नई दिल्ली| अनलॉक के तहत जब से सिनेमाघरों को खोला गया है, हॉलीवुड फिल्मों सहित कुछ नई रिलीज हुईं फिल्मों ने बड़े पर्दे पर धूम मचाई है। व्यापार विशेषज्ञों का कहना है कि हॉलीवुड फिल्में और ना ही बॉलीवुड रिलीज हमेशा जैसी भीड़ को वापस लाने में मदद नहीं करेंगी। स्टार्स से भरपूर पूरे देश में चल सकने वाली अच्छी मार्केटिंग से आई फिल्म की जरूरत है। कोविड-19 लॉकडाउन के बाद दिवाली सप्ताहांत पर पहली फिल्म 'सूरज पे मंगल भारी' रिलीज हुई। इसमें मनोज बाजपेयी, दिलजीत दोसांझ और फातिमा सना शेख ने अभिनय किया है। फिल्म बिरादरी के भरपूर समर्थन के बाद भी यह फिल्म दर्शकों को ज्यादा उत्साहित नहीं कर सकी।
ट्रेड सोर्स के मुताबिक, यह कॉमेडी फिल्म 15 नवंबर को रिलीज होने के बाद से बॉक्स ऑफिस पर अब तक एक करोड़ भी नहीं कमा सकी है। वहीं रिलीज हुई अन्य फिल्मों में मैसी विलियम्स-स्टारर 'द न्यू म्यूटेंट्स' थी, जो भारत में 30 अक्टूबर को रिलीज हुई थी। इसके बाद 13 नवंबर को रॉबर्ट डी नीरो-स्टारर कॉमेडी ड्रामा 'द वार विद ग्रेंडपा' आई। ऐसी ही कुछ और फिल्में आईं लेकिन ट्रेड एनॉलिस्ट गिरीश जौहर के मुताबिक इन सभी फिल्मों का प्रदर्शन बहुत ही निचला रहा।
जौहर ने आईएएनएस को बताया, "या तो दर्शक डर के कारण सिनेमाघरों में नहीं आ रहे हैं या शायद उन्हें जोखिम लेने योग्य कंटेन्ट नहीं मिला है। हॉलीवुड फिल्मों ने भी अच्छा प्रदर्शन नहीं किया है।"
कार्निवाल सिनेमा के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट कुणाल साहनी ने आईएएनएस से कहा, "सूरज पे मंगल भारी ने हॉलीवुड फिल्मों से बेहतर प्रदर्शन किया है। हमने फुटफॉल्स में थोड़ी वृद्धि देखी है। पहले युवा आए अब परिवार आ रहे हैं। संख्या अभी भी कम है, लेकिन इसमें धीरे-धीरे बढ़ोतरी हो रही है। एक बार जब लोग वहां आएंगे, तो वे फिर से आएंगे।"
उन्होंने कहा, "अच्छी मार्केटिंग के साथ अच्छा कंटेन्ट होना चाहिए, तभी भीड़ वापस आएगी। उम्मीद है कि '83' और 'सूर्यवंशी' जैसी स्टार्स वाली बॉलीवुड फिल्म शायद लोगों को उनके घरों से बाहर लाने में कामयाब रहें।
वहीं जौहर ने कहा, "मुझे लगता है कि मानसिक तौर पर हर कोई जनवरी का इंतजार कर रहा है। मुझे लगता है कि तब तक गतिविधियों में एक उतार-चढ़ाव रहेगा। लेकिन पूरे देश में चल सकने वाली भारतीय फिल्म सब कुछ बदल देगी।"
--आईएएनएस
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