ऋषि कपूर बचपन से ही बहुत संस्कारी थे : ए. कृष्णमूर्ति

www.khaskhabar.com | Published : गुरुवार, 30 अप्रैल 2020, 10:36 PM (IST)

मुंबई । बॉलीवुड अभिनेता ऋषि कपूर के निधन की खबर सुन कर फिल्मकार ए.कृष्णमूर्ति को कपूर के बचपन से लेकर अब तक की कई यादें ताजा हो गईं।

91 वर्षीय ए. कृष्णमूर्ति ने याद किया कि कैसे दशकों पहले युवा ऋषि 'चिंटू' के नाम से प्रसिद्ध थे और वे अपने पिता या चाचा के फिल्म सेटों पर आया करते थे और उनके साथ खुशी से खेला करते थे।

कृष्णमूर्ति ने आईएएनएस को बताया, "वह हमेशा एक बहुत ही अच्छा व्यवहार करने वाला, सुसंस्कृत बच्चा था। यहां तक कि उसकी भावी पत्नी और छोटी बाल कलाकार नीतू सिंह भी मेरी गोद में खेला करती थीं। वर्षों बाद, जब उनकी शादी हुई तो हमारे पारिवारिक संबंध और मजबूत हो गए।"

वह जिन घटनाओं का जिक्र कर रहे थे, वे फिल्म 'नजराना' (1961) के आसपास की थीं, जिसमें वह प्रोडक्शन एक्जीक्यूटिव थे और फिल्म जगत के बड़े नामों जैसे राज कपूर, वैजंतीमाला, उषा किरण, जेमिनी गणेशन (रेखा के पिता) के साथ उनके संपर्क काफी नजदीकी थे। तब नौ वर्षीय ऋषि अक्सर सेट पर आते थे।

वहीं पांच साल की चुलबुली बाल अभिनेत्री नीतू वीनस पिक्च र्स की सुपरहिट म्यूजिकल फिल्म 'सूरज' (1966) में राजेंद्र कुमार, वजंतीमाला, मुमताज, अजीत और जॉनी वॉकर के साथ थीं।

कृष्णमूर्ति ने आगे याद किया, "नीतू ने 'सूरज' के साथ एक बाल कलाकार के रूप में काम करना शुरू कर दिया था। सालों बाद, उन्होंने और ऋषि ने शादी की और पूरी इंडस्ट्री इस 'जोडी' से काफी खुश थी।"

18 साल की उम्र में, जब ऋषि कपूर बॉलीवुड में 'बॉबी' के साथ अपना शानदार डेब्यू करने जा रहे थे , तब राज कपूर अपने बेटे के लिए एक अच्छा पाश्र्वगायक ढूंढ़ रहे थे, जबकि मोहम्मद रफी, किशोर कुमार और मुकेश जैसे दिग्गज कलाकार उस समय थे।

"सौभाग्य से, मुझे एक युवा लेकिन बहुत प्रतिभाशाली लड़के शैलेंद्र सिंह के बारे में पता चला और मैंने उसकी लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल से सिफारिश की। संगीत-निर्देशक जोड़ी ने इसे अप्रूव कर दिया। बाद में ऋषि कपूर ने मुझे धन्यवाद देकर कहा कि उन्हें 'आवाज' और फिल्म उद्योग को एक नया गायक देने के लिए आभार।"

कृष्णमूर्ति की बेटी और इनके फैमिली बैनर टीएफआई की एक्जीक्यूटिव प्रोड्यूसर रम्या अय्यर ने आईएएनएस को बताया, "हर साल गणेशोत्सव को कपूर परिवार द्वारा भव्यता से मनाया जाता है और ऋषि व्यक्तिगत तौर पर फोन करके मेरे पिता को इस मौके पर आमंत्रित करते थे। जब हम वहां जाते थे तो वह हमेशा हमारा गेट पर ही स्वागत करते थे। वह बहुत ही संस्कारी और विनम्र थे, हमेशा बड़ों का आदर करते थे और स्पॉट बॉय से लेकर ऊपर तक सबसे बात करते थे।" (आईएएनएस)

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