नई दिल्ली। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सांप्रदायिकता की राजनीति को कड़ाई से नकार दिया और इस धारणा को खारिज कर दिया कि मोदी सरकार धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ है। आईएएनएस को शनिवार को दिए विशेष साक्षात्कार में राजनाथ ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई में सरकार ने शुरुआत से ही मुस्लिम नागरिकों के अंदर डर हटाने और उनमें आत्मविश्वास भरने की कोशिश की है।
रक्षा मंत्री ने कहा कि कुछ ताकतें हैं, जो उन्हें गुमराह कर रही हैं। लेकिन भाजपा किसी भी स्थिति में भारत के अल्पसंख्यकों के खिलाफ नहीं जा सकती। प्रधानमंत्री मोदी ने शुरुआत से ही सबका साथ, सबका विकास का नारा दिया है। उन्होंने कहा कि जाति, धर्म और रंग के आधार पर भेदभाव का कोई सवाल ही नहीं उठता। हम इसके बारे में सोच भी नहीं सकते।
सांप्रदायिक राजनीति के लिए निहित स्वार्थ को जिम्मेदार ठहराते हुए राजनाथ ने कहा कि कुछ ताकतें हैं जो केवल वोट बैंक के बारे में ही सोचती हैं। सांप्रदायिक राजनीति के लिए नेताओं को चेतावनी देते हुए उन्होंने कहा कि राजनीति केवल महज वोटों के लिए नहीं की जानी चाहिए। राजनीति राष्ट्र का निर्माण करने के लिए की जानी चाहिए।
ये भी पढ़ें - अपने राज्य - शहर की खबर अख़बार से पहले पढ़ने के लिए क्लिक करे
राजनाथ ने मेरठ और मेंगलुरु में अपनी दो मेगा रैलियों को याद किया और वहां
कहे शब्दों को फिर से दोहराया, भारत के मुस्लिम नागरिक हमारे प्यारे भाई
हैं। कोई भी उन्हें छू नहीं सकता, कोई भी उनका उत्पीडऩ नहीं कर सकता।
रक्षा
मंत्री ने कहा कि यहां तक कि जो हिंदुत्व की विचारधारा में विश्वास करते
हैं, वे भी पहचान के आधार पर भेदभाव नहीं कर सकते, क्योंकि हिंदुत्व का खुद
ही मतलब वसुधैव कुटुंबकम् (दुनिया एक परिवार है) होता है। हालांकि इस माह
हुए दिल्ली विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक विचार-विमर्श का स्तर काफी
जहरीला और सांप्रदायिक हो गया था।
भाजपा के भी कुछ मंत्रियों व विधायकों ने
हिंसक धमकी और सांप्रदायिक उकसावे वाले बयान दिए थे। रक्षा मंत्री ने कहा
कि किसी को भी, निश्चित ही किसी को भी, ऐसा बयान नहीं देना चाहिए जो दुनिया
एक परिवार है की विचारधारा के विरुद्ध हो। उल्लेखनीय है कि भाजपा सरकार
द्वारा नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) को लागू करने के बाद से कई शहरों में
मुस्लिम इस कानून का विरोध कर रहे हैं।