नई दिल्ली ।
उत्तर प्रदेश पुलिस ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि गैंगस्टर विकास दुबे ने
सरेंडर नहीं किया था, और उज्जैन पुलिस ने उसकी पहचान को सत्यापित किया और
उसे हिरासत में ले लिया। बाद में यह सूचना उप्र पुलिस को दी गई।
घटना में वाहन बदले जाने के की बात स्पष्ट करते हुए उप्र पुलिस ने कहा कि
दुबे को उज्जैन से गुना तक 253 किलोमीटर एसटीएफ के वाहन में लाया गया था।
उप्र पुलिस के हलफानामे में कहा गया है, "गुना से उसे जांच अधिकारी रमाकांत
पचौरी को सौंप दिया गया, जिन्होंने उसे अपने एसयूवी में ले लिया। आरोपी
(विकास दुबे) वाहन की मध्य वाली सीट पर कांस्टेबल प्रदीप कुमार और पचौरी के
बीच में बैठा हुआ था, और उसी दौरान दुर्घटना घटी। सुरक्षा और सतर्कता
सुनिश्चित करने के लिए आरोपी विकास दुबे का वाहन बार-बार बदला जा रहा था।"
इस हलफनामे में दुबे एनकाउंटर से जुड़े एक दर्जन से अधिक सवालों के जवाब दिए गए हैं।
पुलिस
ने सटीकता के साथ चार गोलियां कैसे चलाई? पुलिस ने कहा, "यह दावा गलत है।
वास्तव में पुलिस ने छह गोलियां दागी थी। सिर्फ तीन आरोपी को लगी। यह
बिल्कुल करीब से और आमने-सामने होकर आत्मरक्षा में गोलीबारी की गई थी।"
दुबे
को हथकड़ी क्यों नहीं लगाई गई थी? उप्र पुलिस ने जवाब दिया, "आरोपी के साथ
15 पुलिसकर्मी और तीन वाहन थे, जो उसे लेकर सीधे कानपुर कोर्ट जा रहे थे।
उसे 24 घंटे के अंदर कानपुर में कोर्ट में पेश करना था, जिसकी समय सीमा 10
जुलाई को सुबह 10 बजे समाप्त हो रही थी।"
मीडिया को दो किलोमीटर
पहले क्यों रोक दिया गया? उप्र पुलिस ने कहा कि मीडिया को नहीं रोका गया
था। मीडिया के वाहन उज्जैन से ही पुलिस के पीछे आ रहे थे और इसका लाइव
टेलीकास्ट भी हुआ था। पुलिस ने दावा किया कि चेकनाके पर यातायात जाम था, और
दो मीडिया हाउसेस के वाहन तत्काल घटनास्थल पर पहुंच गए थे।
स्थानीय
निवासियों ने कहा है कि उन्होंने गोलियों की तो आवाज सुनी, लेकिन कोई
एक्सीडेंट उन्होंने नहीं देखा। इस पर स्पष्टीकरण देते हुए पुलिस ने कहा,
"कोई भी स्थानीय निवासी घटनास्थल पर यह दावा करने नहीं आया कि उसने गोलियों
की आवाज सुनी। एक्सीडेंट स्थल के पास कोई बस्ती या मकान नहीं थे। भारी
बारिश के कारण कोई पदयात्री भी नहीं था। भारी बारिश का वीडियो रिकॉर्ड किया
गया है।"
विकास दुबे के एक पैर में आयरन रॉड डाला गया था और उज्जैन
में उसे लंगड़ाते हुए देखा गया था, फिर वह दौड़कर भागा कैसे? पुलिस ने
जवाब दिया, "आरोपी अच्छी तरह चल-फिर रहा था। दो-तीन जुलाई की रात आठ
पुलिसकर्मियों की हत्या करने के बाद वह तीन किलोमीटर से अधिक दौड़ कर गया
था। उज्जैन के महाकाल के वीडिया में उसे बहुत सहज तरीके से चलते हुए देखा
गया है। दो दिनों के भीतर कई राज्यों की तेजी से छिपकर यात्रा करना उसके
चलने-फिरने की क्षमता की अपने आप में गवाही है।"
उसने पुलिस के साथ
क्या गोपनीय बातें साझा की, जो उसके और पुलिस/राजनीतिज्ञों के बीच की
सांठ-गांठ को बेनकाब कर सकती है? पुलिस ने कहा, "उत्तर प्रदेश सरकार ने
आरोपी और पुलिस व व अन्य विभागों के उससे संबंधित लोगों के बीच कथित
सांठगांठ की पूरी जांच के लिए एक न्यायिक जांच आयोग का गठन किया है।"
पुलिस
ने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि दुबे को किसी चार्टर प्लेन से लाने का कोई
भी निर्णय किसी भी स्तर पर नहीं लिया गया था, क्योंकि एसटीएफ की एक टीम
लखनऊ से सड़क मार्ग से रवाना हो चुकी थी, जिसे गुना में छापे के लिए मौजूद
टीम से जुड़ना था, और एसटीएफ की एक टीम गुप्त जानकारी जुटाने और गिरफ्तारी
के लिए पहले से ग्वालियर में डेरा जमाए हुई थी।
--आईएएनएस
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