पवित्र माघ मास की पूर्णिमा 9 फरवरी को है। हिन्दी पंचांग के मुताबिक ये माघ मास की अंतिम तिथि है। अगले दिन यानी 10 फरवरी से फाल्गुन मास शुरू हो जाएगा। इस मौके पर राजधानी सहित पूरे प्रदेश में पवित्र नदियों व सरोवरों में आस्था की डुबकी लगेगी। माघी पूर्णिमा पर स्नान व दान का खास महत्व है। कहा जाता है कि इस दिन से ही कलयुग की शुरूआत हुई थी। महीनेभर से चल रहा कल्पवास भी संपन्न होगा। पूर्णिमा 8 फरवरी की शाम 6.05 बजे से 9 फरवरी की दोपहर 1.05 बजे तक रहेगी।
माघ मास की पूर्णिमा को दान-पुण्य का है खास महत्व
माघी पूर्णिमा पर सुबह जल्दी उठना चाहिए और स्नान के बाद सूर्य भगवान को जल चढ़ाएं। जल चढ़ाते समय ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जाप करना चाहिए। मंत्र जाप कम से कम से 108 बार करना चाहिए। किसी गरीब को गुड़ का दान करें। इस दिन संभव हो सके तो किसी पवित्र में नदी में भी स्नान करना चाहिए।
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स्नान के बाद जातक श्री हरि के मंदिर में जाकर पूजा करें।
दक्षिणावर्ती शंख में केसर मिश्रित दूध भरें और विष्णु-लक्ष्मी का अभिषेक
करें। ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप करना चाहिए। पूजा में भगवान को
पूजन सामग्री के साथ ही मिठाई और फल-फूल भी अर्पित करें।
श्री हरि
की पूजा के बाद पितर देवताओं के लिए श्राद्ध कर्म करना चाहिए। इस दिन
जरूरतमंद लोगों को भोजन, कपड़े, तिल, कंबल आदि का दान करना सर्वश्रेष्ठ
माना जाता है।
इस दिन घर में साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखें। क्लेश
नहीं करें। प्रेम से रहें। घर में स्वच्छता और शांति बनाए रखें। क्रोध से
बचें और सभी का सम्मान करें। घर के वृद्ध लोगों का आशीर्वाद लेकर शुभ काम
की शुरुआत करें।
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