बिहार चुनाव - बाबा की नगरी सुल्तानगंज में कांटे की टक्कर, आखिर क्यों, यहां पढ़ें

www.khaskhabar.com | Published : गुरुवार, 15 अक्टूबर 2020, 1:48 PM (IST)

भागलपुर (बिहार)। 'बाबा की नगरी' के रूप में प्रसिद्ध भागलपुर जिले के सुल्तानगंज में इस विधानसभा चुनाव में मुकाबला कांटे का है। सुल्तानगंज से लगातार चार बार जीत दर्ज कर चुके सत्तारूढ़ जनता दल (युनाइटेड) जहां इस चुनाव में पांचवीं बार जीत कर 'पंच' लगाने की कोशिश में है, वहीं विपक्षी दलों के गठबंधन की ओर से चुनावी मैदान में उतरे कांग्रेस के उम्मीदवार कांग्रेस के सूखे को यहां समाप्त करने में जुटे हैं।

उत्तरवाहिनी गंगा प्रवाहित होने वाले सुल्तानगंज का खास महत्व है। प्रसिद्ध अजगैबीनाथ मंदिर के लिए भी यह क्षेत्र प्रसिद्ध है। प्रत्येक साल करीब एक करोड़ कांवडिये सुल्तानगंज से पवित्र गंगा जल लेकर देवघर जाते हैं और ज्योतिलिर्ंग पर जलार्पण करते हैं। सावन और भादो महीने में सुल्तानगंज और आसपास का इलाका भक्तिमय हो जाता है। यही कारण है कि सुल्तानगंज की पहचान 'बाबा की नगरी' के रूप में है।

कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाले सुल्तानगंज सीट पर पिछले चार चुनाव से जदयू के प्रत्याशी चुनाव जीत रहे हैं। भागलपुर जिले के सुल्तानगंज सीट पर 28 अक्टूबर को पहले चरण में मतदान होना है। इस सीट पर कांग्रेस ने सबसे अधिक 7 बार जीत दर्ज की है, लेकिन पिछले चार चुनावों से जदयू के प्रत्याशी जीत रहे हैं।

पिछले चुनाव में जदयू के सुबोध राय ने रालोसपा के प्रत्याशी हिमांशु प्रसाद को हराया था। इस चुनाव में अब परिस्थितियां बदल गई है। इस चुनाव में जदयू ने अपने प्रत्याशी बदलकर ललित मंडल को चुनावी मैदान में उतारा है जबकि महागठबंधन की ओर से कांग्रेस ने युवा चेहरा और युवक कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष ललन यादव को चुनावी मैदान में उतारा है।

इसके अलावे रालोसपा, लोजपा के प्रत्याशी सहित कुल 13 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं। पिछले चुनाव में राजद, कांग्रेस और जदयू का गठबंधन था, जबकि इस चुनाव में जदयू राजग के साथ है। रालोसपा अलग गठबंधन में है तथा लोजपा अकेले चुनाव मैदान में है।

सुल्तानगंज और शाहकुंड प्रखंड को समेटे इस विधानसभा क्षेत्र में करीब 3.24 लाख मतदाता हैं।

भागलपुर के वरिष्ठ पत्रकार अनुज शिवलोचन कहते हैं कि इस क्षेत्र में मुस्लिम और यादव मतदाता निर्णायक भूमिका में है। भूमिहार, राजपूत, ब्राह्मण, कोइरी, कुर्मी और रविदास की संख्या भी ठीक-ठाक है। उन्होंने कहा कि मुस्लिम, यादव के वोट इस चुनाव में बंटने की संभावना नहीं है जबकि अन्य जातियों के वोट बंटने की संभावना है।

उन्होंने कहा कि जदयू ने ललित मंडल को टिकट देकर पिछड़े वर्ग के मतदाताओं को आकर्षित करने की कोशिश की है, लेकिन पिछडे वर्ग का वोट बंटना तय है।

वे कहते हैं कि फिलहाल महगठबंधन के समर्थित कांग्रेस प्रत्याशी प्रचार और जनसंपर्क मामले में भी आगे चल रहे हैं। हालांकि वे यह भी कहते हैं कि कोरोना काल में कितने मतदाता मतदान के लिए पिकलते है, यह देखने वाली बात होगी।

इधर, कांग्रेस के प्रत्याशी ललन यादव ने क्षेत्र में समर्थन मिलने का दावा करते हुए कहा कि यहां चार बार से जदयू के प्रत्याशी जीत रहे हैं, लेकिन समस्याओं का अंबार लगा हुआ है। उन्होंने कहा कि वे अपनी भावी योजनाओं को लेकर लोगों के बीच पहुंच रहे हैें।

इधर, मतदाता अभी अनिर्णय की स्थिति में नजर आ रहे हैं। शाहकुंड प्रखंड के महनपुर गांव निवासी अखिलेश कुमार कहते हैं कि मतदाता अभी तक प्रत्याशियों को परख रहे हैं। उन्होंने कहा कि वे लोग विकास करने वाले और मुखर प्रत्याशी को ही वोट देंगे, जो क्षेत्र का विकास कर सके।

--आईएएनएस

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