दिल्ली : AAP कैबिनेट में कोई महिला मंत्री नहीं, अलका ने उठाए सवाल, 1993 के बाद से इन 4 को ही मिली जिम्मेदारी

www.khaskhabar.com | Published : रविवार, 16 फ़रवरी 2020, 7:52 PM (IST)

नई दिल्ली। कांग्रेस नेता अलका लांबा ने रविवार को ट्वीट किया कि नवगठित दिल्ली विधानसभा में दिल्ली का महिला विभाग एक महिला की बजाय पुरुष को सौंप दिया गया है। उन्होंने दिल्ली की महिलाओं से न सिर्फ डीटीसी बसों में मुफ्त यात्रा की सुविधा से संतुष्ट होने, बल्कि दिल्ली परिवहन निगम में स्थायी नौकरी मांगने का भी आग्रह किया। अलका ने ट्वीट किया, दिल्ली सरकार का महिला मंत्रालय भी एक पुरुष मंत्री को दिया गया।

मेरी दिल्ली की महिलाओं को शुभकामनाएं, सुरक्षित रहें, स्वस्थ रहें। एक बार फिर से महिला अपने अधिकारों के लिए पुरुषों के द्वार पर हैं। बस में सिर्फ मुफ्त टिकट ही नहीं,..डीटीसी में स्थायी नौकरी के लिए भी कहें। केजरीवाल ने तीसरी बार रामलीला मैदान में मुख्यमंत्री पद की शपथ ली और छह मंत्रियों को भी शपथ दिलाई गई। नई कैबिनेट में भी किसी महिला को जगह नहीं दी गई। केजरीवाल ने 2015 के कैबिनेट को 2020 में फिर से दोहराया।

उनके पूर्व के कार्यकाल की तरह इस बार भी किसी महिला का मंत्री नहीं बनाया गया। आम आदमी पार्टी में कम से कम आठ महिलाएं हैं, जिन्होंने हाल में हुए दिल्ली विधानसभा चुनावों में जीत हासिल की है। इनमें राज कुमारी ढिल्लों ने हरि नगर निर्वाचन क्षेत्र से, आतिशी ने कालकाजी से, मंगोलपुरी से राखी बिड़लान, पालम से भावना गौड़, राजौरी गार्डन से धनवती चंदेला, शालीमार बाग से वंदना कुमारी, त्रिनगर से प्रीति तोमर व आर.के. पुरम से प्रमिला टोकस विजयी हुई हैं।

आतिशी ने शिक्षा में क्रांति लाने और सरकारी स्कूलों में सुधार लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आप ने उनके प्रयासों के लिए हमेशा उनकी सराहना की। पहली बार विधायक बनीं प्रीति तोमर अपने पति की सीट से विजयी हुई हैं। राखी बिड़लान पार्टी के लिए मंगोलपुरी इलाके से ज्यादातर दलित वोट जुटाने में सक्षम हुईं।

उन्हें आप के साल 2013 के पहले कार्यकाल में मंत्री पद मिला था। राखी ने आईएएनएस से कहा, यह पहले से तय था कि सभी पूर्व मंत्रियों की ही जगह कैबिनेट में रहेगी। इसलिए मेरे मंत्री बनने का कोई सवाल की नहीं है। मैं डिप्टी स्पीकर के पद पर थी, रहूंगी, जो समान रूप से महत्वपूर्ण है। दिल्ली की सेवा करने के लिए मुझे मंत्री पद की जरूरत नहीं है।

दिल्ली में 1993 के बाद से 4 महिलाएं ही कैबिनेट मंत्री बनीं



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नई दिल्ली। आम आदमी पार्टी (आप) खुले तौर पर महिला सशक्तीकरण की बात करती है, लेकिन इस बार फिर से महिलाओं को कैबिनेट में जगह नहीं मिली। यह ध्यान देने योग्य है कि 1993 के बाद से दिल्ली में केवल चार महिला कैबिनेट मंत्री हुई हैं। दिल्ली देश के उन तीन राज्यों में शामिल हैं, जहां दो महिला मुख्यमंत्री हुईं।

इन राज्यों में तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश व दिल्ली शामिल हैं। लेकिन दिल्ली में कैबिनेट मंत्रियों में महिलाओं की संख्या कम रही। दिल्ली की चार कैबिनेट मंत्रियों में - भाजपा की पूर्णिमा सेठी (1998), कांग्रेस की कृष्णा तीरथ (1998-2001) और किरण वालिया (2008-13) और आप की राखी बिड़लान (2013-14)। इनमें से सिर्फ किरण वालिया ने बतौर कैबिनेट मंत्री अपना कार्यकाल पूरा किया।

दिल्ली की तीन प्रमुख राजनीतिक पार्टियों -आप, भाजपा व कांग्रेस में से कांग्रेस ने सबसे ज्यादा महिला कैबिनेट मंत्री दिए हैं और लंबे समय के लिए एक महिला मुख्यमंत्री भी दिया। रविवार को केजरीवाल ने तीसरी बार शपथ लेकर दिवंगत शीला दीक्षित का रिकॉर्ड तोड़ा है। शीला दीक्षित सबसे ज्यादा समय तक दिल्ली की मुख्यमंत्री रहीं। दिल्ली में कुल सात बार विधानसभा चुनाव हुए, जिसमें हाल में हुआ चुनाव भी शामिल है। लेकिन राष्ट्रीय राजधानी होने के बावजूद शहर की राजनीति में महिलाओं का प्रतिनिधित्व कम ही रहा।

आप महिलाओं व समाज में उनके योगदान व उनकी सुरक्षा लेकर मुखर रही है। लेकिन अरविंद केजरीवाल के तीनों कैबिनेट में सिर्फ एक बार महिला विधायक को जगह मिली। आप की राखी बिड़लान को केजरीवाल के पहले 49 दिनों के कार्यकाल के दौरान महिला और बाल, समाज कल्याण और भाषा मंत्री बनाया गया था।

राखी बिड़लान 28, 2013 से 14 फरवरी, 2014 तक मंत्री रहीं। महिलाओं का प्रतिनिधित्व सिर्फ राज्य कैबिनेट में ही कम नहीं रहा, बल्कि दिल्ली विधानसभा में भी कम रहा। दिल्ली विधानसभा में 1993 के पहले चुनाव से लेकर अभी खत्म हुए 2020 के चुनाव तक कुल 39 महिलाएं चुनी गईं।

(IANS)