जयपुर। कला, साहित्य और संस्कृति डॉ. बी. डी. कल्ला ने कहा है कि कहा है कि हमारी संस्कृति पूरी दुनियां में बेजोड़ है। इसकी विशालता इतनी है कि पूरी दुनियां को एक परिवार माना जाता है। हमारी संस्कृति में सबसे पहले मातृ शक्ति की वंदना होती है। महिलाओं के सशक्तीकरण से ही सशक्त समाज का निर्माण होता है।
डॉ. कल्ला गुरुवार को जयपुर में जवाहर कला केन्द्र की ओर से अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के उपलक्ष्य में गत रविवार से आयोजित ‘समर्थ- द वुमंस फेस्टिवल’ में देश—विदेश में भाग लेने वाली महिला आर्टिस्ट्स को पुरस्कृत करने के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को मुख्य अतिथि के रूप में सम्बोधित कर रहे थे। इस मौके पर डॉ. कल्ला और जेकेके की महानिदेशक श्रीमती किरण सोनी गुप्ता ने इंटरनेशनल वुमंस आर्ट कैंप में शामिल हुईं 36 कलाकारों को स्मृति चिह्न के साथ प्रमाण-पत्र देकर सम्मानित किया। इस मौके पर एडीजी (तकनीकी) फुरकान खान भी मौजूद रहे।
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डॉ. कल्ला ने कहा कि समर्थ फेस्टिवल जैसे कार्यक्रमों से
'इंटरनेशनल ब्रदरहुड' को बढ़ावा मिलेगा। उन्होने इस आयोजनों से जेकेके को
एक 'ग्लोबल विलेज' के रूप में परिवर्तित करने के लिए महानिदेशक
किरण सोनी गुप्ता और पूरी टीम की सराहना की।
कला, साहित्य और
संस्कृति मंत्री ने कहा कि पुरुष और महिला सामाजिक गाड़ी को दो पहिए है, एक
भी पहिया कमजोर हो तो संतुलन नहीं बन पाता। उन्होंने कहा कि आज की
आवश्यकता है कि महिलाएं आर्थिक रूप से मजबूत और स्वावलम्बी बने। वे कला के
साथ ही मार्शल आर्ट्स और योगा जैसे क्षेत्रों में भी आगे बढ़े। यहीं समर्थ
फेस्टिवल जैसे आयोजनों का उद्देश्य है।
जेकेके की डीजी श्रीमती किरण
सोनी गुप्ता ने कहा कि फेस्टिवल का उदेश्य वैश्विक और स्थानीय कलाकारों को
एक मंच पर लाना है, ताकि वे एक-दूसरे की कला से सीख सकें और विचारों का
आदान-प्रदान कर सकें। इस महोत्सव में न सिर्फ पेशेवर कलाकारों को शामिल
किया गया है, बल्कि गांवों के पारंपरिक कलाकारों, छात्राओं और अन्य महिलाओं
को भी शामिल किया गया। उन्होंने इस 5 दिवसीय उत्सव के दौरान आयोजित हुए
विभिन्न कार्यक्रमों और गतिविधियों के बारे में भी बताया।
लोक प्रस्तुतियां
‘वुमंस
फेस्टिवल- समर्थ’ के तहत जवाहर कला केंद्र (जकेके) के शिल्पग्राम में
गुरुवार को विभिन्न लोक प्रस्तुतियों का आयोजन हुआ। लोक कलाकारों ने तेरा
ताली, चरी, भपंग जैसी जीवंत और रंगारंग लोक प्रस्तुतियां देकर लोगों को
झूमने पर मजबूर कर दिया।
सबसे पहले असम सरकार द्वारा असम का लोक नृत्य
‘बीहू’ प्रस्तुत किया गया। यह नृत्य विशेष रूप से असम के लोग नया साल मनाने
के लिए किया जाता है। कलाकारों ने पारंपरिक रंगीन असमिया परिधान पहनकर
नृत्य प्रस्तुत किया। कलाकारों के लाल रंगीन पारपंरिक परिधान खुशी, हर्ष और
वसंत के स्वागत की खुशी को दर्शाता है।
राजस्थान के लोकप्रिय लोक
नृत्य ‘तेरा ताली’ को गणेश दास एंड पार्टी ने प्रस्तुत किया। यह एकमात्र
राजस्थानी नृत्य है, जो बैठकर किया जाता है। महिला नृत्यागंनाओं ने अपने
हाथों और पैरों पर ब्रास डिस्क बांधकर नृत्य प्रस्तुत किया। वहीं इसके बाद
चरी नृत्य की प्रस्तुति हुई। चरी नृत्य राजस्थान के किशनगढ़ का एक सुंदर
नृत्य है, जिसमें महिलाएं अपने सिर पर आग से जलती हुई मिट्टी या पीतल की
चरी रखकर नृत्य करती हैं।
महमूद एंड पार्टी ने भपंग पर मनोरंजक प्रस्तुति दी। संगीत प्रेमियों से इसका जमकर आनंद उठाया। वहीं प्रकृति के करीब आदिवासी नृत्य ‘सिद्धि धमाल’ ने दर्शकों का दिल जीत लिया। पक्षी की चाल, मोर की आवाज और नारियल को अपने से सिर से तोड़कर कलाकारों ने खूब रंग जमाया।
इस मौके पर महाराष्ट्र के लोक प्रसिद्ध लावणी नृत्य की रेशमा
एंड पार्टी ने शानदार प्रस्तुति दी। रंग- बिरंगी 9 गज़ लंबी साड़ियों में
सजी महिला कलाकारों ने अपने सुंदर नृत्य से दर्शकों को भी थिरकने के लिए
मजबूर कर दिया। इस मौके पर पुणे की रेशमा ने एकल प्रस्तुति से दर्शकों को
मंत्रमुग्ध कर दिया। इसी तरह कलाकार श्यामला ने राजस्थान के प्रसिद्ध
कालबेलिया लोक नृत्य की प्रस्तुति दी।
कालबेलिया नृत्य सांप पकड़ने और सांप
के जहर के व्यापार करने को दर्शाता है। इसी कारण इस लोक नृत्य का स्वरूप
और इसको प्रस्तुत करने वाले कलाकारों के परिधानों में सांपों से जुड़ी
चीजें झलकती हैं। कलाकारों ने भारी कढ़ाई वाले परिधान और सुंदर आभूषण पहनकर
प्रस्तुति दी।