ब्रांडों को फिलहाल अपना वजूद बचाने की जरूरत : सुजाता

www.khaskhabar.com | Published : सोमवार, 04 मई 2020, 08:03 AM (IST)

नई दिल्ली । हार्पर बाजार इंडिया की फाउंडिंग एडिटर-इन-चीफ व '100 आइकॉनिक बॉलीवुड कॉस्ट्यूम्स' की लेखिका सुजाता असोमल कहती हैं कि "इसमें कोई संदेह नहीं कि फैशन उद्योग को जारी वैश्विक संकट के कारण आर्थिक मंदी के प्रभाव का सामना करना पड़ा है। जमीनी स्तर पर खरीदारी करने के शौकीनों से लेकर दस्तकारों तक को परेशानी होगी।" आईएएनएस लाइव के साथ बातचीत में सुजाता ने कहा कि संकट के इस समय में एक बड़ा सवाल यह है कि क्या फैशन ब्रांड और लेबल फिर से खुद को खड़ा कर पाएंगे और तमाम झंझावतों से निकल पाएंगे।

यह पूछे जाने पर कि क्या वैश्विक संकट और उपभोक्ताओं के मूड को देखते हुए भविष्य में क्या फास्ट फैशन टिकाऊ पहल पर फोकस करने के लिए मजबूर होगा तो उन्होंने कहा, "प्रकृति ने हमें जीवन की आपाधापी में ठहर कर सोचने के लिए मजबूर किया। मैं ऐसा मानती हूं क्योंकि हमने आत्मचिंतन किया है, इसने हमें भागती जिंदगी की आपाधापी के बारे में सोचने के लिए मजबूर किया है, जो हम जीते हैं।"

उन्होंने कहा कि फैशन दूसरी सबसे बड़ी पॉल्यूटिंग इंडस्ट्री है। इसकी कीमत लोगों और प्रकृति को चुकानी पड़ती है वास्तव में जीवन के लिए खतरा है। इसे बदलना है लेकिन इसका मतलब फास्ट फैशन बिल्कुल नहीं है। मुझे लगता है कि इस ठहराव ने हम सबको अपन ेनिजी फैशन के फूटप्रिंट के बारे में सोचने पर मजबूर किया है।

सुजाता ने कहा, "हमें इस बारे में जागरूक रहना होगा कि स्लो फैशन ज्यादा महंगा होगा, जबकि फास्ट फैशन बड़ी इंडस्ट्री है जो रोजगार पैदा करता है। मुझे लगता है कि फास्ट फैशन स्लो फैशन के कुछ सिद्धांतों को अपना लेगा और ज्यादा जिम्मेदार होगा।"

यह पूछे जाने पर कि आर्थिक मंदी के कारण व्यवसायों ने पेड पार्टनरशिप और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म के जरिए कई सेलिब्रिटी एंडोर्समेंट को होल्ड पर रखा है तो ऐसे में इसका प्रभाव सोशल मीडिया इन्फ्लूएन्सर्स पर कैसे पड़ेगा? तो सुजाता ने कहा कि

सभी ब्रांड अभी अपने खचरें को लेकर सावधान रहने वाले हैं। अब वे पूरे एक सीजन को गंवा चुके हैं और यहां तक कि अगले कुछ तिमाहियों में भी असर पड़ना तय है। इंडस्ट्री में हर कोई मुश्किल में है।

उन्होंने कहा कि इंडस्ट्री में कोई इवेंट नहीं हो रही है और एक प्रभावशाली व्यक्ति का अधिकांश काम इवेंट के आसपास घूमता है। कई उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि इन्प्लूएंसर्स को पहले कटौती करना होगा क्योंकि कई फैशन कंपनियों ने पहले से सैलरी रोक दी है और किसी भी बाहरी आपूर्तिकर्ता को गैर-आवश्यक के रूप में देखा जाएगा।

सुजाता ने कहा कि लागत में कटौती प्रत्येक उद्योग के लिए मंत्र है। ब्रांडों को अभी अपना वजूद कायम रखने की आवश्यकता है, इसलिए सभी तामझाम को जाना होगा।

उन्होंने कहा कि इस लॉकडाउन में बेहतरीन कन्टेंट से समुदाय की भावना का निर्माण बहुत महत्वपूर्ण है।

सुजाता ने उम्मीद जताई कि ब्रांड अब अपने कन्टेंट पर बेहतरीन रणनीति के साथ काम करेंगे। (आईएएनएस)

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