भारत को क्यों चाहिए 'देसी' फेसबुक व व्हाट्सएप

www.khaskhabar.com | Published : बुधवार, 04 मार्च 2020, 1:31 PM (IST)

नई दिल्ली। पिछले वर्ष योगगुरु स्वामी रामदेव के सपनों के स्वदेशी मैसेजिंग ऐप 'किम्भो' को एप स्टोर से गोपनीयता की चिंताओं के कारण हटा लिया गया था। व्हाट्सएप से मुकाबला करने के उद्देश्य से बनाया गया यह मैसेजिंग एप कुछ खास चर्चित नहीं हो सका था।

संस्कृति का शब्द 'किम्भो' का अर्थ होता है- 'आप कैसे हैं' या 'क्या नया है'। हालांकि, इस एप को पतंजलि आयुर्वेद के घर से बड़ी ही धूमधाम के साथ लॉन्च किया गया था। इसके माध्यम से चैट, मल्टीमीडिया, वाइस और वीडियो कॉलिंग जैसी सुविधा दी जा रही थी, परंतु इससे केवल वैश्विक डेवलपर्स के समुदाय को हम पर हंसने का मौका मिला।

एक ऐसे देश में जहां 30 करोड़ लोग फेसबुक, 40 करोड़ लोग व्हाट्सएप और 20 करोड़ लोग चाइना की एप टिकटॉक का इस्तेमाल करते हैं। साथ ही इंस्टाग्राम, ट्विटर और स्नैपचैट पर भी भारतीयों की अच्छी-खासी संख्या है, ऐसे में अभी तक यहां एक ऐसी स्वदेशी एप नहीं बन पाई है, जो वैश्कि तौर पर सुर्खियां बना पाई हो।

यदि हम चीन का उदहारण लें, तो इसके पास वेइबो है जो माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ट्विटर के बराबर है। रेनरेन है, जो वहां का फेसबुक है। वी चैट है, जो व्हाट्सएप के समान है। साथ ही गूगल के समक्ष बैदू और यूट्यूब के मुकाबले यूकू है।

चीन में वीचैट सबसे बड़ा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है। इसके एक अरब मासिक एक्टिव यूजर्स हैं। अन्य एप्स पर भी लोगों की संख्या लाखों में है। चीन को फेसबुक, व्हाट्सएप या ट्विटर की आवश्यकता नहीं है लेकिन भारत में किसी का दिन इन अमेरिकी एप्स में से एक को खोले बिना शुरू नहीं होता है।

हालांकि, शेयर चैट स्वदेशी है। इसके देशभर में 6 करोड़ मासिक एक्टिव यूजर्स हैं और यह 15 भारतीय भाषाओं हिंदी, मलयालम, गुजराती, मराठी, पंजाबी, तेलुगू, तमिल, बांग्ला, ओडिया, कन्नड़, असमिया, हरियाणवी, राजस्थानी, भोजपुरी और उर्दू में उपलब्ध है।

शेयर चैट के को-फाउंडर और सीईओ अंकुश सचदेवा के अनुसार, भारतीयों को अपनी भाषा में खुद को अभिव्यक्त करने के लिए एक मंच की जरूरत है।

सचदेवा ने आईएएनएस से कहा, "हालांकि, भारतीय इकोसिस्टम में अंग्रेजी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म मौजूद हैं, लेकिन ये निश्चित रूप से मुश्किल से यूजर्स के एक निश्चित सेट से आगे बढ़ सकते हैं।"

उन्होंने आगे कहा, "इसके अलावा शेयरचैट से पहले भारतीय यूजर्स की पसंद के अनुसार अनुकूलित कोई भी इंटरनेट प्लेटफॉर्म नहीं बनाया गया था।" (आईएएनएस)

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