राष्ट्रपति ने महिला दिवस पर कानपुर की कलावती को किया सम्मानित

www.khaskhabar.com | Published : सोमवार, 09 मार्च 2020, 2:12 PM (IST)

हिमांशु
कानपुुुर
। मंजिलें उन्ही को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंखो से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है। किसी शायर की यह लाइनें बहुत लोगों ने पढ़ी और सुनी होगी, लेकिन उत्तर प्रदेश के कानपुर नगर जनपद के राजा पुरवा की रहने वाली निरक्षर कलावती ने इसे खूब ठीक से समझा है और साबित कर दिया है कि हौसले के दम पर आसमां भी हासिल हो सकता है। दृढ़ संकल्प और हौसलों की मिसाल बनी कलावती को अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने नारी शक्ति पुरस्कार से सम्मानित किया।
कलावती देवी महिला राज मिस्त्री हैं और खुले में मलोत्सर्ग को खत्म करने की मुहिम चला रही हैं। उनकी मुहिम से इलाके में ही नहीं आस-पास के जनपदों में भी शौचालय बने और खुद चार हजार शौचालयों को निर्मित कराया।


सीतापुर जिले में जन्मी कलावती देवी की शादी महज 13 साल की उम्र में कानपुर के राजा का पुरवा निवासी जयराज सिंह से हुई थी। उस समय किसी ने नहीं सोचा होगा कि यह नाबालिग राष्ट्रपति के हाथों सम्मानित होगी, लेकिन उनकी 58 वर्ष की उम्र में महिला दिवस पर आज हुआ कुछ ऐसा ही और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने स्वच्छता के प्रति किये गये कार्यों को लेकर कलावती को नारी शक्ति पुरस्कार से नवाजा है। कलावती कभी स्कूल भी नहीं गई, लेकिन उनके भीतर समाज के लिए कुछ करने की ललक बचपन से थी। राजा का पुरवा गंदगी के ढेर पर बसा था। करीब 700 आबादी वाले इस पूरे मोहल्ले में एक भी शौचालय नहीं था। सभी लोग खुले में शौच के लिए जाते थे। गांव में गंदगी का अंबार देख दो दशक पहले कलावती ने एक एनजीओ के साथ जुड़कर शौचालय निर्माण के लिए पहल शुरु की। कलावती देवी कहती हैं कि मैं जिस जगह पर रहती थी वहां हर तरफ गंदगी ही गंदगी थी। लेकिन मुझे पक्का यकीन था कि स्वच्छता के जरिए हम इस स्थिति को बदल सकते हैं। मैंने लोगों को समझाने का फैसला किया। शौचालय बनाने के लिए घूम-घूमकर एक-एक पैसा जुटाया। आखिरकार सफलता हाथ लगी।

खुद पहल शुरु कर एनजीओ से जुड़ी


कलावती की शादी 13 वर्ष की उम्र में राजा का पुरवा मलिन बस्ती में रहने वाले पांच साल बड़े जयराज सिंह से हुई थी। जयराज पेशे से राजमिस्त्री थे। तीन साल बाद कलावती का गवना हुआ और करीब 42 साल पहले अपने ससुराल आ गयी। कलावती कभी स्कूल भी नहीं गईं लेकिन समाज के लिए कुछ कर गुजरने की ललक उनमें बचपन से थी। गांव में उस समय एक भी शौचालय नहीं था और न ही उनके घर में। ऐसे में खुले में शौच करने में उन्हे परेशानी होती थी और अन्य महिलाओं को देख उन्हे दुख होता था। इस पर पति को राजी कर पहले अपने घर में शौचालय बनवाया फिर गांव में शौचालय बनाने की मुहिम शुरु कर दी। पति की मौत के बाद खुद राज मिस्त्री का काम करने लगी और एक एनजीओ से जुड़ गयीं। कलावती बताती हैं कि उनके लिए यह काम इतना आसान नहीं था। लोग ताना मारते थे और जमीन खाली करने के लिए तैयार नहीं थे। लेकिन कलावती ने हार नहीं मानी काफी समझाने के लिए लोग राजी हुए। बकौल कलावती उन्होंने पहले खुद अपने हाथों से 50 से अधिक सामुदायिक शौचालय बनाए। धीरे-धीरे यह काम उनके लिए जुनून बनता गया। तमाम दुश्वारियों के बाद भी कलावती ने शौचालयों के निर्माण में मदद का काम जारी रखा। अब तक वह 4000 से अधिक शौचालय बना चुकी हैं। यहां तक कि पति व दामाद की मौत के बाद भी कलावती का हौसला नहीं टूटा। परिवार में कमाने वाली कलावती इकलौती सदस्य हैं। वे खुले में शौच से होने वाली बीमारियों के प्रति जागरुकता पैदा करने के लिए घर-घर जाती हैं। इस समय कलावती के परिवार में बेटी और उसके दो बच्चे भी साथ रहते हैं।

इस तरह बढ़ी आगे

दो दशक पहले एक स्थानीय एनजीओ ने राजा का पुरवा में शौचालय निर्माण के लिए पहल शुरू की, जिससे कलावती जुड़ गईं। कलावती को राजमिस्त्री का काम आता था। इसलिए उन्होंने मोहल्ले का पहला सामुदायिक शौचालय बनाया। कलावती की मानें तो लोगों को शौचालय की जरुरत समझ में नहीं आ रही थी। लेकिन काफी समझाने के लिए लोग राजी हुए। बाद में तत्कालीन नगर निगम के आयुक्त से दूसरे स्लम बस्तियों में शौचालय निर्माण कराने का प्रस्ताव रखा। अधिकारी प्रयासों से सहमत हुए। अधिकारियों ने प्रस्ताव रखा यदि मोहल्ले के लोग शौचालय की कुल लागत का एक तिहाई खर्च उठाने को तैयार हो जाएं तो दो तिहाई पैसा सरकारी योजना के तहत लिया जा सकता है। इसके बाद कलावती लोगों को समझाती रही और दिहाड़ी मजदूरों, रिक्शा चलाने वाले लोगों से चंदा कर पैसे का इंतजाम कराया। इसके बाद चीजें व परिस्थितियां बदलने लगी। इसके बाद कलावती ने अपने हाथों से 50 से अधिक सामुदायिक शौचालय का निर्माण किया। धीरे-धीरे यह काम कलावती के लिए जुनून बन गया।

देश के नाम जारी किया संदेश
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर अपना सोशल मीडिया अकाउंट समाज में उल्लेखनीय योगदान देने वालीं महिलाओं के जिम्मे किया है। ट्विटर से उत्तर प्रदेश के कानपुर की कलावती देवी ने भी देशवासियों के लिए एक संदेश जारी किया। उन्होंने कहा कि स्वस्थ रहने के लिए स्वच्छता जरुरी है। अगर कोई कड़वी भाषा बोलता है तो उसे बोलने दीजिए। यदि अपने लक्ष्य को पाना है तो पीछे मुड़कर नहीं देखा करते हैं। उन्होंने कहा कि लोगों को जागरुक करने में थोड़ा समय जरुर लगा, लेकिन मुझे पता था कि अगर लोग समझेंगे तो काम आगे बढ़ जाएगा। मेरा अरमान पूरा हुआ और स्वच्छता को लेकर मेरा प्रयास सफल हुआ। हजारों शौचालय बनवाने में हमें सफलता मिली है। देश की बहन- बेटी और बहुओं को मेरा यही संदेश है कि समाज को आगे ले जाने के लिए ईमानदारी से किया गया प्रयास कभी निष्फल नहीं होता।

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