तब्लीगी मरकज से लौटे लोगों के कारण गुजरात में कोरोना के मामले बढ़े, सीएम रूपाणी का इंटरव्यू, यहां पढ़ें

www.khaskhabar.com | Published : सोमवार, 04 मई 2020, 8:52 PM (IST)

नई दिल्ली । पिछले साढ़े तीन साल से गुजरात के मुख्यमंत्री पद पर आसीन विजय रूपाणी अपने राज्य में घातक कोरोनावायरस के कहर से निपट रहे हैं। वह लॉकडाउन को क्रमिक रूप से हटाने के पक्ष में हैं और वह कोविड-19 मामलों की उच्च संख्या वाले क्षेत्रों में क्लस्टर कंटेनमेंट स्ट्रेटजी को लागू कर रहे हैं। मुख्यमंत्री रूपाणी ने आईएएनएस के साथ विस्तृत बातचीत में वायरस से निपटने के दौरान जान और जहान के बीच संतुलन के मंत्र के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के बीच मेरा मुख्य लक्ष्य यह सुनिश्चित करना है कि गुतरात में कोई भी भूखे पेट न सोए।

प्रस्तुत है उनसे बातचीत के खास अंश -

प्रश्न : गुजरात भारत के प्रमुख औद्योगिक राज्यों में से एक है और कोविड-19 के नवीनतम मामलों ने निश्चित ही प्रशासन को आश्चर्य में डाला होगा। अब जहां लॉकडाउन को हटाने की बातें चल रही हैं, आप अहमदाबाद और सूरत के अस्पतालों को कैसे देख रहे हैं।

उत्तर : गुजरात भारत का पहला राज्य था, जिसके पास आपदा प्रबंधन प्राधिकरण था। इसने ऐसे महत्वपूर्ण समय में राज्य की मदद की है।

लॉकडाउन शुरू होने के बाद से, हमने एक चीज को स्पष्ट किया कि आवश्यक सामानों की आवाजाही जरूरी एहतियात के साथ हो। हमने दूध, दवाई जैसे जरूरी सामानों की आपूर्ति करने वाले संगठनों से संपर्क किया और उन्हें निर्बाध आपूर्ति बहाल करने व सुरक्षा का ख्याल रखने का आदेश दिया।

गृह मंत्रालय के दिशानिर्देशों के अनुसार, ग्रामीण इलाकों में उद्योगों के संचालन की इजाजत दी गई है। उसके बाद हमने शहर के अंदर मौजूद निर्यात इकाइयों को उनके पूर्व के आर्डर के साथ कामकाज बहाल करने की अनुमति दी। एक स्टैंडर्ड ऑपरेंटिंग प्रोसीड्यूर (एसओपी) का मसौदा तैयार किया गया और उन सभी इकाइयों को भेजा गया, जहां संचालन शुरू किया गया था।

प्रश्न : राज्य के मुख्यमंत्री होने के नाते, क्या आप जान और जहान के बीच संतुलन बना पा रहे हैं?

उत्तर : आदरणीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब 23 मार्च को पहले लॉकडाउन की घोषणा कि थी तो उन्होंने 'जान है तो जहान है' कहा था। उनके शब्दों से प्रेरित होकर, मेरे प्रशासन का पहला लक्ष्य वायरस से संक्रमित होने से लोगों को बचाना है। इसके लिए हमने पूरे राज्य में पुलिसकर्मियों को तैनात किया और सीसीटीवी का इस्तेमाल कर यह भी सुनिश्चित किया कि लॉकडाउन के दौरान लोग अपने घरों से बाहर न निकलें।

इसी समय हमने कलस्टर कंटेनमेंट स्ट्रेटजी को उन क्षेत्रों में अपनाया। हमने ऐसे क्षेत्रों में पूरी तरह पाबंदी के साथ कर्फ्यू लगाया और साथ ही यह भी सुनिश्चित किया कि लोगों को दूध, दवा, सब्जी मिलती रहे।

हमने ऐसे क्षेत्रों में प्रभावित लोगों की पहचान की और सघन जांच की व उन्हें जरूरी मेडिकल सुविधाएं पहुंचाई। सात दिनों तक अहमदाबाद में स्वास्थ्य अधिकारियों की 750 टीमें लगी रहीं। सूरत में स्वास्थ्य अधिकारियों की 666 टीमें लगातार तीन दिनों तक काम कीं। लॉकडाउन के दौरान मेरा मुख्य लक्ष्य था कि कोई भी गुजराती भूखे पेट न सोए और इसके लिए हमने काफी काम किए।

प्रश्न : सूरत की महामारी से निपटने और उसके बाद अच्छे तरीके से सफाई का गुजरात का शानदार इतिहास रहा है। क्या उस दौरान के अनुभव और सीखी गई चीजें कोरोना के खिलाफ जंग में काम आ रही हैं?

उत्तर : गुजरात पहले सूरत महामारी, कच्छ भूकंप की आपदा को झेल चुका है और इससे उबरकर राज्य ने जबरदस्त वापसी की है। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के साथ हमने पहले उठाए गए कदमों का सावधानी पूर्वक विश्लेषण किया और चरणबद्ध तरीके से उसे लागू किया।

प्रश्न : आप राज्य में कोरोना के मामलों में अचानक वृद्धि को कैसे देखते हैं। जैसा कि मैंने लिखा, गुजरात में 4300 से ज्यादा मामले हैं।

उत्तर : मैं मामलों में वृद्धि को प्रशासन और लोगों के लिए सकारात्मक रूप में देखता हूं, क्योंकि इससे संक्रमित रोगियों की पहचान हुई और उन्हें जरूरी मेडिकल सुविधा मुहैया कराई गई। प्रशासन द्वारा की गई सघन जांच से हमें संक्रमित लोगों की पहचान करने में मदद मिली। मई तक, हमने पूरे राज्य में 68,000 लोगों के टेस्ट किए।

अगर हम अहमदाबाद की बात करें तो कुल मामलों में 60 प्रतिशत मामले कलस्टर क्षेत्रों के हैं। अहमदाबाद के 20 प्रतिशत क्षेत्र में 80 प्रतिशत मामले हैं और बचे 80 प्रतिशत क्षेत्र में 20 प्रतिशत मामले हैं। बड़ी संख्या में तब्लीगी जमात के लोगों ने दिल्ली में समारोह में हिस्सा लिया था और वे गुजरात वापस आए। उस समय हम उनकी पहचान कर सकते थे, वे पहले से ही अपने दोस्तों, परिजनों और उनके आसपास के लोगों के संपर्क में आ गए, जिससे शहर में मामले बढ़े।

प्रश्न : कोविड-19 मामले से निपटने के लिए कौन से महत्वपूर्ण कदम उठाए गए हैं?

उत्तर : गुजरात ऐसा पहला राज्य था, जहां कोरोना के लिए समर्पित अस्पताल बनाए गए थे। हमने सप्ताह के अंदर 2200 बेडों का अस्पताल बनाया। आज के समय में, हमारे पास 10,500 समर्पित कोविड-19 बेड हैं और कुछ दिनों में इसे बढ़ाकर 22,500 कर दिया जएगा।

--आईएएनएस

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