निर्भया के दोषियों को फांसी लगाने वाला पवन जल्लाद ने कहा, चारों को कोई पछतावा नहीं था

www.khaskhabar.com | Published : शनिवार, 21 मार्च 2020, 1:54 PM (IST)

मेरठ/नई दिल्ली। निर्भया को आखिर सात साल तीन महीने और तीन दिन के लंबे इंतजार के बाद इंसाफ मिल गया है। निर्भया के चारों दोषियों को 20 मार्च को सुबह 5:30 बजे फांसी दे दी गई। पूरे देश ने इस दिन को 'इंसाफ का सवेरा' करार दिया। लोगों ने एक-दूसरे को मिठाई खिलाकर खुशी का इजहार किया। इस मामले में नई बात यह निकलकर आई कि निर्भया के दोषियों को फांसी पर लटाकने वाले पवन जल्लाद ने कहा कि उनको ऐसा कृत्य करने के लिए कोई पछतावा नहीं था।


पवन जल्लाद ने आगे बताया कि फांसी घर में किसी को बोलने की अनुमति नहीं होती है, इस कारण से फांसी वाले दिन केवल इशारों से काम किया गया। मैंने निर्भया के चारों दोषियों को फांसी देकर अपना धर्म निभाया है, यह हमारा पुश्तैनी काम है। उनका कहना था कि फांसी होने से पहले दरिंदों को पश्चाताप होना चाहिए था, लेकिन उनमें से किसी को पश्चाताप नहीं था।

उन्होंने बताया कि वे 17 मार्च के दिन तिहाड़ गए थे और डमी ट्रायल किया। डमी ट्रायल से पहले उन्होंने सबसे पहले फांसी के फंदों को दही और मक्खन से मुलायम किया। अगले दिन सुबह चार बजे फंदों को दोबारा दुरुस्त कर लगाया गया।

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पवन जल्लाद ने बताया कि फांसी वाले दिन सुबह दोषियों के हाथ बांधकर फंदे तक लाया गया। सबसे पहले अक्षय और मुकेश को फांसी घर लाया गया। इसके बाद पवन और विनय को तख्ते पर ले जाया गया। हर गुनहगार के साथ पांच-पांच पुलिसकर्मी थे, उन लोगों को एक-एक कर तख्ते पर ले जाकर खड़ा किया गया।


इसके बाद चारों आरोपियों के फंदे को दो लीवर से जोड़ा दिया गया। इसके बाद उनके चेहरे पर कपड़ा डालकर सभी के गले में फंदा डालकर संतुष्टि की गई और समय के अुनसार जेल अफसर के इशारे पर लीवर खींच दिया गया और उनको फांसी दे दी।