ये क्या! इस जगह होती है किन्नरों की शादी, वजह जानकर उड़ जायेंगे होश

www.khaskhabar.com | Published : सोमवार, 06 अप्रैल 2020, 2:28 PM (IST)

किन्नर का नाम लेते ही हमारे दिमाग में उनके लिए एक अपवीत्र छवी बनने लग जाती है। किन्नर के बारे में आपने जरुर सुना होंगा, यह न तो पुरुष होते है और ना ही स्त्री, इसीलिए यह विवाह नहीं करते, ऐसे में आपको यह बात जानकर हैरानी होंगी की किन्नर एक रात के लिए शादी करते हैं।
पौराणिक कथाओं के मुताबिक किन्नरों को एक अलग और दिव्य स्थान दिया गया है। जहां सबके रिती रिवाज अलग होते हैं वहीं किन्नरों के रिती रिवाज काफी अलग और हटकर होते हैं। ऐसा ही एक रिवाज है तमिलनाडु के इस गांव में जहां आज भी एक ऐसा त्योहार मनाया जाता है जिसमें सभी किन्नर बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं। बता दें कि, तमिलनाडु के विल्लीपुरम के कूवागम गांव में भगवान आरवन के लिए एक विशेष त्यौहार होता है जिसमें सभी किन्नर उनसे विवाह करती हैं और उसके बाद अगले दिन ही विधवा हो जाती हैं।

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पौरणिक कथाओं में मान्यताये कहानी एक पौराणिक कथा से शुरू होती हैं जहां महाभारत के युद्ध से पहले एक भविष्यवाणी हुई थी की वे ये युद्ध हार जाएंगे। पांडव इस भविष्यवाणी से चिंतीत होकर ज्योतिषी के पास जाते हैं जहां ज्योतिषी उन्हें काली मां के सामने एक आदमी की बली देने को कहता है। कोई भी राजकुमार जब आगे नहीं आया तो इरावन ने कहा कि वह बलि के लिए तैयार है। लेकिन उसने एक शर्त रख दी कि वह बिना शादी किए बलि नहीं चढ़ेगा।
पांडवों के पास समस्या यह आ गई कि एक दिन के लिए कौन सी राजकुमारी इरावन से विवाह करेगी और अगले दिन विधवा हो जाएगी। इस समस्या का समाधान श्री कृष्ण ने निकाला। श्री कृष्ण स्वयं मोहिनी रूप धारण करके आ गए और उन्होंने इरावन से विवाह किया। अगले दिन सुबह इरावन की बलि दे दी गई और श्री कृष्ण ने विधवा बनकर विलाप किया। उसी घटना को याद कर किन्नर इरावन को अपना भगवान मानते हैं और एक रात के लिए विवाह करते हैं।

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किन्नरों की होती है भगवान अरावन से शादी...तभी से ही ये प्रथा चली आ रही है इस पर्व को किन्नर करीब 18 दिनों तक मनाते हैं और अरावन की कोतांडवार के रूप में पूजा करते हैं। यहां सभी किन्नर सज-धज कर मोहिनी रूप में तैयार होती हैं और भगवान अरावन को अपने पति के रूप में चुनती हैं, जहां पंडित उन्हें एक धार्मिक रक्षा धागा बांधता है। महज एक दिन में किन्नर भगवान अरावन से शादी रचाते हैं और प्रथा के मुताबिक अगले ही दिन अरावन की मृत्यु के बाद सभी किन्नर विधवा हो जाते हैं।
विधवा ट्रॅान्स्जेंडर्स सफ़ेद साड़ी पहन कर 10 दिनों तक लोगों की सेवा करते हैं। कुवागम का ये त्योहार किन्नरों के लिए बहुत ही बड़ा पर्व माना जाता है और इस त्योहार को मनाने के लिए किन्नर यहां दूर-दूर से आते हैं।

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