जेकेके के ऑनलाइन सेशंस में प्रतिभागियों ने निखारा अपना कथक नृत्य

www.khaskhabar.com | Published : शनिवार, 23 मई 2020, 8:20 PM (IST)

जयपुर । 'ऑनलाइन लर्निंग - चिल्ड्रन्स समर फेस्टिवल' के आठवां दिन, शनिवार 'जयपुर कथक' सेशन का अंतिम दिवस था। ऑनलाइन सेशन के माध्यम से व्याख्याता नमिता जैन ने सभी प्रतिभागियों को प्रारंभिक कथक कौशल सुधारने के सुझाव दिए और जयपुर घराना की कथक शैली की बारीकियां बताई।

सेशन में गत दो दिनों के लेशंस को रिवाइज कराया गया। जिसमें कथक परफॉर्मेंस के दौरान ताल तीनताल और ताल तीनताल में तबला बोल शामिल थे। इसके बाद कलाकार ने प्रतिभागियों को विभिन्न ततकार (फुटवर्क)- 'एकगुन', 'दुगुन' और 'चौगुन' के बारे में दोबारा से समझाया। उन्होंने उंगलियों के नाम बताए- 'तर्जनी' (इंडेक्स फिंगर), 'मध्यमा' (मिडिल फिंगर), 'अनामिका' (रिंग फिंगर), 'कनिष्ठा' (लिटिल फिंगर) और 'अंगुष्ठ' (थंब)। उन्होंने 15 'असंयुक्त हस्त' मुद्राएं जैसे कि 'पताका', 'त्रिपताका', 'अर्द्ध-पताका', 'कर्तरी-मुखा', 'मयूरा' आदि का प्रदर्शन करके बताया।

इसके बाद उन्होंने बताया कि कैसे और कब इन मुद्राओं को कथक परफॉर्मेंस के दौरान उपयोग किया जाता है। जैसे 'पताका' मुद्रा शीशा बनाने के लिए और ' त्रिपताका' मुद्रा का बिंदी लगाने के लिए उपयोग होता है। इसी प्रकार से 'कर्तरी-मुखा' मुद्रा का उपयोग आँखों से संबंधित प्रस्तुति अथवा हावभाव के लिए और 'मयूरा' कृष्ण मोरपंख या घूंघट (हेड कवरिंग) के लिए उपयोग होता है। इसके अलावा, प्रतिभागियों ने 'ग्रीवा संचालन' (नेक मूवमेंट्स), 'चक्कर' (राउंड) आदि का रीविजन किया। इस सेशन में 'ततकार' और 'सादा तोड़े' के विभिन्न रूपों के बारे में भी सिखाया गया।

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