10 साल में 21 हजार से ज्यादा विदेशी बने भारतीय नागरिक, गृह मंत्रालय ने संसद में पेश किए आंकड़े

www.khaskhabar.com | Published : बुधवार, 05 फ़रवरी 2020, 4:11 PM (IST)

नई दिल्ली। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) पर जिस वक्त देश में हंगामा मचा है, उस वक्त जारी आंकड़ों के मुताबिक, पिछले 10 वर्षों में 21 हजार से ज्यादा विदेशियों को भारतीय नागरिकता मिली है। इन विदेशियों को पूर्व की मनमोहन और मौजूदा मोदी सरकार के कार्यकाल में नागरिकता मिली है। लोकसभा में मंगलवार को तमिलनाडु के रामानाथपुरम से इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग (आईयूएमएल) के सांसद के. नवासखनी द्वारा पूछे गए सवाल के जवाब में गृह मंत्रालय ने ये आंकड़े दिए हैं।

गृह मंत्री से विदेशियों को मिली भारतीय नागरिकता का ब्यौरा मांगा गया था। उन्होंने यह भी पूछा था कि क्या बाहरी देशों के मुस्लिमों को अब भी भारतीय नागरिकता प्रदान की जा सकती है। गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने बताया कि पिछले 10 वर्षों में 21408 विदेशी नागरिकों को भारतीय नागरिकता मिली है।

उन्होंने वर्षवार आंकड़े देते हुए कहा कि वर्ष 2010 में 232, 2011 में 435, 2012 में 553, 2013 में 563, 2014 में 617, 2015 में 15470 विदेशियों को नागरिकता मिली। वहीं 2016 में 1106, वर्ष 2017 में 817, 2018 में 628 और 2019 में 987 विदेशियों को भारत सरकार ने नागरिकता देने का फैसला किया।

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नित्यानंद राय ने बताया कि 2015 में हुए भारत-बांग्लादेश भू सीमा समझौते के कारण बांग्लादेश के 53 एनक्लेव को भारत में शामिल किया गया था। जिसके कारण नागरिकता अधिनियम, 1955 की धारा 7 के तहत उस वर्ष 14864 बांग्लादेशियों को भारतीय नागरिकता दी गई थी।

गृह राज्य मंत्री ने बाहर के मुस्लिमों के देश की नागरिकता मिलने के सवाल पर कहा कि भारत के सभी वैध प्रवासियों को चाहे वह किसी भी धर्म के हों, नागरिकता अधिनियम, 1955 के प्रावधानों के अनुसार अगर योग्यता पूरी करते हैं तो नागरिकता ले सकते हैं।

भारतीय नागरिकता हासिल करने की मौजूदा प्रक्रिया में कोई संशोधन नहीं हुआ है। गृह राज्य मंत्री ने अवैध रूप से देश में घुसे बांग्लादेशियों को वापस भेजने के बारे में भी जानकारी दी। उन्होंने बताया कि 2016 में 308, 2017 में 51 और 2018 में 445 बांग्लादेशियों को उनके देश वापस भेजने की कार्रवाई हुई।