चंडीगढ़ । अकाली दल के असंतुष्ट नेताओं ने मंगलवार को लुधियाना में हुई एक बैठक में
राज्यसभा सांसद सुखदेव सिंह ढींढसा को शिरोमणि अकाली दल (शिअद) का अध्यक्ष
चुन लिया और सुखबीर सिंह बादल को शीर्ष पद से हटा दिया।
सुखदेव सिंह ढींढसा को उनके पुत्र और पंजाब के पूर्व वित्त मंत्री परमिंदर
सिंह ढींढसा के साथ कथित रूप से पार्टी-विरोधी गतिविधियों के आरोप में इस
साल फरवरी में शिअद से निष्कासित कर दिया गया था।
बाद में ढींढसा ने शिअद (टकसाली) समेत पार्टी के अलग हुए गुटों के साथ हाथ मिला लिया था।
हालांकि
पार्टी ने इस कदम को अवैध और धोखाधड़ी करार दिया है। शिअद के प्रवक्ता और
वरिष्ठ नेता दलजीत सिंह चीमा ने इस कदम को अवैध और धोखाधड़ी करार देते हुए
इस कार्य को कांग्रेस के इशारे पर किए जाने का आरोप लगाया।
चीमा ने मीडिया को बताया कि शिअद 100 साल पुरानी पार्टी है, जो भारत निर्वाचन आयोग के पास पंजीकृत है।
चीमा ने कहा, उन्होंने जो किया है वह 100 प्रतिशत धोखाधड़ी है। यह गैरकानूनी है और जालसाजी करना है।
शिअद
ने फरवरी में राज्यसभा सांसद और दिग्गज नेता ढींढसा और उनके विधायक पुत्र
को पार्टी से निष्कासित कर दिया था, क्योंकि उन्होंने आरोप लगाया था कि
पार्टी को अलोकतांत्रिक तरीके से और एक परिवार द्वारा नियंत्रित किया जा
रहा है।
उन्हें निलंबित करने से एक दिन पहले ही पूर्व मुख्यमंत्री
प्रकाश सिंह बादल ने संगरूर शहर में ढींढसा के गढ़ में एक रैली के दौरान
कहा था कि पिता-पुत्र की जोड़ी ने पार्टी के पीठ में छुरा घोंपा है।
इसके अलावा शिअद प्रमुख सुखबीर सिंह बादल ने सुखदेव ढींढसा को गद्दार कहा था।
ढींढसा
और उनके बेटे, जो लेहरा से विधायक हैं, ने यह कहते हुए कि शिअद में प्रमुख
पदों से इस्तीफा दे दिया कि पार्टी को लोकतांत्रिक तरीके से नहीं चलाया जा
रहा है।
--आईएएनएस
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