भारतीयता का मतलब समावेशिता है: शबाना आजमी

www.khaskhabar.com | Published : सोमवार, 24 अगस्त 2020, 2:48 PM (IST)

मुंबई| दिग्गज अभिनेत्री शबाना आजमी ने कट्टरवाद पर हमला बोलते हुए कहा है कि इस्लाम में संगीत और कला प्रतिबंधित कतई नहीं है। शहनाई के दिग्गज रहे उस्ताद स्वर्गीय बिस्मिल्लाह खान और दिवंगत सरोद वादक उस्ताद अली अकबर खान जैसे महान लोगों के उदाहरण का हवाला देते हुए शबाना कहती हैं कि धार्मिक चरमपंथ से दूर रहने पर ही सच्ची कला का निर्माण होता है। वह कहती हैं कि भारतीयता का मतलब ही समावेशिता है।

शबाना ने कहा, "हमें ऐसे निर्थक सवालों को उठने से रोकना होगा जो कला के अभ्यास को रोकते हैं और कला के बीच में धार्मिक चरमपंथ लाते हैं। ऐसा कहने वाले कई लोग हैं कि इस्लाम में संगीत और कला प्रतिबंधित है। लेकिन उस्ताद बिस्मिल्लाह खान, उस्ताद अली अकबर खान जैसे कई और प्रतिष्ठित कलाकार यदि इन सवालों की निर्थक न बनाते तो वे कैसे अपनी कला के लिए इतना सम्मान और सफलता हासिल कर पाते? यदि हम एक प्रगतिशील समाज का निर्माण करना चाहते हैं, तो हमें ऐसे सवालों से छुटकारा पाना होगा।"

शबाना आजमी के ऐसे ही विचारों पर आधारित है उनकी फिल्म 'मी रक्सम', जो कि इसी सप्ताह के अंत तक डिजिटल प्लेटफॉर्म पर रिलीज हुई है। अभिनेत्री द्वारा पेश की गई इस फिल्म से उनके भाई और अनुभवी छायाकार बाबा आजमी ने निर्देशन में कदम रखा है। यह फिल्म एक ऐसी मुस्लिम लड़की के बारे में है, जो एक भरतनाट्यम नर्तकी बनने की इच्छा रखती है, लेकिन उसके समुदाय के कट्टरपंथी लोग उसके सपने के बीच इसलिए आ जाते हैं क्योंकि उनका मानना है कि नृत्य की इस विद्या का संबंध हिन्दू माइथोलॉजी से है।

इसे लेकर फिल्म में केन्द्रीय भूमिका निभा रहे अभिनेता दानिश हुसैन ने कहा, "अगर भरतनाट्यम की उत्पत्ति हिंदू पौराणिक कथाओं में निहित है, तो जाहिर है कि इस नृत्य पर हिंदू देवी-देवताओं का प्रभाव होगा। उदाहरण के लिए कव्वाली संगीत का ऐसा रूप है जो सूफी परंपरा और अमीर खुसरो से निकलकर आई है, इसलिए इसमें इस्लामिक प्रभाव रहेगा। अब देखिए कि ध्रुव सांगरी कितने प्रतिभाशालीकव्वाली गायक हैं, लेकिन कव्वाली हिंदू पौराणिक कथाओं से नहीं आई है तो क्या इसका मतलब यह है कि ध्रुव कव्वाली नहीं गा सकते हैं। हमें ये बाधाएं तोड़नी होगी। कोई भी व्यक्ति कला के जिस रूप में रुचि रखता है, वह इसे सीख सकता है और इसका अभ्यास कर सकता है, भले ही उस कला की उत्पत्ति कहीं से भी हुई हो।"

बता दें कि ज़ी5 पर रिलीज हुई इस फिल्म में दानिश हुसैन के साथ अदिति सूबेदी, सुदीप्ता सिंह, राकेश चतुवेर्दी ओम, कौस्तुभ शुक्ला, जुहिना अहसन और शिवांगी गौतम हैं। वहीं नसीरुद्दीन शाह एक विशेष भूमिका में हैं।

--आईएएनएस

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