ऐसे पाठयक्रम विकसित करें जिनसे कृषि-पशुपालन क्षेत्र में प्रदेश का तेजी से विकास हो सके - राज्यपाल

www.khaskhabar.com | Published : गुरुवार, 22 अक्टूबर 2020, 4:21 PM (IST)

जयपुर । राज्यपाल कलराज मिश्र ने कृषि एवं पशु पालन को अर्थव्यवस्था की रीढ़ बताते हुए कहा है कि प्रदेश के कृषि एवं पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय अपने यहां ऐसे व्यावसायिक पाठयक्रम विकसित करें जिनसे इस क्षेत्र में प्रदेश का तेजी से विकास हो सके। उन्होंने कृषि एवं पशु पालन के स्थानीय एवं पाारम्परिक व्यवसायों के पाठयक्रम का विकास क्षेत्र विशेष की आवश्यकता के अनुसार इस तरह से किए जाने पर जोर दिया जिससे विद्यार्थी स्वावलम्बी, आत्मनिर्भर और सभी स्तरों पर सक्षम हो सके। कुलपतियों को उन्होंने नई शिक्षा नीति का गहराई से अध्ययन करते हुए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद् एवं पशु चिकित्सा परिषद के मानदंडो के अनुरूप अपने यहां पाठयक्रम अद्यतन, नए व्यावसायिक पाठयक्रमों को प्रारंभ करने, शोध एवं अनुसंधान में उच्च गुणवत्ता स्थापित किए जाने के लिए भी विशेष रूप से निर्देश दिए।

राज्यपाल मिश्र यहां राष्ट्रीय शिक्षा नीति-2020 के क्रियान्वयन के संबंध में राजभवन में प्रदेश के 6 कृषि एवं पशु चिकित्सा-विज्ञान विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की आनलाईन बैठक में संबोधित कर रहे थे। उन्होंने सभी विश्वविद्यालयों को एक साथ बैठकर ऐसा प्रारूप राज्य में तय करने का भी निर्देश दिया जिससे आत्मनिर्भर भारत की नई शिक्षा नीति व्यवहार में राजस्थान में लागू हो सके।

कुलाधिपति मिश्र ने बताया कि नई शिक्षा नीति के अंतर्गत भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और भारतीय पशु चिकित्सा परिषद कृषि एवं पशु चिकित्सा विश्वविद्यालयों के लिए व्यावसायिक मानक के रूप में कार्य करेगी। यह परिषदें सामान्य शिक्षा परिषद की सदस्य होंगी और पाठयक्रम, शोध एवं अन्य गतिविधियों के बीच समन्वयक का कार्य करेगी। उन्होंने इस संबंध में विश्वविद्यालयों को ऐसे बिंदुओं को चिन्हित करने के भी निर्देश दिए जिन्हें आईसीएआर व वीसीआई द्वारा उल्लेखित नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि ऐसे बिंदु विश्वविद्यालय अपने स्तर पर ही विद्यार्थी हित में तय कर लें ताकि आईसीएआर व वीसीआई द्वारा प्रस्तावित रिपोर्ट आने पर नई शिक्षा नीति को लागू करने की तत्काल कार्यवाही हो सके।


मिश्र ने कृषि एवं पशु चिकित्सा विश्वविद्यालयों में व्यावसायिक पाठयक्रमों को भौगोलिक एवं क्षेत्र विशेष की स्थानीय आवश्यकता अनुरूप चुनने और उनकी व्यवहारिकता के अनुसार उन्हें अपने यहां लागू करने का भी आह्वान किया। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति के अनुसार विश्वविद्यालय ऐसे पाठयक्रम अपने नियमित शिक्षण में जोड़े जो विद्यार्थियों के स्वावलम्बन और कौशल विकास में सहायक हों।

कुलाधिपति मिश्र ने कृषि और पशु चिकित्सा विश्वविद्यालयों में नवाचार अपनाते हुए ‘‘सेंटर ऑफ एक्सिलेंस‘‘ की स्थापना किये जाने पर भी जोर दिया। उन्होंने सभी कुलपतियों को अपने यहां ‘‘ऑन स्क्रीन मार्किंग‘‘ आधारित उत्तर पुस्तिकाओं की बेहतरीन मूल्यांकन पद्धति विकसित करने, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के साथ एमओयू कर विश्वविद्यालय के वैश्विक सरोकार बढ़ाने का भी आह्वान किया। उन्होंने कहा कि विश्वविद्यालयों में संविधान पार्क बने ताकि विद्यार्थी संवैधानिक अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति भी जागरूक रहे। उन्होंने सामाजिक उत्तरदायित्व के साथ शिक्षा दिए जाने पर जोर देते हुए विश्वविद्यालयों में सौर ऊर्जा प्लांट, रैन वाटर हार्वेस्टिंग स्ट्रक्टर निर्माण आदि के लिए भी कार्य करने के निर्देश दिए।

राज्यपाल ने कहा कि कृषि एवं पशु चिकित्सा विश्वविद्यालयों का एकेडेमिक कैलेंडर सामान्य विश्वविद्यालयों से भिन्न होता है, इसे देखते वे अपने यहां छात्रों के प्रवेश और पास आउट होने की नीति, एक-दो एवं तीन वर्षीय डिप्लोमा, सर्टिफिकेट और डिग्री पाठयक्रम निर्धारण की कार्यवाही कर प्रदेश में एक समान कार्य योजना बनाएं। उन्होंने कहा कि इससे ‘‘चॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम‘‘ में भी विश्वविद्यालयों एवं विद्यार्थियों को किसी प्रकार की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा।



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