विदेशों में सुनी राजस्थान में कोरोना से मुकाबले की कामयाबी की कहानी

www.khaskhabar.com | Published : शनिवार, 27 जून 2020, 2:23 PM (IST)

जयपुर । कोरोना महामारी विश्व के लिए एक नई चुनौती है जिसे सदी की चुनौती कहा जाए तो कोई अतिश्योक्ति नहीं! लेकिन इस चुनौती को स्वीकार कर इससे मुकाबले और हराने की तैयारी में जो माइक्रो मेनेजमेंट और कौशल राजस्थान ने दिखाया है उसकी चर्चा देश में ही नहीं अब दुनियाभर में भी हो रही है। ‘‘भीलवाड़ा मॉडल’’, ‘‘जयपुर मॉडल’’ के बाद अब दुनियाभर में ‘‘राजस्थान मॉडल’’ की सराहना की जा रही है।

ग्लोब के अलग-अलग हिस्सों और महाद्वीपों से राजस्थान लौटे प्रवासी राजस्थानी बताते हैं कि विदेश में रहकर भी नजर भारत और राजस्थान पर रहती थी। सोशल मीडिया, वेबसाइट्स एवं टीवी चैनल्स से लगातार जानकारी मिलती रहती थी कि किस तरह कई देशों की आबादी से ज्यादा आबादी और कई देशों के क्षेत्रफल से ज्यादा क्षेत्रफल वाले राजस्थान में इस महामारी से मुकाबला किया जा रहा है।

बाहर से लौटकर आए ये सभी प्रवासी वहां घूमने नहीं गए थे, इनमें से कई तो वर्षों से वहां अपने-अपने काम धंघे में लगे थे या नौकरियां कर रहे थे और लम्बे समय से वहीं रह रहे थे। बड़ी संख्या उन युवाओं की भी थी जो कजाकिस्तान, यूक्रेन, किर्गीस्तान, रशिया जैसे देशों में मेडिकल की पढाई कर रहे थे। कोई तीन साल से वहां पढाई कर रहा था तो कुछ को गए कुछ ही माह हुए थे।

कोरोना संक्रमण की आशंका के दौरान जब ये सभी मई माह की अलग-अलग तारीख और समय पर जयपुर एयरपोर्ट पर पहुंचे तो राजस्थान की धरती पर कदम रखते ही उनके चेहरों पर घर वापसी का सुखद अहसास था। मानो, बहुत बड़ा बोझ उतर गया हो और अब वे मदरलैण्ड की गोद मेें सुरक्षित रहेंगे। इस अहसास का सबसे बड़ा कारण यह भी था कि बाहर रहकर भी सभी इस बात से वाकिफ थे कि पिछले 65-70 दिन में यहां क्या गुजरा है और किस कौशल के साथ कोराना महामारी का यहां प्रबन्धन किया गया है।

सभी ने यहां के भीलवाड़ा मॉडल, जयपुर मॉडल, एसएमएस अस्पताल द्वारा कोरोना के इलाज के लिए चार दवाओं की सहायता से स्वयं विकसित किए गए चिकित्सा प्रॉटोकॉल, बेहतर क्वारंटीन फेसिलिटी एवं पर््रबन्धन, कोरोना जांचों के लिए अपनाए गए मॉडल, मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत के नेतृत्व में राज्य सरकार द्वारा श्रमिक, दिहाड़ी मजदूरों और हर जरूरतमंद के लिए लागू किए गए राहत पैकेज, लॉकडाउन से पहले एवं लॉकडाउन के बाद में उठाए गए कदमों के बारे में पहले से काफी पढ-सुन रखा था। ‘‘कोई भूखा नहीं सोए, पशु-पक्षियों में भी जान है, किसी को नौकरी से नहीं निकाला जाए, श्रमिक कैम्पों की स्थापना, श्रमिक स्पेशल निशुल्क बस सेवा’’ जैसे कई प्रयासों की जानकारी भी कई प्रवासियों को थी।

लोग तो यहां तक जागरूक थे कि किस तरह मुख्यमंत्री प्रतिदिन समीक्षा बैठकों और 65 से ज्यादा वीडियो कांफे्रंसिंग के जरिए प्रदेश के हर छोटे-बडे़ शहर एवं ग्रामीण अंचल पर नजर बनाए हुए हैं और एक-एक विषय पर बारीकी से निर्णय किया जा रहा है। साथ ही कोरोना वॉरियर्स जैसे डॉक्टर्स, पैरा मेडिकल स्टाफ, प्रशासन, पुलिस, स्वच्छताकर्मी, शिक्षक, पटवारी, ग्राम विकास अधिकारी, अन्य सरकारी कर्मी सामाजिक संगठन, भामाशाह, वार्ड पंच से लेकर मंत्री तक के जनप्रतिनिधियों, मीडिया कर्मियों एवं जनसम्पर्ककर्मियों की लगातार सराहना तथा उत्साहवर्धन करते हुए महामारी से प्रभावी मुकाबले की रणनीति लागू की।


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