छोटे-छोटे कामों के लिए लोगों को राजधानी आना पड़ा तो जिम्मेदारी तय होगी: मुख्यमंत्री

www.khaskhabar.com | Published : शुक्रवार, 14 फ़रवरी 2020, 9:27 PM (IST)

जयपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि आमजन से जुड़े छोटे-छोटे कामों के लिए लोगों का राजधानी तक आना गंभीर बात है। ऐसे मामलों में जिन अधिकारियों-कर्मचारियों की लापरवाही सामने आती है, उनकी जिम्मेदारी तय की जाए। उन्होंने कहा कि सुशासन ही सरकार का मुख्य उद्देश्य है और जिला कलक्टर इसकी महत्वपूर्ण कड़ी हैं। वें कप्तान की तरह सभी विभागों से समन्वय कर बेहतर सर्विस डिलीवरी सुनिश्चित करें।

गहलोत शुक्रवार को मुख्यमंत्री कार्यालय में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से जिला कलक्टरों के साथ मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना में दवाओं की उपलब्धता, अस्पतालों में चिकित्सा उपकरणों की स्थिति, टीकाकरण, सिलिकोसिस एवं अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार के प्रकरणों में सहायता, मुख्यमंत्री जनसुनवाई एवं सम्पर्क पोर्टल पर दर्ज प्रकरणों की स्थिति की समीक्षा कर रहे थे। उन्होंने निर्देश दिए कि मुख्यमंत्री की जनसुनवाई को लेकर मुख्यमंत्री कार्यालय से प्राप्त पत्रों को कलक्टर स्वयं देखें। उन्होंने कहा कि सम्पर्क पोर्टल तथा मुख्यमंत्री जनसुनवाई के प्रकरणों की जिला कलक्टर साप्ताहिक समीक्षा करें और संभागीय आयुक्त हर 15 दिन में रिव्यू करें।

कोई भी रोगी दवाओं से वंचित नहीं रहे: गहलोत ने कहा कि मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना के तहत सभी अस्पतालों में दवाओं की पर्याप्त उपलब्धता सुनिश्चित हो। कहीं भी दवाओं की कमी नहीं रहे। उन्होंने कहा कि जरूरतमंद मरीजों को मुफ्त इलाज मिल सके, इस मंशा के साथ राज्य सरकार ने यह योजना शुरू की थी। अस्पताल और जिला प्रशासन की यह जिम्मेदारी है कि कोई भी रोगी दवाओं से वंचित नहीं रहे। उन्होंने निर्देश दिए कि जिला ड्रग सेंटर से सीएचसी एवं पीएचसी में दवाओं की आपूर्ति के लिए एडवांस प्लान बनाकर मॉनिटरिंग की जाए। साथ ही अस्पताल एवं जिला प्रशासन ई-औषधि पोर्टल के माध्यम से भी प्रभावी मॉनीटरिंग करें।

सभी अवधिपार चिकित्सा उपकरण 31 मार्च तक नाकारा घोषित कराएं: गहलोत ने कहा कि अस्पतालों में चिकित्सा उपकरण आवश्यक रूप से उपलब्ध हों। कोई उपकरण खराब होता है तो उसका समय पर मेंटेनेंस हो। साथ ही अवधिपार उपकरणों को निर्धारित प्रक्रिया के तहत समय पर कंडम करवाएं। उन्होंने निर्देश दिए कि प्रदेश के सभी अस्पतालों में अवधिपार चिकित्सा उपकरणों को 31 मार्च तक कंडम घोषित करने की प्रक्रिया पूरी की जाए। उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि अस्पतालों में उपकरणों के रखरखाव तथा नाकारा घोषित करने की राज्य स्तरीय केंद्रीकृत व्यवस्था विकसित की जाए। इसके लिए ई-उपकरण पोर्टल को और प्रभावी बनाया जाए।

जिला स्वास्थ्य समितियों की नियमित बैठक लें कलक्टर:
मुख्यमंत्री ने कहा कि बच्चों का सम्पूर्ण टीकाकरण बेहद जरूरी है। इसके लिए आशा सहयोगिनियों, एएनएम एवं आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं के माध्यम से अभियान चलाकर शत-प्रतिशत टीकाकरण सुनिश्चित किया जाए। जिला कलक्टर जिला स्वास्थ्य समिति की नियमित बैठकें लें। उन्होंने कहा कि निरोगी राजस्थान सरकार का महत्वपूर्ण कार्यक्रम है, इसकी सफलता चिकित्सा विभाग और जिला प्रशासन पर बहुत अधिक निर्भर है। वे इसके लिए भी पूरी तैयारी करें।

उपखण्ड स्तर पर होगी सिलिकोसिस पीड़ितों की स्क्रीनिंग: गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार नई सिलिकोसिस नीति लेकर आई है, जिसमें इस गंभीर बीमारी के पीड़ितों को जल्द से जल्द सहायता उपलब्ध करवाने के लिए कई मानवीय प्रावधान किए गए हैं। उन्होंने कहा कि सिलिकोसिस के प्रकरणों के त्वरित निस्तारण के लिए जिला स्तर पर कलक्टर एवं उपखण्ड स्तर पर उपखण्ड अधिकारी की अध्यक्षता में सतर्कता समितियां गठित की जाएं। यह समितियां खान मालिक एवं नियोक्ता की जिम्मेदारी भी तय करेंगी कि वे श्रमिकों को उचित संसाधन एवं उपकरण उपलब्ध करवाएं। साथ ही ऎसी व्यवस्था शुरू की जाए, जिससे सिलिकोसिस रोगियों की उपखण्ड स्तर पर भी स्क्रीनिंग की जा सके। जिन जिलों में सिलिकोसिस के प्रकरण अधिक हैं, वहां टीबी एवं चेस्ट स्पेशलिस्ट तथा रेडियोलॉजिस्ट के पद जल्द भरे जाएं।

समय पर मिले मुख्यमंत्री कोष से सहायता:
मुख्यमंत्री ने विद्यालयों में सड़क दुर्घटना बीमा योजना के सरलीकरण एवं ऑनलाइन मॉनिटरिंग के लिए एक पोर्टल विकसित करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि ऎसी स्कूलों का भी सर्वे करवाया जाए, जहां दुर्घटनाओं की संख्या अधिक रहती है ताकि सरकार आवश्यक सुरक्षा उपाय कर सके। गहलोत ने कहा कि अनुसूचित जाति एवं जनजाति अत्याचार के प्रकरणों में पीड़ित को जल्द सहायता उपलब्ध करवाई जाए। मुख्यमंत्री ने कहा कि मृत्यु, दुर्घटना या अन्य स्थितियों में पीड़ितों को मुख्यमंत्री सहायता कोष से मिलने वाली सहायता राशि समय पर उपलब्ध करवाएं। जिला कलेक्टर स्वयं इसकी मॉनीटरिंग करें।

मुख्य सचिव डीबी गुप्ता ने कहा कि राजस्व न्यायालयों में 10 वर्ष से अधिक समय से लंबित प्रकरणों को सूचीबद्ध कर उनके जल्द निराकरण के प्रयास किए जाएं। राजस्व विभाग इसके लिए एक सॉफ्टवेयर तैयार करे। साथ ही सभी जिला कलक्टर मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरूप संवेदनशीलता, जवाबदेही एवं पारदर्शिता के साथ गुड गवर्नेंस दें।

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मुख्यमंत्री की सख्ती का असर

3 लाख 40 हजार से घटकर 900 रह गए पेंशन प्रकरण: सुशासन का मुख्यमंत्री का संकल्प धरातल पर नजर आने लगा है। मुख्यमंत्री ने इसे लेकर सख्ती दिखाई तो आमजन के काम तेजी से होने लगे हैं। गहलोत ने 5 दिसम्बर को हुई वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में जिला कलक्टरों को निर्देश दिए थे कि आमजन से जुड़ी योजनाओं में लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। खासकर विधवा, वृद्धावस्था और दिव्यांगों के कल्याण के लिए चलाई जा रही सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजनाओं, पालनहार तथा आमजन से जुड़ी शिकायतों के लम्बित रहने पर उन्होंने कलक्टरों को त्वरित निराकरण के निर्देश दिए थे।
इसका यह असर रहा कि मात्र दो माह में ही सामाजिक सुरक्षा पेंशन के लम्बित प्रकरणों की संख्या 3 लाख 40 हजार से घटकर मात्र 900 रह गई। पालनहार योजना के 2853 लंबित प्रकरणों में भी इस अवधि में करीब 2300 आवेदकों को लाभ मिल गया। आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए दो माह में करीब 75 प्रतिशत आवेदकों के प्रमाण-पत्र जारी हो गए। गत वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के समय लम्बित 2 लाख 80 हजार 507 आवेदकों में से 2 लाख 9 हजार 735 आवेदकों को ईडब्ल्यूएस के प्रमाण-पत्र जारी कर दिए गए। सम्पर्क पोर्टल पर दर्ज प्रकरण के निस्तारण में भी उल्लेखनीय प्रगति हुई और दो माह में ही 15 फीसदी तक इन प्रकरणों का निस्तारण बढ़ गया।

वीडियो कॉन्फ्रेंस के दौरान सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री मास्टर भंवरलाल मेघवाल, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य राज्यमंत्री डॉ. सुभाष गर्ग, अतिरिक्त मुख्य सचिव वित्त निरंजन आर्य, अतिरिक्त मुख्य सचिव प्रशासनिक सुधार आर वेंक्टेश्वरन, प्रमुख शासन सचिव आयोजना अभय कुमार, चिकित्सा शिक्षा सचिव वैभव गालरिया सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।