Shubh Mangal Zyada Saavdhan Review: शुभ मंगल ज्यादा सावधान फिल्म कॉमेडी के साथ देती है मैसेज

www.khaskhabar.com | Published : शुक्रवार, 21 फ़रवरी 2020, 2:53 PM (IST)

फिल्म शुभ मंगल ज्यादा सावधान का निर्देशन हितेश केवल्य ने किया है। फिल्म की कहानी भी इन्होंने ही लिखी है। फिल्म कॉमेडी के साथ समाज को बहुत ही स्ट्रॉन्ग मैसेज देती नजर आती है। फिल्म दर्शकों को खुलकर प्यार करना, अपने आपको वैसे ही एक्सेप्ट करना और किसी लिंग में भेद नहीं करने का संदेश देती है। यह कई मायनों में एक नई लीक बनाने वाली फिल्म हो सकती थी लेकिन फिल्म निर्देशक के हाथ से फिसलती हुई नजर आती है। फिल्म हास्य से ज्यादा व्यंग्य परोसती नजर आती है और ये व्यंग्य मुख्य कलाकारों के साथी कलाकारों से मिलने वाली प्रतिक्रिया के साथ उपजता है। युवाओं में अपनी अलग ही पहचान बनाने वाले आयुष्मान खुराना इस फिल्म में कुछ नयापन करने में कामयाब हो पाए हैं। युवाओं का उनके प्रति लगाव रहा है और इस लगाव को परखने की कसौटी है उनकी नई फिल्म शुभ मंगल ज्यादा सावधान।

ये है कहानी...


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कार्तिक (आयुष्मान खुराना) और अमन (जितेंद्र कुमार) की। दोनों प्यार में हैं और दिल्ली में साथ रहते हैं। मुश्किलें तब शुरू हो जाती हैं जब कार्तिक के चाचा (मनुऋषि चड्ढा) की बेटी गॉगल (मानवी गागरू) की शादी में ये दोनों इलाहाबाद जाते हैं और वहां इनके संबंधों का राज खुल जाता है। अमन के पिता शंकर त्रिपाठी (गजराज राव) और मां सुनयना त्रिपाठी (नीना गुप्ता) सहित पूरे परिवार को यह जानकर झटका लगता है। फिल्म में अमन और कार्तिक के सामने चुनौती आ जाती है कि वे कैसे अपने परिवार को इस रिश्ते के लिए मनवाए।

शुभ मंगल ज्यादा सावधान को अपने समय का मील का पत्थर बनाने में आयुष्मान और उनके साथी कलाकार जितेंद्र ने पूरी जान लगा दी है लेकिन दोनों के बीच तुलना करें तो जितेंद्र कुमार की फिल्म ज्यादा लगती है। अपने पुरुष साथी पर जान लुटाने वाले युवक के तौर पर कई दृश्यों में वह आयुष्मान पर भारी पड़ते नजर आते हैं।

अभिनय में सबसे अच्छा काम अमन के चाचा मनुऋषि चड्ढा और चाची बनी सुनीता राजवर का है। ये दोनों अपने-अपने किरदारों में सबसे ज्यादा सहज नजर आए हैं। कई दृश्यों में तो ये नीना-गजराज की जोड़ी को भी मात देते नजर आए। नीना-गजराज ने वैसे तो अच्छा काम किया है, लेकिन कई मायनों में वे अपने फिल्म ‘बधाई हो’ वाले तेवर को ही दोहराते नजर आ रहे हैं। फिल्म के संवाद कहीं-कहीं तो कमाल के हैं, पर कहीं-कहीं बेहद औसत हैं।