ओर जाने की अनुमति दी गई थी। हालांकि, सिंघु और टिकरी में बड़ी संख्या में प्रदर्शनकारियों ने कहा कि वे विरोध के लिए मध्य दिल्ली के रामलीला मैदान या जंतर मंतर में जाना चाहते हैं।

पुलिस अधिकारियों के अनुरोध के बाद भी किसान बुराड़ी न जाने के लिए अड़े हुए हैं क्योंकि उन्हें डर है कि इससे उनका तीन कृषि कानूनों के विरोध में केन्द्र के खिलाफ चल रहा आंदोलन कमजोर हो जाएगा। इसी बीच बुराड़ी के निरंकारी मैदान भेजे गए किसानों का एक हिस्सा यह कहकर लौट आया है कि "यह उन्हें भ्रमित करने की रणनीति है"। एक किसान ने कहा, "मैदान में प्रवेश करने के बाद पुलिस हमारे ट्रैक्टर-ट्रॉलियों को बाहर नहीं आने दे रही है। हम वहां नहीं जाना चाहते हैं। हम केवल सीमा के प्रवेश/निकास बिंदु पर ही घेराबंदी करेंगे। हम बुराड़ी नहीं जाएंगे।"

इस बीच शुक्रवार शाम को बुराड़ी के मैदान में किसानों के शिविर के लिए पानी और अन्य जरूरी सामानों की व्यवस्था की गई। वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी विरोध स्थल की देखरेख कर रहे हैं और सिंघू-टिकरी सीमाओं पर लगातार सतर्कता बरती जा रही थी।


दिल्ली बॉर्डर पर नारेबाजी जारी


दिल्ली के सिंघु और टिकरी बॉर्डर पर शनिवार को सूरज की पहली रोशनी के साथ ही किसानों के विरोध प्रदर्शन का दूसरा दिन भी जोर-शोर से शुरू हो गया और 'काला कानून' का नारा लगाते हुए नई सुबह का स्वागत किया गया। कड़ी सुरक्षा व्यवस्था के बीच केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों को वापस लेने की मांग को लेकर हजारों किसान अपनी मांगों को लेकर अड़े हुए हैं और सिंघु और टिकरी, दोनों सीमाओं पर नारेबाजी कर रहे हैं।

वहीं विरोध के बीच एक अजीब नजारा देखने को मिला, दरअसल किसानों ने शांति और सौहार्द बनाए रखने के लिए स्वयं बैरिकेडिंग की थी, हालांकि सड़क पर अवरोध के कारण वहां से गुजरने वाले यात्रियों के लिए परेशानी उत्पन्न हो रही थी, क्योंकि इन सीमाओं की ओर जाने वाले विभिन्न मार्गों पर यातायात को डायवर्ट किया गया था। वे एकजुट स्वर में अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं और अपनी मांग पर अड़े हैं। इस आंदोलन की योजना दो महीने तक के लिए बनाई गई है। वे तब तक अपना विरोध प्रदर्शन समाप्त नहीं करेंगे, जब तक सरकार उनकी मांगों को नहीं मानती। वह संसद के मानसून सत्र में पारित कृषि कानूनों को निरस्त करने की मांग कर रहे हैं।

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टिकरी बॉर्डर पर विरोध प्रदर्शन कर रहे किसान एकता समूह के एक सदस्य का कहना है कि अगर उनकी मांगें पूरी नहीं होती हैं तो वे छह महीने तक विरोध प्रदर्शन कर सकते हैं। फतेहाबाद से आए समूह ने कहा, हमारे पास अगले छह महीनों के लिए भोजन और अन्य चीजों की व्यवस्था है। अगर हमारी मांगे पूरी नहीं हुई तो हम महीनों तक यहां आसानी से बैठ सकते हैं। वहीं सुरक्षा बल वरिष्ठ अधिकारियों के निर्देशानुसार तैनाती की व्यवस्था करने में व्यस्त हैं। पंजाब, हरियाणा और चार राज्यों से गुरुवार को शुरू हुआ मार्च सप्ताहांत में प्रवेश कर चुका है, ऐसे में परिस्थिति को कैसे संभालना है इसका निर्देश अधिकारी सुरक्षा बलों को दे रहे हैं।

अधिक किसानों के सीमा पर पहुंचने और राष्ट्रीय राजधानी में प्रवेश करने की कोशिश की संभावना को देखते हुए कंक्रीट स्लैब, कंसर्टिना तार, रेत से भरे ट्रक से रास्ते को जाम किया गया है। वहीं प्रशासन ने शाम को अंतत: उत्तरी दिल्ली के बुराड़ी में निरंकारी समागम मैदान की पेशकश की, जहां दिल्ली-चंडीगढ़ राजमार्ग पर सिंघू बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे किसान नेताओं ने प्रदर्शन किया। कुछ किसान नेता देर से बुराड़ी मैदान पहुंचे, जबकि कई बैरिकेड पर ही रुके रहे।

लगभग 50 किलोमीटर तक टिकरी सीमा पर शुक्रवार को भी पूरे दिन ऐसी ही झड़प देखने मिली, जहां एक ओर किसानों पर पानी की बौछारे होती रही और किसान अपने ट्रकों और ट्रैकर्स के साथ राष्ट्रीय राजधानी में जाने का प्रयास करते रहे। ग्राउंड रिपोर्ट के अनुसार, करीब 300 से अधिक ट्रैक्टर और कई ट्रक अभी भी दोनों सीमाओं के दूसरी ओर खड़े हैं। हालांकि, रात में किसानों के लिए पोर्टेबल शौचालय, पानी के टैंकर, मोबाइल डिस्पेंसरी और लंगर सेवा प्रदान की गई।