देश के विभाजन की बर्बादी पर वे बोलते नहीं, आपातकाल के झटकों पर मुंह खोलते नहीं - डाॅ. पूनिया

www.khaskhabar.com | Published : गुरुवार, 27 फ़रवरी 2020, 7:46 PM (IST)

जयपुर। भारतीय जनता पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष डाॅ. सतीश पूनिया ने गुरुवार को विधानसभा में बजट चर्चा में भाग लेते हुए बोला मुख्यमंत्री जी शायद मोदी फोबिया से ग्रस्त हैं, इसलिए उन्होंने सबसे पहले बजट की शुरूआत जीएसटी और नोटबंदी से की और इस सम्बन्ध में उन्होंने टूटा-फूटा शेर भी अर्ज किया कि ‘‘नोटबंदी पर मुंह खोलते नहीं, जीएसटी पर बोलते नहीं।’’ इसके जवाब में डाॅ. पूनिया ने शेर पढ़ते हुए कहा कि ‘‘देश के विभाजन की बर्बादी पर वे बोलते नहीं, आपातकाल के झटकों पर मुंह खोलते नहीं। राज के मजे लिए 50 साल, तब महंगाई, भ्रष्टाचार, बेकारी से देश रहा बदहाल। फिर भी करते रहे शासन और कहते रहे हमारा शासन बेमिसाल, यह कैसी फितरत है जादूगर, भोली-भाली जनता को ठगकर भी सच बोलते क्यों नहीं, देश के विभाजन की बर्बादी पर मुंह खोलते क्यों नहीं।’’
डाॅ. पूनिया ने जीएसटी और नोटबंदी पर बोलते हुए कहा कि 2010 में तत्कालीन प्रधानमंत्री डाॅ. मनमोहन सिंह के कार्यकाल में इसकी चर्चा हुई, उस चर्चा के दौरान इसे क्रांतिकारी कदम कहा गया। नोटबंदी से नकली नोट समाप्त हुए, बैंकों में काला धन जमा हुआ, 99 लाख, 49 हजार नए करदाता बढ़े। सरकारी खजाने में इजाफा हुआ। संदिग्ध खाते बंद हुए। दो लाख चैबीस हजार फर्जी कम्पनियां बंद हुई।
मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बजट में सात संकल्पों पर बोलते हुए डाॅ. पूनियां ने निरोगी राजस्थान के बारे में बोला कि कोटा के जेके लाने अस्पताल की घटना से सरकार के चिकित्सा विभाग के प्रति लापरवाही साफ नजर आती है। इस बजट में सीएचसी, पीएचसी और सबसेंटर के बारे में मौन है। जनता क्लीनिक की इस बजट में घोषणा की है, जो पिछली बार भी की थी, लेकिन जनता क्लीनिक के नाम पर तीन क्लीनिक के उद्घाटन का दिखावा जरूर किया गया। सवाईमान सिंह अस्पताल को छोड़कर पूरे प्रदेश के अस्पतालों में बेसिक जांच की सुविधाएं नहीं है। मुफ्त दवाओं के नाम पर सिर्फ 14 दवाएं ही उपलब्ध हैं।
गुटखे और पानमसाले पर पाबन्दी जरूर लगाई है, लेकिन राजस्थान में नौजवानों पर पंजाब की तरह नशे की प्रवृत्ति बढ़ रही है। उसके रोकथाम पर कोई चर्चा नहीं की।
डाॅ. पूनिया ने कहा कि दूसरे संकल्प में सम्पन्न किसान की बात की गई है। किसानों के लिए दस दिन में सम्पूर्ण कर्जा माफी की बात की गई, लेकिन कर्जा माफ नहीं किया। सरकार को सदन में इसका जवाब देना होगा। किसानों के लिये अनाज की पचास प्रतिशत भंडारण व्यवस्था भी नहीं करी है।
अपराधों की दृष्टि से राजस्थान शर्मसार हुआ है। ढाई लाख से भी ज्यादा मुकदमें दर्ज हुए हैं। पहली बार ऐसा हुआ है कि अपराधों के मामले में महिला अपराधों की बढोतरी हुई, फिर महिला अपराधों की रोकथाम के लिये बजट में कोई प्रावधान नहीं है।
सरकार की जनजाति 2020 की प्रगति रिपोर्ट कहती है कि कल्याण निधि का 55 प्रतिशत खर्च नहीं किया गया। केन्द्रीय सहायता जो जनजातीय क्षेत्र के लिए मिलती है, उसमें आपने 54 प्रतिशत फंड खर्च नहीं किया। यह सरकार के लिये शर्मिन्दगी की बात है। आपने वोट बटोरने के लिये बेरोजगारी भत्ते की घोषणा की। प्रदेश में 27 लाख बेरोजगार हैं, लेकिन आपने डेढ़ लाख को भत्ता देकर इतिश्री कर ली।
पानी, बिजली और सड़क के मुद्दे पर पिछली सरकार की जल स्वालम्बन योजना का नाम बदलने से उस योजना की क्रियान्विती नहीं हो सकती, जब तक आपकी नीति और नियत स्पष्ट न हो। बिजली के लिए स्कीम निकाली, लेकिन 60 लाख उपभोक्ताओं का जिक्र नहीं किया। बिजली के दाम कैसे कम करोगे इसका भी कोई जिक्र नहीं किया।
सड़कों पर अपने विधानसभा क्षेत्र आमेर का उदाहरण देते हुए कहा डाॅ. पूनियां ने कहा कि जिन सड़कों का डामरीकरण नहीं हुआ, उनका शिलान्यास हो गया, ग्रेवल सड़कें बन गई, लेकिन उन पर डामरीकरण आज तक नहीं हुआ। बराबर जवाब मांगते है, लेकिन विभाग ने कभी जवाब नहीं दिया। सातवां संकल्प कौशल तकनीकी विकास प्रधान केंद्र की योजनाओं को कट, काॅपी, पेस्ट जरूर किया है, लेकिन राजस्थान कौशल विकास का जो आंकड़ा आप बताते हैं, उसमें सच्चाई नहीं है। इस बजट में राजस्थान के लिये महत्त्वपूर्ण पर्यटन, पर्यावरण, युवा-खेल, नगरीय निकाय और जनजाति विकास के लिये कोई खास प्रावधान या बजट नहीं रखा। इस बजट में दलितों, आदिवासियों, बच्चे, बूढ़े, और जवानों के आंसुओं का हिसाब नहीं है। 2019 के राज्यपाल महोदय के भाषण से लेकर अब तक पूरे सवा साल में 90 प्रतिशत काम ऐसे हैं, जिन पर अमल नहीं हुआ।
डाॅ. पूनिया ने आमेर क्षेत्र की समस्याओं का जिक्र भी किया, जिनमें अस्पताल, शिक्षा, सड़क, स्वास्थ्य इत्यादि जनहित के मुद्दे हैं, जिन पर सरकार सुनवाई नहीं कर रही। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के बजट को सार रूप में बताते हुए डाॅ. पूनियां ने कहा कि यह बजट है इन, मीन, तीन, दिशाहीन, मुद्दाहीन, कर्महीन, दृष्टिहीन, मतिहीन, गतिहीन, अर्थहीन, तथ्यहीन, संख्याहीन, परिणाम संगीन और इन सबके आगे राजस्थान की जनता गमगीन।

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