लखनऊ । उत्तर प्रदेश के
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर से सोनौली के लिए बन रही फोरलेन के
लिए गोरखनाथ मंदिर की दीवार को ढहा कर सभी के लिए एक मिसाल कायम कर दी है।
साथ ही एक बड़ा संदेश भी दिया है कि विकास के लिए जरूरी हो तो किसी भी
धार्मिक स्थल की दीवार ढहाने में कोई आपत्ति नहीं जताई जानी चाहिए।
हाल के दिनों में यह दूसरी बार है जब मुख्यमंत्री ने बड़ी नजीर कायम की है।
इसके पहले अपने पिता के अंतिम संस्कार में न जाकर उन्होंने बताया कि
राजधर्म क्या होता है, एक बड़े परिवार का मुखिया होने का क्या मतलब होता
है।
गोरखनाथ मंदिर का शुमार उत्तर भारत के प्रमुख मंदिरों में होता
है। यह करोड़ों लोगों की आस्था का केंद्र भी है। यह उस नाथपंथ का मुख्यालय
है जिससे योगी जी का ताल्लुक है। वह गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर भी हैं।
गोरखपुर
फोरलेन के रास्ते में आने वाले किसी और को अपने मकान और दुकान के
ध्वस्तीकरण पर किसी को आपत्ति न हो इसके लिए इसके लिए मुख्यमंत्री होने के
बावजूद उन्होंने अपने मंदिर की दीवार को ढहाने का आदेश दे दिया। कुछ और
दुकान और मकान को हटाने पर वाया गोरखपुर में गोरखनाथ मंदिर, धर्मशाला,
मोहद्दीपुर, कूड़ाघाट और नंदानगर होते हुए एयरपोर्ट तक आने-जाने का रास्ता
आसान हो जाएगा।
महाराणा प्रताप महाविद्यालय जंगल धूसड़ के प्राचार्य
डॉ. प्रदीप राव के मुताबिक 'मुख्यमंत्री होने के बाद भी और बतौर सांसद भी
वह बार-बार यह कहते रहे हैं कि जनहित और विकास एक दूसरे के पूरक हैं। इसमें
किसी तरह की बाधा स्वीकार्य नहीं होगी। लोक कल्याण के लिए विकास करना हर
जनप्रतिनिधि का फर्ज है। योगीजी इसे लगातार साबित भी कर रहे हैं।'
--आईएएनएस
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