शिमला। प्रदेश सरकार के प्रयासों के कारण हिमाचल प्रदेश में बन्दरों की संख्या में भारी कमी आई है। हिमाचल प्रदेश वन विभाग के एक प्रवक्ता ने सोमवार को यहां जानकारी दी कि लाहौल-स्पिति को छोड़ प्रदेश के अन्य जिलों में बन्दरों की जनसंख्या के लिए सर्वेक्षण किया। उन्होंने कहा कि सलीम अली सेंटर फोर ऑनिथोलाॅजी एण्ड नेचुरल हिस्ट्री, कोयम्बटूर, तमिलनाडु (एसएसीओएन) ने इस सर्वेक्षण का अध्ययन करने के बाद अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत की है।
इस रिपोर्ट के अनुसार हिमाचल प्रदेश में बन्दरों की जनसंख्या एक लाख 36 हजार 443 रह गई है। वर्ष 2015 के दो लाख पांच हजार 167 के मुकाबले बन्दरों की जनसंख्या में 33.5 प्रतिशत की कमी देखी गई है। प्रदेश में बन्दरों के झुंडों में कमी आई है साथ ही उनके घनत्व हाॅट-स्पाॅट भी 263 से घटकर 226 रह गए हैं।
रिपोर्ट में बन्दरों की जनसंख्या को कम करने के लिए विभाग द्वारा किए गए विभिन्न प्रयासों को कारण बताया गया है। राज्य में बन्दरों की नसबन्दी के लिए चलाए गए कार्यक्रम, बेहतर कचरा प्रबन्धन, व्यापक जन जागरूकता अभियान, वनों में वृद्धि कर बन्दरों के आवास को सुरक्षित करना, 91 तहसीलाें/उप-तहसीलों और नगर निगम शिमला में बन्दरों को वर्मिन घोषित करने जैसे प्रयासों के कारण ही बन्दरों की संख्या में कमी आई है।
उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश वन विभाग ने बन्दरों की नसबन्दी के लिए प्रदेश में वर्तमान में आठ केन्द्र कार्य कर रहे हैं, जिनमें प्रतिवर्ष 35 हजार बन्दरों की नसबन्दी की क्षमता है। उन्होंने कहा कि अब तक एक लाख 62 हजार बन्दरों की नसबन्दी की जा चुकी है। इस प्रकार नसबन्दी से पांच लाख से अधिक बन्दरों के जन्म को रोका गया।
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